रैगिंग ने रंडी बना दिया-69
(Baap Beti Sex Story: Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 69)
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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि जॉन ने अपनी चचेरी बहन फ्लॉरा को चोद कर उसे कुछ ही दिनों में पक्की चुदक्कड़ बना दिया था. अब जॉन वापस अमेरिका चला गया था.
अब आगे हम लोग सुमन की तरफ चलते हैं जहां बाप बेटी सेक्स का खेल चल रहा है.
रात को खाने के बाद गुलशन जी बैठे कुछ हिसाब लगा रहे थे और हेमा किचन में बिज़ी थी. सुमन अच्छी तरह जानती थी कि उसकी माँ किचन से एक घंटे पहले बाहर नहीं आने वाली. वो सारा काम निपटा कर ही बाहर आएंगी और सीधे सोने जाएंगी.
तब सुमन ने सोचा कि अभी कुछ करना चाहिए. वो धीरे से गुलशन जी के पास आकर बैठ गई. जैसा टीना ने उसे समझाया था वो एक पतली सी टी-शर्ट और पजामे में थी. उसके अन्दर उसने कुछ नहीं पहना हुआ था.
गुलशन- तुम्हें कुछ चाहिए क्या सुमन?
सुमन- क्यों.. कुछ चाहिए होगा.. तभी आपके पास आऊंगी क्या? ऐसे नहीं बैठ सकती?
गुलशन- अरे बेटी, तू तो मेरी जान है.. तुझे बैठने से कौन रोक सकता है?
सुमन- पापा पहले आप मुझे गोद में बिठा कर मेरे सर की मालिश करते थे ना.. बहुत अच्छा लगता था. मगर अब तो आप इतने बिज़ी हो गए हो कि मुझ पर ध्यान ही नहीं देते. बस सारा दिन काम काम करते हो.
गुलशन- अरे तब तू छोटी थी.. इसलिए गोद में बैठा लेता था. अब तू बड़ी हो गई है.
सुमन- क्या पापा मैं कहाँ बड़ी हुई हूँ. वैसी ही तो हूँ.. आप बस बहाना कर रहे हो. साफ-साफ बोल दो ना कि आप मुझे प्यार नहीं करते.
गुलशन- अरे ऐसा कुछ नहीं है बेटी.. तुम तो मेरी जान हो. मैं तुमसे प्यार कैसे नहीं करूँगा.. ऐसा हो सकता है क्या?
सुमन- अच्छा ये बात है… तो चलो ये काम को करो साइड में और मुझे पहले की तरह अपनी गोद में बिठा कर मेरी मालिश करो.
गुलशन जी रात को सिर्फ़ लुंगी पहनते थे.. अन्दर कुछ नहीं और आज तो सुमन ने भी कुछ नहीं पहना था. अब गुलशन जी उसे कुछ कह पाते, तब तक वो उनकी गोद में बैठ गई. गुलशन जी का लंड सीधा सुमन की मुलायम गांड के नीचे दब गया.
गुलशन जी कुछ समझ पाते, तब तक सुमन ने दूसरा पासा फेंक दिया- चलो पापा, अब मेरी गर्दन के पीछे से दबाओ, सर की मसाज करो.. जैसे आप पहले करते थे.
सुमन की गांड का स्पर्श पाकर लंड हरकत में आ गया. उसमें धीरे-धीरे तनाव आने लगा क्योंकि लंड और गांड के बीच बस गुलशन जी की लुंगी और सुमन का पतला पजामा ही था. गुलशन जी का लंड अकड़ रहा था, जिसे सुमन ने भी महसूस किया मगर वो तो अनजान बन कर बस अपने पापा को सिड्यूस कर रही थी.
सुमन- अब करो ना पापा.. क्या सोचने लगे?
गुलशन जी की तो हालत देखने लायक थी मगर उन्होंने कुछ ग़लत नहीं सोचा और सुमन की गर्दन पर धीरे-धीरे दबाने लगे.. जैसे पहले करते थे.
सुमन अब किसी ना किसी बहाने हिल रही थी, जिससे गांड का दबाव लंड पे पड़ता और गुलशन जी बस हल्की आह.. करके रह जाते.
सुमन- उफ़ पापा मेरी पीठ पे खुजली हो रही है.. प्लीज़ खुज़ला दो ना आप.
गुलशन जी ने टी-शर्ट के ऊपर से खुज़ाया तो सुमन ने कहा- ऐसे नहीं.. आप मेरी टी-शर्ट ऊपर करके खुजाओ ना.
गुलशन जी ने टी-शर्ट थोड़ी ऊपर की तो सुमन आगे की ओर झुक गई- पापा थोड़ा ऊपर करो ना प्लीज़.
गुलशन- अरे कहाँ.. तू ठीक से बता ना?
