कलयुग का कमीना बाप-9

(Kalyug Ka Kameena Baap- Part 9)

This story is part of a series:

पापा ने मुझे नहलाया और खुद भी नहा कर हम दोनों बाहर आए।

बाथरूम से नहा कर बाहर आने के बाद भी पापा ने मुझे कपड़े नहीं पहनने दिये, बोले- बेटी, नाश्ता बना दो!
जब मैं नाश्ता बनाने लगी तो फिर पीछे से उन्होंने मुझे पकड़ लिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर चोदने लग गए. किचन में ही नाश्ता बनाने के दौरान ही मुझे चोदते रहे, फिर जब नाश्ता बन गया, तब डाइनिंग टेबल पर उन्होंने नाश्ता लगाया और मुझे अपने लंड पर बिठा दिया. हम नाश्ता करने लगे.

इस दौरान उनका लंड मेरी चूत के अंदर था, वह मुझे बांहों में लेकर चोद रहे थे, नाश्ते के साथ साथ कभी कभी मेरी चूचियों को चूसने लगते शायद नाश्ते के साथ साथ उनको दूध की भी जरूरत थी. फिर कभी मेरे चेहरे को भी चूसने लगते और गालों को भी काटने लगते!

कुछ ही देर में हम लोगों ने नाश्ता कर लिया, नाश्ता करते ही उन्होंने मुझे टेबल पर ही झुका दिया और चोदने लगे, 10 मिनट तक चोदने के बाद जब उनके लंड से बीज निकलने वाला था तो उन्होंने उस बीज को मेरे ब्रेड पर गिरा दिया और मुझे खाने को बोले.
ब्रेड में मक्खन की जगह उनका वीर्य लगा हुआ था जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से खाया।

नाश्ता करने के बाद मुझे बेडरूम में ले गए, मुझे नंगी कर डांस करने को कहा.
मैं डांस करने लगी।
डांस करने के दौरान पापा ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। पापा कुछ देर मुझे चोदते और फिर छोड़ देते। फिर 10:15 मिनट तक सिर्फ मेरी चूचियों और चूत के साथ खेलते और फिर मुझे बिठाकर मेरे मुंह में लंड पेलने लगते।
जब लंड पूरा खड़ा हो जाता तो फिर से मुझे चोदना शुरु करते।

पापा का लंड जल्दी नहीं झड़ता था इसीलिए वे एक ही बार में आधा आधा घंटा तक पेलते रहते थे। इस तरह शाम तक उन्होंने मुझे कई बार बुरी तरह से पेला. शाम तक मैं पूरी तरह थक चुकी थी मेरी बुर बुरी तरह जल रही थी, शाम को मैंने पापा को बोल दिया- पापा, अब आज अपनी बेटी की चूत को छोड़ दीजिएगा, मैं आपका लंड चूसकर शांत कर दूंगी.

रात में मैंने उनका लंड चूस कर रस निकाल दिया और पी गई.

फिर दूसरे दिन सुबह सुबह ही पापा ने नींद में ही मुझे चोदना शुरु कर दिया. इस तरह 13 दिन तक पापा ने दिन रात मेरी चुदाई की, पापा मुझे कभी कुतिया बनाते तो कभी खड़ा करके हर तरह से चुदाई करते थे।
हम बाप बेटी दिन रात चुदाई करते रहे।

14वें दिन मम्मी वापस लौटीं। उस वक़्त 4 बज रहे थे, घर में सिर्फ मैं और पापा थे, उस दिन पापा ऑफिस नहीं गए थे।

मैं पापा का लंड चूस रही थी जब दरवाज़े का बेल बजी।

हम उस समय ये भूल गए थे कि मम्मी आज वापस आने वाली है। बेल की आवाज़ सुनकर पापा टॉवल लपेटकर दरवाज़ा खोलने चले गये। मैं बिस्तर पर नंगी बैठी उनके आने का इंतज़ार करती रही।

लगभग 5 मिनट बाद मेरे रूम का दरवाज़ा खुला। मैं सोच रही थी कि पापा ही होंगे।
दरवाज़ा खुलते ही मेरे मुंह से निकला- ओहह पापा, जल्दी आओ न… मैं…

मेरे आगे के शब्द हलक में ही घुट कर रह गये जब मेरी नज़र दरवाज़े पर खड़ी मम्मी पर पड़ी। मेरे हाथ जो पापा को बाँहों में भरने के लिए उठे थे नीचे झूल गये।

