ससुराल में एक और सुहागरात ससुर जी के साथ- 3
(Father In Law Porn Kahani)
फादर इन लॉ पोर्न कहानी में मेरे ससुर ने मुझे शोर्ट स्कर्ट में देखने की इच्छा व्यक्त की तो मैं ख़ुशी से स्कर्ट पहन कर उनके पास चली गयी. मुझे भी तो उनके लंड की जरूरत थी.
प्रिय पाठको,
आपने मेरी कहानी के पिछले भाग
ससुर जी का हाथ मेरी जांघ पर
में आपने पढ़ा कि
मैंने अपने मोबाइल की रिकॉर्डिंग बंद की और सोचा कि रिकॉर्डिंग में ससुर जी की हरकत देख लूँ।
यह कहानी सुनें.
अब आगे फादर इन लॉ पोर्न कहानी:
लेकिन मुझे स्कर्ट और टीशर्ट पहनकर ससुर जी के पास जाना था और मैं उसमें देर नहीं करना चाह रही थी.
इसलिए मैं मोबाइल की रिकॉर्डिंग को बाद में देखने की सोचा और बिना आवाज किये धीरे से आलमारी से स्कर्ट और टीशर्ट निकाला और कुर्ती लेगिंग उतार कर उसे पहन लिया।
पहले मैंने सोचा कि स्कर्ट के नीचे पैंटी न पहनूं.
लेकिन फिर सोचा कि आज पहले दिन ही यह ठीक नहीं रहेगा.
फिर मैने पैंटी तो पहन ली लेकिन टीशर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहनी।
स्कर्ट मेरे घुटने से थोड़ा ऊपर ही थी और टीशर्ट भी थोड़ा टाइट वाली पहनी थी।
मैं ससुर जी के कमरे की तरफ जाने लगी।
मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था कि पता नहीं आगे क्या होगा।
मैं दरवाजे के पास पहुँची और पर्दा हटाया तो देखा कि ससुर जी बेड के बजाए बगल में सोफे पर बैठे थे और कुर्ता उतार दिया था और सिर्फ बनियान और लुंगी में थे।
तब मैं समझ गयी कि ससुर जी भी यह मौका छोड़ना नहीं चाहते और आज कुछ करके ही मानेंगे।
हालांकि मैं और मेरी चूत दोनों पूरी तरह हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार थी।
जैसे ही हमारी निगाह मिली, मैं मुस्कुरा दी।
सोफा ठीक बेड के बगल में था।
सोफे के सामने टेबल रखी थी।
मैं कमरे में अंदर जाकर खड़ी हो गयी तो ससुर जी ने ऊपर से नीचे तक पहले मुझे कायदे से देखा।
ससुर जी अपने सामने सोफे और टेबल की बीच की जगह को दिखाते हुए बोले- पास आओ बेटा यहाँ ताकि मैं अच्छे से देख सकूँ।
मैं जाकर उनके सामने खड़ी हो गयी।
एक बार मुझे लगा कि कहीं ससुर जी सीधा मेरी स्कर्ट ना उठाकर देखने लगें।
सोफे पर बैठे-बैठे ही ससुर जी की निगाहें, घुटने के नीचे मेरी गोरी-गोरी टांगों से होती हुई स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी जांघ, कमर और चूची को अच्छी तरह देख रही थीं।
कुछ देर तक सामने से मुझे ऊपर से नीचे तक कायदे से देखने के बाद वह बोले- थोड़ा घूमो ताकि पीछे से भी देख लूँ।
मैं समझ गयी कि ससुर जी स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी गांड देखना चाहते थे।
तब मैं घूम गयी और अपनी गांड उनकी तरफ कर दी और करीब 15 सेकेण्ड बाद खुद ही घूमकर उनकी तरफ मुंह कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराते हुए बोली- कैसी लग रही हूँ स्कर्ट में?
