सुहागरात में चूत चुदाई-1
सम्भोग के बारे में ज़्यादा कुछ जानती नहीं थी। वैसे मेरी बहन ने उसे पहले ही सब बता दिया था कि मर्द अपना लंड उसकी फुद्दी में डाल कर चोदता है.. पर जब मैंने अपना लौड़ा उसे थमाया और उसने जब उसे देखा, तो वो रोने लगी।
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सम्भोग के बारे में ज़्यादा कुछ जानती नहीं थी। वैसे मेरी बहन ने उसे पहले ही सब बता दिया था कि मर्द अपना लंड उसकी फुद्दी में डाल कर चोदता है.. पर जब मैंने अपना लौड़ा उसे थमाया और उसने जब उसे देखा, तो वो रोने लगी।
Gaand Meri Patakha Bahan Banu ki प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी हैलो दोस्तो.. जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ तो घर पर
‘रत्ना रंडी.. मेरी जान तूने अपने ससुर का लंड बहुत बार लिया है.. रंडी बता और किस-किस का लंड अपनी चूत में खाया है। रत्ना मादरचोदी बहुत सती सावित्री बनती है तू घूँघट निकालती है रण्डी..
मैं तो भाग कर ऊपर आ गई। वो नीचे ही थे और चुपके से ऊपर आकर मैं ऊपर आते ही नंगी हो गई और बाबू जी के खड़े लंड पर जाकर बैठ गई।
बाबू जी मेरे कमरे में आ गए और मेरे पास आकर मुझे छत पर ले गए, बोले- रत्ना मेरी जान.. आज चाँदनी रात है आज यहीं छत पर तुम्हें चोदने का मन हो रहा है।
बहू, तुम भी प्यासी हो और मैं भी प्यासा हूँ। देखो ना.. गोपाल को कितने दिन हो गए और तुम तो अभी जवान हो, सेक्सी गर्म औरत हो।
मैं घाघरा-चोली में बहुत खूबसूरत लगती हूँ क्योंकि मेरे बोबे उस चोली में पूरे नहीं समा पाते थे और मेरी गोरी-गोरी टाँगें भी नंगी ही दिखती थीं, घाघरा घुटनों तक ही आता था।
जब से मैंने अपने ससुर का हलब्बी लौड़ा देखा था और 3 महीने से मेरे पति गोपाल भी यहाँ नहीं थे तो मेरी चूत में भी आग लगी हुई थी।
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी इतनी देर चुदाई के बाद भाभी को पेशाब आ गया था। वो उठ कर गुसलखाने में गईं लेकिन
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।’ भाभी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी भाभी अब बिल्कुल नंगी थी। चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती,
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘सच.. देख राजू, मोटे-तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है। इसको मोटा-तगड़ा बनाए रखना। जब तक
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी थोड़ी देर में भाभी बाहर आईं तो उनके हाथ में वही सफेद कच्छी थी जो उन्होंने अभी-अभी पहनी
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘ओह हो.. बाबा, चूत और क्या।’ भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘तुम्हारी कसम मेरी जान… इतनी फूली हुई चूत को छोड़ कर तो मैं धन्य हो गया हूँ और
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पैन्टी उतारें और मैं उनकी चूत के दर्शन
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी ‘भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती?’ मैंने बहुत
प्रेषक : नामालूम संपादक : जूजा जी भीड़ के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला, ट्रेन में हम दोनों एक ही सीट पर थे।
प्रेषक : नामालूम सम्पादक : जूजा जी मैं आप लोगों के लिए अपनी ज़िंदगी का और खूबसूरत लम्हा एक कहानी के माध्यम से साझा कर
मैंने उसको हर जगह बेतहाशा चूमते हुए उसके पूरे जिस्म पर हाथ फेरना शुरू किया और फिर उसकी चूत की लकीर को सहलाना शुरू कर दिया।
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