मम्मी की आँखों से चिंगारियाँ निकल रही थी, उनके गुस्से से भरे चेहरे को देखकर मेरी साँस रुक सी गयी थी, मैं डर के मारे थर थर काँप रही थी।
“किसका इंतज़ार कर रही थी नंगी होकर?” मम्मी चिल्लायी।
“कलमुही… कौन है तेरा यार जिसके साथ तू मेरे पीठ पीछे गुलछर्रे उड़ा रही है? लेकिन इस घर में तो अभी तुम और तुम्हारे बाप के अलावा कोई नहीं। कहीं तू…” मम्मी बोलते बोलते रुक गयी।

मैंने कोई जवाब न देकर चुपचाप अपनी नज़रें झुका ली।

मम्मी एकदम से पलटी और बाहर चली गई।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि अब पापा की बारी है। मैंने जल्दी से कपड़े पहनी और बाहर आ गयी।

“अब गूंगे क्यों बने हुए हो… जवाब क्यों नहीं देते? कहते क्यों नहीं कि तुमने अपनी ही बेटी के साथ मुंह काला किया?”
पापा चुप थे, मम्मी का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था।

जब पापा ने कोई जवाब नहीं दिया तो वो मेरी ओर पलटी- और तू हरामज़ादी… तुझे शर्म नहीं आयी अपने ही बाप को अपना खसम बनाने में? उस हरामी को तो जवान चूत मिल रही थी, वो बहक गया होगा… लेकिन तू… तुझे तो सोचना चाहिए था कि जिसके सामने तू अपनी चूत खोल रही है वो तेरा बाप है… इसी के लंड की पैदाइश है।
वो बोली और मुझे बालों से पकड़कर घसीटने लगी।

मैं दर्द से चीख़ पड़ी।
पापा से मेरा दर्द देखा नहीं गया, वो आगे बढ़े और मम्मी का हाथ जोर से झटक दिया। उनका झटका इतना अचानक था कि मम्मी खुद को संभाल नहीं पाई और फर्श पर लम्बी होती चली गयी।
मम्मी कराहती हुयी उठी और लड़खड़ाते कदमों से पापा की ओर बढ़ी फिर चीख़ी- तुमने मुझे धक्का दिया? मैं तुम्हें…
वो इतने गुस्से में थी कि उनसे बोला भी नहीं जा रहा था।

“जो करना है कर लो, जिसे बताना चाहो बता दो। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। उल्टा तुम्हें इस घर से बाहर होना पड़ेगा। तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। पुलिस… कानून सब मेरी जेब में रहते हैं। तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा। तुम्हारी बात केवल रास्ते पर चलने वाले लोग सुनेंगे और उनसे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला!”

पापा आगे बोले- आज तक हम बाप बेटी छुप कर प्यार करते थे, अब तुम्हारी आँखों के सामने करेंगे। तुम मुझे नहीं रोक सकती। हाँ, मैं चाहूँ तो एक कॉल करुँगा और तुम्हें पागल करार देकर पागलखाने भिजवा सकता हूँ। अब तुम फैसला करो की तुम शांति से इस घर में रहना चाहती हो या पागलखाने में।”

मम्मी आँखें फाड़े पापा को घूरती रही। पापा की धमकी का पूरा असर हुआ था, वो गुस्से से पलटी और अपने रूम के अंदर चली गई।
मैं हक्की बक्की मम्मी पापा का तकरार देख रही थी।

मम्मी के जाने के बाद पापा मेरे पास आए- तुम चिंता मत करो… ये पागल औरत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ये ज़्यादा चूँ चा करेगी तो इसे पागलखाने भिजवा दूँगा।
पापा की बात सुनकर मेरे अंदर का सारा डर ग़ायब हो गया।

पापा सोफ़े पर बैठकर सिगरेट पीने लगे, मैं अपने रूम में आ गई, मम्मी अपने रूम में बैठी रोती रही, वो डिनर के वक़्त भी बाहर न निकली।
पापा ने उन्हें बुलाना जरूरी नहीं समझा।

पापा सोफ़े पर बैठकर सिगरेट पीने लगे, मैं अपने रूम में आ गई, मम्मी अपने रूम में बैठी रोती रही, वो डिनर के वक़्त भी बाहर न निकली।
पापा ने उन्हें बुलाना जरूरी नहीं समझा।

रात के 12 बज चुके थे। मैं अपने बिस्तर पर लेटी आज की घटना के बारे में सोच रही थी कि अचानक दरवाजे पर आहट हुई। मेरी नज़र उठी तो दरवाज़े पर पापा को खड़ा पाया।

“पापा…” मैं हैरानी से बोली।
“तू क्या सोच रही थी मैं अपनी प्यारी बेटी को अकेली छोड़ दूँगा। नहीं पिंकी… अब हम कभी अलग नहीं होंगे। अच्छा ही हुआ कि तेरी मम्मी को पता चल गया है। अब हम निडर होकर एक दूसरे से प्यार करेंगे।” कहते हुए पापा ने मेरे एक बूब को कस के दबा दिया।