ससुर जी बोले- ऐसा लग रहा है जैसे स्कूल जाने वाली कोई स्टूडेंट हो। एकदम कमसिन बच्ची लग रही हो स्कर्ट में! कोई कह नहीं सकता कि 21 साल की हो … वह भी मैरिड।
दरअसल ससुर जी की बात सही भी थी।
मुझे स्कर्ट-टॉप में देखकर हर कोई मुझे स्कूल की बच्ची ही समझता था।
रोहित भी इसीलिए मुझे ज्यादातर स्कर्ट में रहने को बोलते थे।
उन्हें भी मेरा बच्ची वाला रूप पसंद था।
मैं धीमे से हंस दी और बोली- मेरे स्कर्ट पहनने पर सभी यही बोलते हैं। तो देख लिया ना आपने स्कर्ट में … अब जाऊं मैं?
पर ससुर जी ने अपने सामने रखे टेबल की तरफ इशारा करके मुस्कराकर बोले- थोड़ी देर बैठो मेरे साथ।
मैं जाकर सामने रखे टेबल पर बैठ गयी।
अब मैं ससुर जी के ठीक सामने बैठी हुई थी.
चूंकि टेबल सोफे से थोड़ी ऊंची थी तो मेरी चूचियां, ससुर जी के मुंह के ठीक सामने थीं।
उत्तेजनावश मेरी चूचियों की निप्पल कड़ी हो गयी थीं जो टीशर्ट के ऊपर से साफ पता चल रही थीं।
सुसर जी की निगाह बार-बार उसी पर जा रही थी।
टेबल सोफे के इतना पास था कि मेरे और ससुर जी के घुटने आमने-सामने से एक दूसरे से टच कर रहे थे।
ससुर जी फिर अपना हाथ धीरे से स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी जांघ पर रखते हुए बोले- वाह, आज इतने दिनों बाद शादी से पहले वाली गरिमा दिखी है। मुझे नहीं पता था कि तुम रात में अपने कमरे में स्कर्ट पहनती हो।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- रात में कमरे के अंदर क्या-क्या करती हूँ यह आपको थोड़े ना पता चलेगा!
ससुर जी मेरी इस बात पर मुस्कुराते हुए बोले- हाँ… ये तो सही कह रही हो। मुझे कैसे पता चलेगा कि कमरे के अन्दर क्या-क्या करती हो।
फिर वे बोले- वैसे और क्या-क्या करती हो रात में अपने कमरे में? मुझे भी बताओ थोड़ा?
मैं मुस्कुराकर बोली- बहुत कुछ करती हूँ … क्या बताऊँ?
ससुर जी भी अब मजे लेने लगे थे इसलिए हंसते हुए फिर पूछे- कुछ तो बताओ और क्या करती हो!
ससुर जी बात करते हुए लगातार स्कर्ट के ऊपर से मेरी जांघ सहलाते जा रहे थे।
उनके सहलाने से स्कर्ट थोड़ा ऊपर आ गयी थी जिसमें घुटनों के ऊपर मेरी जांघ भी थोड़ी दिखाई देने लगी थी।
हालांकि इससे आगे बढ़ने की हिम्मत अभी ससुर जी की नहीं हो रही थी।
मुझे मौका मिल गया मैं तुरंत मुस्कुराते हुए बोली- अच्छा … और क्या जानना चाहते हैं आप बताइये तो मैं बता दूँ!
ससुर जी धीरे से बोले- जानना तो बहुत कुछ है, कहो तो बताऊँ?
मैं मुस्कुराती हुई बोली- पहले बताइये तो सही … आपको स्कर्ट में देखने का मन था तो वह पहन ली. अगर कर सकूंगी तो बाकी भी करने की कोशिश करुंगी।
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- फिर तो अभी ये भी मन में है कि तुम्हें गोद में बैठा लूँ!
मैं बिना कुछ बोले बस धीरे से हंस दी।
ससुर जी समझ गये कि मेरी हंसी में भी हाँ है।
फिर ससुर जी आगे बोले- वैसे तुम्हें याद है ना कि मैंने बताया था कि जब तुम छोटी थी तो मैंने तुम्हें गोद में खिलाया था।
मैं मजा लेते हुए मुस्कुराकर बोली- हाँ … छोटे पर ही क्यों … बड़े होने के बाद भी तो बैठ चुकी हूँ आपकी गोद में आपके घर, याद तो होगा ही?
