चुद गई अन्तर्वासना की दीवानी-2
नीलम मेरे लंड को सहलाते हुए मुझसे बोली- साजन जी, अब तो आप अपनी और मेरी कहानी लिखोगे न? मैंने नीलम से कहा- हाँ जान,
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नीलम मेरे लंड को सहलाते हुए मुझसे बोली- साजन जी, अब तो आप अपनी और मेरी कहानी लिखोगे न? मैंने नीलम से कहा- हाँ जान,
नीलम ने अपने एक हाथ से मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी मेरा लंड सहलाते हुये अपना हाथ ऊपर मेरे सीने पर ले जाकर, नीलम मेरे ऊपर आ गई और घुटनों के बल खड़ी होकर मेरे ऊपर झुक गई।
मयूरी की ब्रा नीचे होते ही मेरे होंठ उसकी नंगी चूची पर आ गए फिर मैंने उसकी चूची को चूसते हुए उसकी शर्ट को उसके
दीप ने मुझसे कहा- भाई आप ऊपर वाले कमरे में चले जाओ, मैं पता करके आती हूँ ! कहीं ऐसा न हो कि मयूरी की
मुझे मयूरी से मिले हुए दो दिन हो गए थे हमें ऐसा कोई अवसर नहीं मिला पर हाँ हम एक दूसरे को देख जरूर लेते
अब तक मैंने उसकी हाफ पेंट के बटन खोल दिये थे, जैसे ही हाफ पेंट के बटन खुले तो वो नीचे सरक कर उसके पैरों
दीप के जाने के बाद मैंने किताब को एक तरफ रखी और मयूरी के पास पहुँचा, उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ कर उससे पूछा-
दीप ने मयूरी के कान में कहा- क्यों क्या हुआ? पसंद नहीं आये क्या मेरे भैया? मयूरी- नहीं ऐसी बात नहीं है। दीप- फिर जाओ
सुनीता की शादी होने के बाद एक बार फिर से मैं तन्हा हो गया था, मैं चाहकर भी सुधा या सुनीता से नहीं मिल सकता
सुनीता का एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ रखा था, जो उसकी सलवार के अन्दर
सुनीता मेरे मुंह पर ही झड़ गई, मैंने चाट चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी, उसकी चूत चूसते हुए लंड तो मेरा भी खड़ा
दोस्तो, ‘साजन का अधूरा प्यार’ लिखने के बाद मुझे आपके बहुत से मेल आये और अभी तक भी आ रहे हैं, आप सभी ने अपनी
एक बार फिर मैं अपनी नई कहानी लेकर आपसे रूबरू हो रहा हूँ, यह कहानी असल में मेरा एक सपना है, जो मैंने अभी तीन–चार
प्रेषक : साजन तभी अन्दर से दीदी की आवाज मेरे कानों में पड़ी- वि.. .अम्म्म.. म्म्म्ह.. आआ आआआ.. आआअऊऊ..ऊऊऊओयीईई.. मेरा हो रहा है ! और
प्रेषक : साजन आपके बहुत से मेल भी आये और मैंने सभी मेल के जवाब भी दिए और कमेंटस भी बहुत आये जिनमें कुछ लोगों
फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला दिया, अब मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। मुझे पता था कि यह जाग रही है।
जैसे ही मैंने उसकी सलवार नीचे की तो उसने करवट ले ली मेरी समझ में यह नहीं आया कि इसने करवट क्यों ले ली !
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