मैं अपने पापा से लिपट गई- लेकिन मम्मी?
मैं कुछ बोलते बोलते रुक गयी।
“उसकी चिंता छोड़ो, इस शहर के पुलिस, जज, सभी पावरफुल आदमी मेरे हाथ में हैं। वो वही करेंगे जो मैं चाहूँगा।” पापा अपना पजामे को कमर से नीचे सरकाते हुए बोले।
फिर अपनी चड्डी को भी सरका कर लंड बाहर कर निकाल लिया. मैं पापा के लंड को देखने लगी।

उन्होंने मुझे गर्दन से पकड़ा और मेरा सर अपने लंड पर झुका दिया। मैं उनके लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी। पापा प्यार से मेरे बालों को सहलाते रहे। आज मैं पूरी अज़ादी से पापा का लंड चूस रही थी, आज मुझे किसी का डर नहीं था।
मैं उनके लंड को अपने होंठों से पुचकारती रही दुलारती चूसती रही, पापा कमर उचका उचका कर लंड चुसवाते रहे।

करीब 5 मिनट तक मैं पापा का लंड चूसती रही, पापा लंड चुसवाते हुए मेरे चूचियों को टीशर्ट के ऊपर से ही मसलते रहे।
फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे नंगी करने लगे।
मुझे नंगी कर लेने के बाद वो खुद भी नंगे हो गये।

उनके बिस्तर पर बैठते ही मैं उछल कर उनके गोद में बैठ गयी। पापा ने मेरे एक बूब को हाथ में भर कर मसल दिया तो दूसरे को मुंह में भर कर चूसने लगे। मैं प्यार से उनके सर को सहलाती हुई उन्हें अपनी छाती में दबाने लगी।

पापा बिल्कुल बच्चों की तरह मेरे बूब्स पर बारी बारी से मुंह मारते रहे, कभी कभी दाँतों से हल्के से काट भी देते तो मैं मस्ती में भर कर चिहुंक पड़ती।
पापा ने मेरे बूब्स को चूसते हुए अपनी एक उंगली मेरी गांड में घुसा दिया और तेजी से उंगली अंदर बाहर करने लगे, मैं मस्ती में डूबकर पापा के लंड को सहलाने लगी।

अब मैं बहुत व्याकुल हो उठी थी। मैं एकदम से उठी और अपनी चूत पापा के चेहरे के पास ले गयी और टाँगें फैलाकर खड़ी हो गयी।

पापा एक नज़र मेरे चेहरे पर डाल कर फिर मेरी गीली चूत को निहारने लगे। पापा की जीभ बाहर निकली और मेरी चूत के ऊपर रेंगने लगी। मैं मदहोशी में उनके सर को अपनी चूत में दबाते हुए सिसकने लगी।
मेरी चूत से बहते पानी की एक एक बूँद को पापा बड़े प्यार से चाट रहे थे। मेरी चूत आज जरूरत से ज़्यादा पानी छोड़ रही थी। मैंने पापा को बिस्तर पर गिराया और एक झटके में उनके मोटे लंड पर चूत रख कर बैठती चली गयी।

‘फच…’ के आवाज़ के साथ मेरे पापा का लंड मेरी चूत में धँसता चला गया। जड़ तक उनके लंड को निगलने के बाद मैं अपनी गांड उछालने लगी।
13 दिनों में ही पापा ने मुझे हर आसन में चुदने का ज्ञान दे चुके थे, यह मेरा पसंदीदा आसन था।

मैं हुमच हुमच कर उनके लंड पर धक्के मारने लगी, पापा मेरे बूब्स को मसलते हुए सिसकारियाँ भरते रहे।
15 मिनट उनकी जांघों पर उछलने के बाद मेरी पिचकारी छुटी, मैं चीखती हुयी पापा के ऊपर ढह गयी।

उस रात पापा मुझे 5 बजे तक पेलते रहे। हम बाप बेटी आनन्द में डूबे चीखते चिल्लाते एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होते रहे। हमारी चीख़ें और हंसी के ठहाके इतने तेज होते थे कि मम्मी के कमरे तक असानी से पहुंचती होगी लेकिन अब हमें उनका भय जरा भी नहीं था। हम पूरे बिन्दास होकर रात भर एक दूसरे की सवारी करते रहे। कभी वो मेरे मुंह पर मूत देते तो कभी मैं उनके मुंह पर मूत देती।

ऐसे ही यह सिलसिला 20 दिनों तक चलता रहा।

मेरी यह सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है?
आप मुझे मेल करके अवश्य बतायें.
मेरा ईमेल है [email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top