चूत और लण्ड का एक ही रिश्ता- 5
(Papa Sex With Daughter)
पापा सेक्स विद डॉटर कहानी में बेटी पहल करके अपने बाप को पटाकर उसके लंड का मजा लेने के चक्कर में है. बेटी ने सोते हुए बाप के लंड को अपनी चूचियों के बीच में दबा कर मजा दिया.
कहानी के चौथे भाग
मैंने अपने बाप का लंड चूसा
में आपने पढ़ा कि मैंने अपने पापा के कमरे में जाकर उनका लंड चूस कर पूरा वीर्य गटक लिया.
यह कहानी सुनें.
अब आगे पापा सेक्स विद डॉटर कहानी:
अगले दिन सोकर उठी तो देखा 9 बज चुके थे।
मैंने हाथ मुंह धोये और नीचे गई.
तो देखा कि मम्मी रसोई में हैं और नानी बाहर कमरे में सोफे पर बैठ कर पेपर पढ़ रही हैं।
पापा कहीं नहीं दिख रहे थे.
मैंने रसोई में जाकर मम्मी से पूछा- पापा कहां हैं?
तो वे बोली- ऑफिस से फोन आ गया था तो उन्हें जल्दी जाना पड़ गया।
दिन भर मेरे दिमाग में कल रात की बात चलती रही।
मैं सोच रही थी कि आज रात में कैसे क्या होगा!
फिर दिमाग में आया कि अगर पापा फिर कल रात की तरह मजे लेना चाहेंगे तो आज भी खाने के बाद पहले सोने चले जायेंगे और मुझसे पानी लाने को कहेंगे जरूर!
मैंने सोचा कि अगर आज भी वही हुआ तो आज मैं भी पूरी तैयारी से जाऊंगी।
क्योंकि कल तो इस तरह के मामले का पहला दिन था, मैं भी थोड़ी घबराई हुई थी और शर्मा रही थी और वहीं पापा भी थोड़े घबरा रहे होंगे।
इसी चक्कर में वे जल्दी झड़ भी गए और मैंने भी बस जल्दी-जल्दी लंड चूस लिया और पापा के झड़ते ही चली आई।
मैंने सोचा था कि अगर आज भी पापा का लंड चूसने का मौका मिल जाए तो मैं आज पापा को सरप्राइज दूंगी।
यहीं सब सोचते-सोचते शाम हो गई।
शाम को जब भी पापा ऑफिस से आते थे तो चाय मैं ही उनको देती थी।
मगर आज भी मैं उन्हें चाय देने में थोड़ी हिचकिचा रही थी।
पापा समझ गए कि मैं शरमा रही हूँ।
तो उन्होंने नॉर्मल करने के लिए मुझे आवाज देकर कहा- बेटा चाय देना … सिर में दर्द हो रहा है।
फिर वे मम्मी से बोले- आज ऑफिस में बहुत काम था।
उन्हें मैं चाय देने गई तो वे मम्मी ऑफिस से बात कर रहे थे।
मैं भी थोड़ी अब नॉर्मल हो गई थी।
मैंने उनको चाय दी और इधर-उधर की बात कर अपने कमरे में चली आयी और बस जल्दी से रात होने का इंतज़ार करने लगी।
करीब 9.30 बजे के करीब मम्मी ने जगह से आवाज दी- आकर खाना खा लो।
मैं गई तो डाइनिंग टेबल पर खाना लग चुका था … मैं बैठ गई.
खाना खाते-खाते करीब 10 बज गए।
उसके बाद पापा टीवी पर न्यूज़ वगैरह देखने लगे और मैं रसोई में मम्मी की मदद करने चली गई।
करीब 10.30 बजे पापा ने टीवी बंद कर दिया।
जैसे ही उन्होंने टीवी बंद किया मेरी धड़कन बढ़ गई।
मैं प्रतीक्षा करने लगी कि पापा अब क्या करते हैं।
अभी मैं रसोई में ही थी मम्मी के साथ!
तभी पापा ने मम्मी से कहा- मैं जा रहा हूं सोने बहुत थक गया हूं और नींद भी आ रही है।
और पापा ऊपर जाने लगे.
अभी दो-चार सीधी चढ़े तभी पापा की आवाज आई- बेटा ऊपर आना तो पानी लेती आना!
