एक भाई की वासना -29
जाहिरा सीना तान कर अपनी चूचियों को बाहर को निकालते हुए बोली- देखो.. कितनी बड़ी हो गई हूँ मैं और सुबह भी तो आपने देखा ही था ना.. मैं कोई बच्ची जैसी हूँ?
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जाहिरा सीना तान कर अपनी चूचियों को बाहर को निकालते हुए बोली- देखो.. कितनी बड़ी हो गई हूँ मैं और सुबह भी तो आपने देखा ही था ना.. मैं कोई बच्ची जैसी हूँ?
फैजान की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी।
मैंने महसूस किया कि फैजान नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. जाहिरा.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
फैजान की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने जाहिरा के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया।
एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए जाहिरा के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
रात को फैजान को मैंने बीच में लिटाया और अगल बगल हम दोनों लेटी. मैंने फैजान को खूब गर्म करके बीच में छोड़ दिया तो तंग हो कर वो जाहिरा के बदन को सहलाने लगा.
अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में जाहिरा तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था…
मैं सोच रही थी कि अब क्या किया जाए जिससे फैजान को अपनी बहन के क़रीब आने का और मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने, भोगने का भरपूर मौका मिल सके।
मैं हिली तो फ़ैजान सोने का नाटक करने लगा। मैं बाथरूम गई तो फ़ैजान फ़िर अपनी बहन को चूमने लगा। मैं बाथरूम से आकर फ़ैजान के ऊपर लेट कर उसे चूमने लगी और चुदाई की।
मैंने आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ, जाहिरा की आँखें भी बंद थीं। मुझे जाहिरा की दूसरी तरफ फैजान हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
जाहिरा ने मेरा दिया हुआ लिबास पहना, उसकी चिकनी गोरी टांगें घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थी, स्लीवलैस शर्ट में गोरी नंगी बाहें और ब्रा की स्टैप दिख रहे थे।
मैं चाह रही थी कि फ़ैजान अपनी बहन की चूत को छुए पर जाहिरा ने अपने भाई की हरकतों से बचने के लिये मेरी तरफ़ करवट ले ली और मुझे बाहों में भर लिया। अगले दिन मैंने अपनी कैपरी जाहिरा को पहनने के लिये दी।
जाहिरा के जिस्म से चिपकी हुई उसकी चमड़ी के रंग की लेग्गी ऐसी ही लग रही थी.. जैसे कि उसकी चमड़ी ही हो। फैजान ने अपना हाथ आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
अगली दोपहर को फ़ैजान आ गये और हम तीनों ए सी वाले बेडरूम में लेट गये। तभी मैंने देखा कि फैजान ने अपना हाथ मेरे ऊपर से होता हुआ जाहिरा की नंगी बाज़ू पर रख दिया
जाहिरा अपने भाई के सीने से लगी सो रही थी, मैंने फैजान का लंड सहला कर खड़ा कर दिया तो भाई का लंड बहन की जाँघों में घुसने लगा. तभी फैजान का हाथ जाहिरा की चूची पर आ गया.
एक रात हम सोये हुए थे, मेरी नींद खुली, मैंने फ़ैजान का हाथ जाहिरा की चूची पर रख दिया। ऐसे ही एक रात जागते हुए मैंने फ़ैजान का हाथ जाहिरा के पेट पे रख दिया… और एक रात…
फ़ैजान की लाई हुई ब्रा मैंने उसकी बहन को दिखाई तो शर्म से लाल हो गई। फ़िर हमने बेडरूम में ए सी लगवाया तो जाहिरा को हमारे साथ हमारे डबलबेड पर सोने को कहा।
फैजान ने ब्रा को अपनी चेहरे पर फेरा और अपनी नाक से लगा कर सूंघा जैसे उसमें अपनी बहन की चूचियों को सूंघ रहा हो। फ़िर मैंने उसे जाहिरा के लिये ब्रा खरीद लाने को कहा !
जाहिरा चाय लेकर आई तो मैं फ़ैजान की नंगी टाँगों पर हाथ फ़ेर रही थी। जाहिरा ने रसोई में जाकर मुझे बेशर्म कहा। उसके बाद बेडरूम में फ़ैजान ने मुझे अपने आगोश में खींच लिया।
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