ससुर जी हंस दिये और बोले- हाँ याद है … वह कैसे भूल सकता हूँ मज़ा आ गया था उस दिन तो!
मुझे तो मौका मिल गया मैं भी हंसकर धीरे से बोली- हाँ … वह तो मैंने भी देखा था कितना मजा आया था आपको! लोअर भी चेंज करनी पड़ी थी।
(शादी से पहले ही मेरे और ससुर जी के बीच क्या कुछ हुआ था ये जानने के लिए आपको इस स्टोरी के सभी पार्ट पढ़ेंगे तभी स्टोरी का पूरा मजा मिलेगा.)
ससुर जी भी मुस्कुराते हुए बोले- हां … लेकिन उस दिन के बाद दोबारा मुलाकात का मौका नहीं मिला।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मुलाकात का मौका नहीं मिला या मुझे गोद में बैठाने का?
ससुर जी ने जांघ पर हाथ रखे हुए ही मुझसे हंसकर धीरे से बोले- वैसे सच तो यही है कि तुम्हें गोद में बैठाने का मौका नहीं मिला।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- हाँ … शादी के बाद से तो आपके बेटे की गोद में बैठती हूँ।
दोअर्थी और कामुकता भरी बातचीत से अब हम दोनों पर धीरे-धीरे वासना का बुखार चढ़ने लगा था।
मेरी चूत भी थोड़ी-थोड़ी गीली होने लगी थी।
ससुर जी मेरी जाँघ को धीरे-धीरे सहलाते हुए बोले- अच्छा … और क्या-क्या करती हो?
लेकिन मैं उनकी इस बात पर कुछ नहीं बोली और बस हल्का सा हंसकर चुप रही।
बातचीत के बीच में अचानक ही मेरी निगाह नीचे लुंगी की तरफ चली गयी।
मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा।
दरअसल लण्ड के पास लुंगी काफी उभरी थी।
पापा की लुंगी का उभार देखते ही मैं समझ गयी कि ससुर जी ने अंदर अण्डरवियर नहीं पहना है।
कामुक बातचीत से उनके लण्ड में तनाव आने लगा था जो लुंगी के ऊपर से ही साफ-साफ पता चल रहा था।
ससुर जी ने मुझे लण्ड की तरफ देखते हुए मुझे देख लिया और उन्होंने भी झुककर एक निगाह अपने लण्ड की तरफ मारी।
वे समझ गये कि उनके लण्ड के तनाव को लुंगी छिपा नहीं पा रही है और मैं जान गयी हूँ कि वह बिना अण्डरवियर के हैं।
फिर ससुर जी ने गर्दन उठाई और मेरी ओर देखा.
मैं उन्हें देखकर मुस्कुराई और फिर जानबूझकर दोबारा उनके लण्ड की तरफ देखने लगी।
ससुर जी समझ गये कि अब मैं भी चुदासी हो रही हूँ और खुलकर मजे लेना चाह रही हूँ।
मेरी इस हरकत से ससुर जी की हिम्मत बढ़ गयी.
वे अभी तक स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी जांघ सहला रहे थे पर इसके बाद उन्होंने धीरे से अपना हाथ स्कर्ट के अंदर डाल दिया और सीधा मेरी नंगी जांघों को सहलाने लगे।
ससुर जी के मेरी जांघ सहलाने से और लुंगी के नीचे तने लण्ड को देखकर मेरे ऊपर भी मस्ती छाने लगी और मेरी गीली हो चुकी चूत भी कुलबुलाने लगी थी।
मन तो कर रहा था कि टीशर्ट उठाकर चूची नंगी करके चूसने के लिए बोल दूँ, फिर लुंगी के अंदर हाथ डालकर सीधा लण्ड पकड़ लूँ और मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दूँ।
मेरी सांस तेजी से चल रही थी जिससे टाइट टीशर्ट में गोल-गोल चूचियां ऊपर नीचे हो रही थीं।
उत्तेजना में चूचियों के निप्पल तन गये थे जो टीशर्ट में साफ दिख रहे थे।
ससुर जी एकदम ललचायी निगाह से मेरी चूचियों को देखते हुए स्कर्ट के अंदर हाथ डाले हुए मेरी नंगी जाघों को सहलाए जा रहे थे।
वे भी समझ चुके थे कि मैंने ब्रा नहीं पहनी है।
हम दोनों क्या बात करें … समझ में नहीं आ रहा था.