सुमन- जहाँ आप कर रहे हो.. उससे थोड़ा ऊपर करो. वहीं खुजली हो रही है.
गुलशन जी का हाथ सुमन की नंगी पीठ पर था.. जब उन्होंने टी-शर्ट और ऊपर की तो वो समझ गए कि सुमन ने ब्रा नहीं पहनी है.
सुमन- आह.. पापा यहीं.. हाँ अच्छे से करो ना.
गुलशन जी का हाथ वहां था, जहाँ ब्रा के स्ट्रीप होते हैं. अब एक बाप के अन्दर धीरे-धीरे शैतान जाग रहा था, वो सोच रहे थे कि सुमन नादान है, इसे क्या पता चलेगा.. थोड़ा मज़ा ले लेना चाहिए.
गुलशन जी ने खुजाते हुए एक उंगली थोड़ी आगे की तरफ़ निकाली. वो शायद सुमन के मम्मों को टच करना चाहते थे मगर बाप और बेटी के बीच इतनी जल्दी ये सब होना बहुत मुश्किल होता है. वो थोड़ा डर भी रहे थे तो बस उन्होंने एक बार कोशिश की, फिर जल्दी से टी-शर्ट नीचे कर दी.
गुलशन- बस हो गई ठीक.. चल अब उठ मुझे काम भी करना है.
सुमन- अरे अभी दो मिनट भी नहीं हुए पापा.. प्लीज़ गर्दन पे करो ना.. आप बहुत अच्छा करते हो, जिससे नींद बहुत अच्छी आती है.
सुमन धीरे-धीरे गांड को हिला रही थी.. जिससे लंड अब बेकाबू हो गया और ऊपर से गुलशन जी ये जान गए कि सुमन ने ब्रा नहीं पहनी और गांड की रगड़ से उनको समझने में देर नहीं लगी कि पैंटी भी नहीं है. अब तो उनका लंड एकदम टाइट हो गया और उसमें दर्द भी होने लगा.
गुलशन- अच्छा करता हूँ, एक मिनट उठ और ठीक से बैठ जा.
सुमन अपने मन में बोली कि पता है पापा.. आपका लंड खड़ा हो गया है, मगर सॉरी पापा इसको खड़ा करूँगी तभी आप किसी के साथ करने को तैयार होंगे.
गुलशन- क्या सोच रही है.. उठ ना एक बार?
सुमन- मैं उठ जाऊंगी तो आप मुझे दोबारा नहीं बैठाओगे.
गुलशन- अरे बैठ जाना तू… अच्छा थोड़ी उठ जा, बस फिर बैठ जाना ओके.
सुमन थोड़ी सी ऊपर हुई तो गुलशन जी ने जल्दी से लंड को एड्जस्ट किया. अब वो लुंगी में तंबू बना रहा था, जैसे ही सुमन बैठी.. उन्होंने लंड को दोनों जाँघों के बीच से आगे निकाल दिया.
सुमन अब तक जो भी कर रही थी, ये उसके लिए आसान नहीं था मगर वो हिम्मत करके सब कर रही थी. मगर जब अपने पापा का लंड उसने सीधे चुत पे महसूस किया तो उसकी जान निकल गई.
गुलशन अपने मन में सोच रहे थे कि उफ़ ये क्या हो रहा है.. मैं अपनी ही बेटी की वजह से गर्म क्यों हो रहा हूँ.. नहीं ये ग़लत है.
सुमन मन में सोच रही थी कि आह.. पापा.. आपका लंड तो बहुत तन गया.. मेरी चुत ने अगर पानी छोड़ दिया तो मेरा पजामा गीला हो जाएगा उफ़ नहीं..
दोनों चुपचाप थे मगर ये चुप्पी ज़्यादा देर नहीं रही क्योंकि टीना ने सुमन को जो टिप्स दी थी, उसमें इससे बहुत ज्यदा था. अब सुमन तो उसे अपनी गॉडफादर मानती थी तो उसकी बात कैसे टालती.
अब सुमन ने ऐसी हरकत कर दी, जिससे गुलशन जी के अन्दर का बाप छुप गया और एक उत्तेजित मर्द बाहर आ गया.
सुमन पीछे मुड़ी और उसने अपने पापा के गाल पे जोरदार किस कर दी और साथ ही साथ अपनी चुत को जल्दी से एक-दो बार लंड पे अच्छे से रगड़ भी दिया- आई लव यू पापा.. आप बहुत अच्छे हो.. रियली आप वर्ल्ड के बेस्ट पापा हो.
गुलशन जी अब अपना कंट्रोल खो चुके थे. उन्होंने भी सुमन को कस के पकड़ लिया और अपना हाथ इस तरह सुमन के पेट पर रखा कि जब वो चाहे बस हल्का सा हाथ ऊपर करते और उस कमसिन कन्या के चूचे छू लेते.