यह कहकर वे ऊपर कमरे में चले गए।
पापा के मुझसे पानी लेने की बात सुनते ही मेरी धड़कन बढ़ गई।
मैं भी आज तैयार बैठी थी।
खैर … रसोई का सारा काम निपटाने के बाद मम्मी और नानी दोनों कमरे में चली गई।
तब तक 11 बज चुके थे।
मैं थोड़ी देर के लिए टीवी देखने लगी।
जानबूझ कर मैं थोड़ी देर कर रही थी।
मैं चाह रही थी कि मम्मी और नानी पूरी तरह सो जाएं, तब मैं ऊपर जाऊंगी।
करीब 11.15 पर मैंने टीवी बंद कर मम्मी के कमरे में गई तो देखा कि मम्मी और नानी दोनों बिस्तर पर लेटी हुई हैं और आपस में धीरे-धीरे बातें कर रही हैं।
मैं भी जाकर उनके पास बैठ गई और नानी के दवाई के बारे में पूछा कि उन्होंने दवाई ठीक से ली है या नहीं।
करीब 10 मिनट बाद मैंने मम्मी से कहा- मैं सोने जा रही हूं कुछ चाहिए तो नहीं?
मम्मी बोली- नहीं.. बस लाइट बंद करती जाना और पापा का पानी लेती जाना!
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने कमरे की बत्ती बन्द की और दरवाजा बंद कर बाहर आ गई।
फिर मैं रसोई में गई और पापा के लिए एक गिलास पानी लिया और ऊपर आने लगी।
मैं समझ रही थी कि पापा मेरा इंतजार कर रहे होंगे।
ऊपर आने के बाद मैं उनके कमरे में जाने के बजाय धीरे से अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर दिया।
उसके बाद मैंने अपने कपड़े चेंज किए.
मैंने लोअर और टी-शर्ट पहना हुआ था; लोअर और पैंटी उतार कर सिर्फ स्कर्ट पहनी और टी-शर्ट निकाल कर अपनी ब्रा उतारी और फिर वापस टी-शर्ट पहन लिया।
अब मैं सिर्फ स्कर्ट और टीशर्ट में थी जिसके नीचे मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी।
फिर मैंने पानी का गिलास उठाया और कमरा खोल कर बाहर आई और पापा के दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा बंद था.
मैंने दरवाजा खोलने से पहले हल्का सा नॉक कर पापा को आवाज दी ताकि पापा भी अंदर तैयार हो जाएं।
करीब 5-10 सेकेण्ड रुकने के बाद मैंने दरवाजा धीरे से खोला तो देखा कि नाइट बल्ब जल रहा था और पापा बेड पर किनारे लेटे हुए थे।
कल की तरह अपने हाथ को मोड़ कर आँख पर रखा हुआ था।
मेरी निगाह जैसी ही नीचे गयी तो मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई।
पापा का लंड लुंगी से बाहर निकल कर एकदम टाइट खड़ा था।
कल तो लंड में थोड़ा बहुत ही तनाव था और लुंगी से हल्का सा बाहर निकला था।
मगर आज तो पापा ने लुंगी एकदम अगल बगल कर दी थी और बीच में लंड पूरा खुला हुआ टाइट खड़ा था।
मुझे लग रहा था कि मेरा इंतज़ार करते हुए पापा शायद लंड को सहला रहे होंगे तभी लंड इतना टाइट था।
दरअसल अब हमारे और पापा के बीच सब कुछ खुल कर हो रहा था; फर्क बस इतना था कि बस हम एक-दूसरे से कुछ कहे बिना रात में मजे ले रहे थे और दिन भर अनजान बनाने का नाटक कर रहे थे।
अब हम दोनों बाप-बेटी के बीच बस यही बचा कि अभी तक, मेरी चूत या गांड में उनका लंड नहीं गया था और दूसरे हम एक-दूसरे से इस बारे में बात नहीं करते थे … सब कुछ मौन सहमति से हो रहा था।
खैर … मैं कमरे के अंदर आ गई और दरवाजा धीरे से बंद कर दिया.
फिर मैंने पापा को आवाज दी- पापा … पापा!