साथ ही हम दोनों ही समझ रहे थे कि आगे क्या होना है।
लेकिन कैसे शुरू करें … यह हम दोनों को ही समझ में नहीं आ रहा था।
उत्तेजना के चलते ससुर जी के उनके होंठ सूख गये थे जिसे वह बार-बार जीभ से चाट कर गीला कर रहे थे।
उन्हें बार-बार होंठ चाटते देख मैंने धीरे से पूछा- प्यास लग रही है क्या पापा?
ससुर जी मेरी तरफ देखकर कामुक आवाज में धीरे से बोले- हाँ बेटा, होंठ सूख रहे हैं कुछ पीने का मन कर रहा है।
मैं धीरे से बोली- पानी लाऊँ?
कामुकता में ससुर जी की आवाज कांपने लगी थी, वह मेरी चूचियों की तरफ देखते हुए बोले- पानी नहीं … कुछ और पिला दो बेटा!
मैं भी एकदम मस्त चुदासी हो चुकी थी उत्तेजना के चलते मेरी आवाज भी हल्का से कंपकंपाने लगी थी और मैं धीरे से बोली- दूध पीएंगे?
कामुकता और वासना के चलते मेरा चेहरा गर्म हो गया था और ऐसा लग रहा था कि चूत में चींटियाँ रेंग रहीं हों।
उधर वासना में ससुर जी की आँखें लाल हो गयी थीं और उत्तेजना के चलते वह भी खुद पर काबू नहीं रख पा रहे थे।
वे इतना आगे झुक चुके थे और उनका चेहरा मेरी चूचियों के इतना पास था कि उनकी गर्म साँसों को मैं चूचियों पर महसूस कर रही थी।
वासना के नशे में ससुर जी की आवाज़ भी हल्का सा कंपकंपाने लगी थी।
वे धीमी और कंपकंपाती आवाज में बोले- पिला दो बेटा!
मेरे लिए खुद को रोक पाना अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका था।
मैंने अपने हाथों से टीशर्ट को नीचे से पकड़ा और एक झटके में खींच कर ऊपर कर दिया।
मेरी छलकती हुई नंगी चूचियां ससुर जी के आंखों के सामने थीं।
मैंने एक हाथ से अपनी एक चूची को पकड़ा और दूसरे हाथ को ससुर जी के सिर के पीछे पर रखा और दबाते हुए उनके मुंह को अपनी चूची पर रख दिया और निप्पल को उनके मुंह में डालते हुए धीमे से बोली- दूध पी लीजिए पापा!
ससुर जी अपने मुंह को खोला मेरी निप्पल को मुँह में रखकर चूसने लगे।
मैं अभी भी उनके सिर को पकड़े हुए उनके मुंह को चूचियों पर दबाए हुई थी।
उधर उत्तेजना में ससुर जी ने मेरी स्कर्ट को पूरा ऊपर की तरफ खिसका दिया और मेरी गोरी-गोरी जांघें एकदम नंगी हो गयीं।
वे अब पूरा ऊपर तक हाथ से मेरी जांघों को सहलाते हुए चूची चूसने लगे।
स्कर्ट के अंदर हाथ डाले जांघों को सहलाते हुए उनके हाथ पैंटी तक पहुंच गये।
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फादर इन लॉ पोर्न कहानी का अगला भाग: ससुराल में एक और सुहागरात ससुर जी के साथ- 4
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