थोड़ी देर ये नाटक चलता रहा. अब दोनों ही ज़्यादा उत्तेजित हो गए थे, सुमन की चुत रिसने लगी थी, अब ज़्यादा देर बैठना ख़तरे से खाली नहीं था और यही हाल गुलशन जी का था. उनको लग रहा था अगर कुछ देर ऐसे ही चलता रहा तो वो अपना आपा खो देंगे और सुमन के मम्मों को मसल देंगे.
सुमन- आह.. पापा.. अपने आज कितने दिनों बाद ऐसे किया, मुझे बहुत अच्छा लगा. अब मुझे जाना चाहिए, आप अपना काम कर लो.
इतना कहते हुए सुमन उठ गई और बहुत आराम से पीछे मुड़ी ताकि गुलशन जी को संभलने का मौका मिल जाए और वो लंड जो तना हुआ है उसे वो छुपा लें.
गुलशन जी ने वैसा ही किया. जल्दी से उन्होंने लुंगी को ऊपर की तरफ़ समेट लिया, जिससे लंड का उभार दिखाई देना बंद हो गया.
सुमन अब गुलशन जी के ठीक सामने खड़ी थी मगर उसने एक ग़लती कर दी उसे जल्दी वहां से निकल जाना चाहिए था क्योंकि चुत की जगह पे हल्का सा गीलापन था और गुलशन जी की नज़र सीधी वहीं चली गई. जब सुमन को ये अहसास हुआ उसके तो पैर वहीं जम गए. अब उससे ना रुकते बन रहा था ना जाने की उसमें हिम्मत आ रही थी.
गुलशन- जाओ सुमन बेटा.. अब सो जाओ.
सुमन- ज्ज..जी पापा बाय.
इससे ज़्यादा सुमन कुछ ना बोल सकी और फ़ौरन वहां से चली गई.
गुलशन- इस लड़की को ये क्या हो गया. बिना ब्रा-पैंटी के मेरी गोद में बैठ गई और इसके नीचे गीलापन हुआ.. कहीं इसने लंड को महसूस तो नहीं किया. नहीं नहीं.. ये मैं क्या सोच रहा हूँ सुमन बच्ची है, ये बस इत्तेफ़ाक से हुआ है.
गुलशन जी काफ़ी देर तक ऐसे ही बड़बड़ाते रहे, फिर हेमा आ गई और वो अपने हिसाब में बिज़ी हो गए.
हेमा- आपको सोना नहीं है क्या जी??
गुलशन- तुम सो जाओ, मुझे थोड़ा काम है.. मैं बाद में सो जाऊंगा.
उधर सुमन सीधे अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई और उस पल को याद करने लगी.
सुमन- आज तो गड़बड़ हो गई.. शायद पापा ने मेरी गीली चुत देख ली.. मगर मैंने ये ठीक किया क्या? अब पापा सारी रात परेशान रहेंगे. माँ तो मानेगी भी नहीं.. काश किसी तरह उनका पानी निकल जाए तो उन्हें थोड़ा सुकून मिल जाए. ये माँ भी ना सेक्स नहीं करती हैं. कम से कम लंड चूस कर ही पापा को शांत कर सकती हैं.. मगर नहीं वो बिल्कुल नहीं करने वालीं.. काश मैं कुछ कर पाती.
सुमन ऐसे ही सोच रही थी अचानक उसे ख्याल आया कि जैसे उसकी अंतरात्मा उसके शरीर से बाहर आ गई और उससे बात कर रही हो.
सुमन की आत्मा- ऐसे क्या सोच रही है? तू खुद क्यों नहीं लंड चूस कर उन्हें सुकून दे देती, ऐसे तो बाहर उस मॉंटी का और संजय का चूस चुकी है. अब तू अपने पापा के लिए पीछे क्यों हट रही है?
सुमन- नहीं ये ग़लत होगा, वो मेरे पापा हैं मैं कैसे उनका लंड चूस सकती हूँ.
सुमन की आत्मा- बस बस ज़्यादा शरीफ मत बन.. उन्हें उकसा रही है उनके लंड पे बैठ सकती है, तो चूसने में क्या हर्ज है.. मैं तुझे कौन सा चुदवाने को बोल रही हूँ.
सुमन- मगर ये कैसे मुमकिन है, मैं कैसे चूस सकती हूँ. उनसे कैसे कहूँ? नहीं ये बहुत मुश्किल है.
बहुत देर तक सुमन ऐसे ही अपने आपसे बातें करती रही. फिर उसने सोचा कि अगर मौका मिल जाए तो शायद वो कुछ करेगी.
दोस्तों, आप मुझे मेरी इस बाप बेटी सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे एक आग्रह है कि आप मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें.
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सेक्स स्टोरी जारी है.
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