मगर पापा बिना कुछ बोले उसी तरह लेटे रहे।
मैंने पानी का गिलास टेबल पर रखा और बिस्तर के पास आकर खड़ी हो गई।
मेरी निगाह पापा के लंड पर थी।
चूंकि पापा और मैं दोनों जान रहे थे कि आगे क्या होना है इसलिए आज मुझे कोई घबराहट नहीं हो रही थी।
अभी एक दिन पहले मुझे ये सब करते वक्त थोड़ा बहुत डर और शर्म दोनों आ रही थी मगर आज न तो कोई डर था और न ही शर्म!
बल्कि पापा का लंड देख कर मेरी चूत और मुंह दोनों में पानी आ रहा था।
मैं लंड के पास बेड के बगल घुटनों के बल बैठ गई … फिर एक हाथ से पापा के लंड को पकड़ लिया।
पापा का लंड एकदम सख्त और गर्म था।
मैं लंड को मुट्ठी में पकड़ कर धीरे-धीरे हिलाने लगी।
करीब 15-20 सेकंड तक हिलाने के बाद लण्ड की चमड़ी को पूरा नीचे खींच दिया और लंड के सुपारे पर जीभ को ऐसे फेरा जैसे आइसक्रीम चाटी जाती है।
मैं आज पूरी चुदासी मूड में थी।
करीब 1 मिनट तक आइसक्रीम की तरह लण्ड को चाटने के बाद मैंने सुपारे को पूरा मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
साथ ही एक हाथ से धीरे-धीरे लंड को सहला भी रही थी।
बीच-बीच में मेरे लंड को मुंह से निकल कर फिर जीभ फेरने लगती थी और फिर मुंह में भरकर चूसने लगती थी।
मैं जान रही थी कि पापा ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और झड़ जाएंगे.
इसी तरह लंड चूसते हुए करीब 2-3 मिनट बीते थे कि पापा हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाने लगे।
मैं समझ गई कि पापा अब झड़ने वाले हैं; मैं और तेजी से अपने सिर को आगे-पीछे कर के लंड को चूसने लगी।
फिर अचानक पापा का शरीर अकड़ गया और वे तेजी से अपनी कमर को हिलाते हुए मेरे मुंह में झड़ गए।
पापा के लंड से तेज पिचकारी की तरह गाढ़े-गाढ़े वीर्य की पहली धार तो सीधा मेरे गले में चली गई, जिसे मैं गटक गई।
उसके बाद कमर को हल्का-हल्का झटका देते हुए 2-3 बार में पापा ने लंड का सारा पानी मेरे मुंह में निकाल दिया।
जिसका थोड़ा बहुत पानी बाहर निकल गया, बाकी सब मैं पी गई।
पापा के लंड का सारा पानी पीने के बाद मैंने उनके लंड को लुंगी से साफ किया और अपने मुंह पर भी जो वीर्य लगा था, उसे साफ किया।
अब मैं जान रही थी कि पापा यही सोच रहे होंगे कि मैं अब अपने कमरे में चली जाऊंगी।
मगर सरप्राइज तो अब शुरू होना था।
पानी निकल जाने के बाद पापा का लंड ढीला हो गया था।
मैंने फिर से लंड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को पूरा पीछे खींच कर सुपारे को मुंह में लेकर दोबारा चूसना शुरू कर दिया।
पापा को इसकी उम्मीद नहीं रही होगी।
वे अभी भी उसी तरह आंख बंद कर चुपचाप लेटे थे।
लंड चूसने के साथ-साथ मैंने एक हाथ से अब अपनी चूत को भी सहलाना शुरू कर दिया।
इसीलिये मैं पहले ही अपनी पैंटी और ब्रा उतारकर आयी थी।
मैं आज सोच कर आयी थी कि पापा का लंड चूसते-चूसते ही अपनी चूत का पानी निकालूंगी।
करीब 2-3 मिनट तक चूसने के बाद पापा के लंड में दोबारा तनाव आने लगा।
और फिर कुछ ही देर में वह लोहे की तरह टाइट हो गया।
पापा का लंड जब पूरा तरह खड़ा हो गया तो मैंने मुंह से लंड को बाहर निकाला तो देखा कि मेरे थूक से लंड का गुलाबी सुपारा चिकना होकर चमक रहा था।
अब यहां पर पापा को एक और सरप्राइज मिलने जा रहा था।
मैंने अपनी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और मोड़ कर चूचियों को ऊपर कंधे तक कर दिया।
