यह कैसा मोड़-2
प्रेषक : विजय पण्डित “यह तो गार्डन है… किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी…” “तो फिर…?” “मौका तलाशते हैं… किसी होटल में चलें…?”
Hindi Sex Stories » Archives for विजय पण्डित
प्रेषक : विजय पण्डित “यह तो गार्डन है… किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी…” “तो फिर…?” “मौका तलाशते हैं… किसी होटल में चलें…?”
प्रेषक : विजय पण्डित सिनेमा हॉल में महक का हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया। मुझे एक झटका सा लगा। मैंने धीरे से महक
प्रेषक : विजय पण्डित विजय शर्मा, अपना पहली चुदाई का सच्चा अनुभव बता रहे हैं। उन्हीं की जुबानी और मेरी लेखनी, कुछ इस तरह से
कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से मैं बोर हो कर ही अपने घर को कानपुर चल पड़ा. हड़ताल के कारण कई दिनो से मेरा
प्रेषक : विजय पण्डित “आह रे, मर जावां रे… विजय, तुझे तो मुझ पर रहम भी नहीं आता?” उसकी सेक्स में बेचैनी उभर रही थी।
प्रेषक : विजय पण्डित मेरी उम्र 24 वर्ष की हो चली थी। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी। अब तक की जिन्दगी में मैंने
मेरी चाची मेरे साथ खूब खुल गई थी, मुझे बहुत प्यार करती थी. लेकिन चाची चोदने नहीं देती थी. एक बार मैंने चाची की चुदाई कर ही दी पर वो चुदाई अधूरी ही रही.
विजय पण्डित उसकी बड़ी बड़ी आँखें धीरे से खुली और सिसकते हुये बोली- मत देखो मुझे, आह्ह्ह्ह … मैं चुद रही हूँ … आ जाओ,
प्रेषक : विजय पण्डित हम दोनों पड़ोसी थे, एक ही कॉलेज में और एक ही क्लास में पढ़ते थे। नोटस की अदला-बदली पढ़ाई में मदद,
प्रेषक : विजय पण्डित मेरे पुरखे काफ़ी सम्पत्ति छोड़ गये थे। मेरे पिता की मृत्यु छः-सात साल पहले हो चुकी थी। मेरी मम्मी और उनके
विजय पण्डित घर में हम तीन लोग ही रहते थे- मैं, मेरी भाभी और भैया। मेरा अधिकतर समय कॉलेज में या खेलने कूदने में ही
विजय पण्डित रूपा और कविता दोनों ही एक साथ आशू से कैसे चुदी- यह आप पहले भाग भाग में पढ़ चुके हैं ! राजेश ने
रूपा और कविता दोनों ही एक साथ आशू से कैसे चुदी- यह आप कलयुग की लैला के पहले भाग में पढ़ चुके हैं ! अब
अंधेरे में एक साया एक घर के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले
शादी के बाद दीदी और सेक्सी लगने लगी थी। उसकी चूचियां भारी हो गई थी, उसके चूतड़ और भर कर मस्त लचीले और गोल गोल से हो गये थे जो कमर के नीचे उसके कूल्हे मटकी से लगते थे।
विजय पण्डित अहमदाबाद एक बहुत बड़ा शहर है, साबरमती के कारण उसकी सुन्दरता और बढ़ जाती है। मैं बिजनेस के सिलसिले में यहा आया था।
लेखक : विजय पन्डित मैं कॉलेज में आ चुका था। मेरे एक पुराना दोस्त मेरे साथ में मेरे घर में रहता था। हम दोनो पक्के
मेरी भाभी की उम्र 21 साल की थी, और मैं 18 साल का था। भाभी ने बीए फ़ाईनल की परीक्षा दी थी और मुझे रिजल्ट
भाभी मुझसे लगभग बारह साल बड़ी थी। मैं उस समय कोई 18-19 साल का था। घर पर सभी मुझे बाबू कह कर बुलाते थे। भाभी
लेखक : विजय पंडित मेरा नाम जय कुमार, उम्र बीस वर्ष है। मेरे पापा दुबई में एक पांच सितारा होटल में काम करते हैं। पापा
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