सामूहिक चुदाई का आनन्द-1
यह कहानी किसी और ने मुझे भेजी है, आप उसी के शब्दों में इस कहानी का आनन्द लें। मेरा नाम विभा है, मेरे पति नरेन
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यह कहानी किसी और ने मुझे भेजी है, आप उसी के शब्दों में इस कहानी का आनन्द लें। मेरा नाम विभा है, मेरे पति नरेन
प्रेषक : जूजा जी तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..! मेरा लण्ड गनगना गया,
प्रेषक : जूजा जी मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की
प्रेषक : जूजा जी सीमा ने बडे़ ही मादक अन्दाज से सिगरेट का एक कश खींचा और मुझसे बोली- तुम्हारा डण्डा तो बहुत मजेदार है।
प्रेषक : जूजा जी यह बात उस समय की है, जब मैं 18 साल का एक नवयुवक था। मेरा शारीरिक सौष्ठव काफी सुदृढ़ था। मैं
प्रेषक : जूजा जी यह घटना मेरे जीवन के कामुक दरिया की एक लहर है, परोस रहा हूँ, कैसी लगी, जरूर बताइएगा। मैं किसी काम
उसकी चूत बिल्कुल एक अनचुदी और अनछुई थी। चूत की दोनों फाँकें चिपकी हुई थीं। दरार के बीच में चने के दाने सा उभरा हुआ उसकी भगनासा, उसकी भगन को देख कर मुझे कमलगटा के बीज की याद आ जाती है जो हरे रँग का होता है.
मेरे नौकर की बीवी कमाल की लड़की है. देखने में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लगती है. उसकी टाँगें केले के तने की तरह, कमर पतली और लहरदार, भारी नितम्ब, उठावदार चूचियाँ जैसे दो उन्मत्त पर्वत शिखर, जो ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को आतुर हों, सुराही की तरह गला, कोमल से हाथ, लाल गुलाबी होंठ, सुतवां नाक, कमल पंखुरियों से नयन, चौड़ा माथा, घने काले बाल, जिसमें फँस कर कोई भी अपने होश गवां बैठे. उस लड़की को देख कर बड़े-बड़ों के होश गुम हो जाएँ.
आपने मेरी कहानियों को इतने चाव से पढ़ा और सराहा और मुझे आप लोगों के सैकड़ों की तादाद में ईमेल आईं। मुझे इसकी उम्मीद ही
मेरी कहानियों को पढ़ कर एक मोहतरमा ने मुझसे कहा- मेरी कहानी को आप हिंदी में लिख दीजिए। उसने मुझे खुद के साथ गुजरा वाकया
लेखक : जूजा जी यह कहानी उन दिनों की है, जब मुझ पर नयी-नयी जवानी चढ़ी थी, ईश्वर की कृपा से खूबसूरत व्यक्तित्व पाया था,
किशन अपने दोस्त किरायेदार की बहन निशा को चोदने के लिए बेताब था। वो फ्रिज से मक्खन उठा लाया और अपने सुपारे पर लगाने लगा।
करीब 20 मिनट की मस्त चुदाई लीला के बाद किशन ने अपना माल सविता की चूत में छोड़ दिया चुदाई के बाद किशन ने सविता
लेखक : जूजा जी “निशा जल्दी करो, स्कूल के लिए देर हो रही है !” कहते हुये किशन अपने किरायेदार राजेन्द्र सिंह की बहन के
मैं अपनी सहेली की उत्तेजना पर मुस्कुरा पड़ी- ठीक है रानी, पहले एक एक पेग और हो जाए ! पहले पेग पीएँगे फिर मैं तुझे
आप इसे मेरी कहानी न समझें दरअसल मुझे एक महिला मित्र ने फेसबुक पर चैट के दौरान मुझसे कहा था कि यदि मैं उसकी इस
प्रेषक : ज़ूज़ा जी मैंने कई बार सोचा कि मैं भी अपने अनुभव आपको सुनाऊँ, पर हर बार सोच कर रह जाता था, अभी रात
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