ब्रा मैंने पहले ही उतार दिया था जिसे मेरी बड़ी सी गोल-गोल चूचियाँ एकदम नंगी हो गई थीं।
अब मैंने चूत सहलाना छोड़ कर एक हाथ से पापा के लंड को और थूक से गीले और चिकने हो चुके सुपारे को चूची की निप्पल से रगड़ने लगी।
जैसे ही मैंने ये किया, पापा के शरीर में हल्की सी कम्पन हुई।
शायद वे उत्तेजित हो गए थे।
मैं बारी-बारी से दोनों चूचियों की निप्पल से लंड के सुपारे को रगड़ रही थी।
यह मैं जानती थी कि पापा अभी एक बार झड़ चुके हैं तो दोबारा जल्दी नहीं झड़ेंगे।
करीब 2 मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपने दोनों चूचियों को हाथ से पकड़ा और झुककर पापा के लंड को उन दोनों के बीच दबा दिया और चूची की चुदाई करने लगी।
पापा का शरीर उत्तेजना में हल्का-हल्का कांपने लगा था।
मुझे लगने लगा कि अब कुछ देर और इसी तरह किया तो पापा चूचियों पर ही झड़ जाएंगे।
इसलिए मैं चूचियों की चुदाई छोड़ कर सुपारे को मुंह में लेकर दोबारा चूसने लगी।
उधर मेरी चूत में भयानक कुलबुलाहट होने लगी थी।
मैं एक हाथ से अपनी चूत को तेज-तेज रगड़ने लगी और इसी के साथ अपने मुंह को भी तेजी से आगे पीछे कर पापा का लंड चूसने लगी।
उधर पापा भी अब अपनी कमर को हल्का-हल्का हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे।
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मेरा चेहरा एकदम गर्म हो गया था।
मैं तेजी के साथ अपनी चूत को रगड़ने लगी।
साथ ही मैं पापा के लंड को भी एक हाथ पकड़ कर तेजी से हिला- हिला कर चूसती जा रही थी।
पापा सेक्स विद डॉटर के खेल में मेरी चूत का पानी निकलने वाला था।
तभी अचानक पापा ने अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरे सिर को पकड़ लिया और तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगे।
उनके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी- आआआ आअह्ह ह्हह … आआ आआ आआह्ह ह!
मैं समझ गई कि वे झड़ने वाले हैं।
इधर मेरी चूत का पानी भी निकलने वाला था।
मैंने एक उंगली चूत में डाल कर तेजी से हिलाने लगी और फिर अचानक मैंने पापा के लंड को मुंह में भींच लिया और मेरी कमर तेजी के साथ झटका लेने लगी और चूत का पानी निकल गया।
अभी मेरी चूत से पानी निकला ही था कि पापा के मुंह से भी तेज सिसकारी निकली- आआ आआ आआह हह हहह!
और फिर उनके लण्ड से भी तेज धार के साथ पानी निकला जो सीधा मेरे गले में उतर गया। जिसे मैं जल्दी से घोंट गयी और लण्ड को मुंह निकल कर अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
मेरी चूत से भी बहुत पानी निकला था … ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने शरीर का सारा पानी निचोड़ लिया हो!
मैं एकदम थक गई थी।
उधर पापा ने अपने हाथ को मेरे सिर से हटा लिया था और चुपचाप आंखें बंद कर हल्का-हल्का हांफ रहे थे।
मैंने टी-शर्ट से अपना मुंह पूछा और उसे नीचे कर चूचियों का ढका और खड़ी हो गयी।
फिर पापा के लंड को बिना साफ किए कमरे से बाहर आ गई और अपने कमरे में आकर दरवाजा अंदर से लॉक कर आँख बंद कर सीधा बेड पर लेट गयी।
मेरी सांस अभी तेज चल रही थी।
लेटे-लेटे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला।
दोस्तो, मेरी पापा सेक्स विद डॉटर कहानी आप को कैसी लग रही है, आप मुझे ज़रूर बतायें।
पापा सेक्स विद डॉटर कहानी का अगला भाग: चूत और लण्ड का एक ही रिश्ता- 6
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