सास विहीन घर की बहू की लघु आत्मकथा-4
मेरी एक सहेली मुझे अपने प्रसव के समय क्या हुआ, उसके ससुर ने कैसे एक नर्स की भान्ति सेवा की, बता रही है कि कैसे उसने अपने ससुर के सामने लज्जा, संकोच और असहजता पर काबू किया.
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मेरी एक सहेली मुझे अपने प्रसव के समय क्या हुआ, उसके ससुर ने कैसे एक नर्स की भान्ति सेवा की, बता रही है कि कैसे उसने अपने ससुर के सामने लज्जा, संकोच और असहजता पर काबू किया.
मेरे द्वारा टांगें चौड़ी करते ही ससुर जी ने मेरे गाउन को कमर तक ऊँचा किया और मेरी टांगों के बीच में बैठ कर टांकों और आसपास मरहम लगा दी। उसके बाद उन्होंने मेरी योनि के ऊपर सही तरीके से सैनिटरी पैड रखा.
ससुर जी के सामने डॉक्टर द्वारा मेरी योनि के बाल साफ़ करते समय उस पर हाथ लगाना तथा उसके होंठों को पकड़ कर फैलाते हुए उन पर रेजर चला कर बाल साफ़ करने पर मुझे बहुत संकोच होता रहा।
यह कहानी है एक ऐसी बहू की जिसकी सास नहीं है. घर में सिर्फ पति और ससुर हैं. बहू गर्भवती है और डिलीवरी का समय पास आ चुका है. पति को लम्बी अवधि के लिए विदेश जाना पड़ गया. ऐसे में क्या क्या घटित हुआ, पढ़ें!
तरुण अपने होंठों पर लगे योनि-रस पर जीभ फेरता हुआ उठा और मुझे सीधा लिटा कर मेरी टांगें को चौड़ी कर के उनके बीच में बैठ गया. मैं इसके लिए तैयार थी.
जब तौलिया बाँध कर जांघिये को उतारता या पहनता तब मुझे उसका वह सुन्दर एवं आकर्षक नग्न लिंग दिख जाता तब मेरा मन उसे पाने के लिए विचलित हो उठता.
यह देसी कहानी है एक विपदा में उजड़ी एक नन्हे बच्चे की माँ की जिसे एक रिटायर्ड फ़ौजी ने सहारा दिया और उसके बच्चे को अपना नाम दिया.
माँ और बेटे के बीच में कोई किसी का कृतज्ञ नहीं होता। एक माँ को अगर अपनी संतान की रक्षा के लिए काल का भी सामना करना पड़े तो वह उसमे भी पीछे नहीं हटेगी।
उसके सीने पर मेरे उरोजों की चुभन और उसके होंठों पर मेरे चुम्बनों की मिठास ने उसकी वासना को बहुत भड़का दिया था जिस कारण वह अपना संयम खो बैठा।
काम से थके पति ने पत्नी को पड़ोसी एकल पुरुष से सेक्स की राह दिखाई। पत्नी भी खुशी खुशी अपने से बड़ी उम्र के पुरुष संग यौन सम्बन्ध बनाने को आतुर हो गई।
काम से थके पति से निराश एक पत्नी की व्यथा है यह… पति ने पत्नी को यौन सन्तुष्टि देने में असमर्थता जाहिर करते हुए उसे किसी गैर मर्द से सेक्स की सलाह दे डाली।
नारी को जब पति से पूरा यौन सुख नहीं मिलता तो इस आनन्द की तलाश में वो रिश्ते नाते ताक पर रख कर भी इसे प्राप्त कर लेती है। ऐसा ही कुछ इस कहानी में है।
पन्द्रह मिनट के तेज़ घर्षण के अंत में संजीव ने एक बार फिर मेरी टाँगें ऊपर करके मेरे हाथों में थमा दी और जोर से एक धक्का लगा कर अपने लिंग-मुंड को मेरे गर्भाशय में घुसा दिया।
पति में कमी के कारण लेखिका ने गर्भधारण के लिए अपनी परम सखी से उसके पति की मदद मांगी जिसे उसकी सखी ने अपने पति से बात करके स्वीकार कर लिया और सारी बात हो गई।
पति में कमी के कारण लेखिका गर्भधारण नहीं कर पा रही थी तो उसने अपनी परम सखी से ऐसी मदद मांगी जिसे उसकी सखी के लिये स्वीकार करने का निर्णय लेना अति दुष्कर था।
मैं एकल जीवन बिता रही थी, मेरी नवविवाहिता बहन अपने पति संग रहने आई. एक रात वो माँ के साथ सो गई. मैं रात को मूत्र त्याग के लिए गई तो देखा कि मेरे बहनोई बाथरूम में हस्तमैथुन कर रहे थे…
गर्भधारण के बाद जब डॉक्टर ने हमें सेक्स करने से मना कर दिया तो मेरे पति बहुत परेशान हो गये। हमारे साथ ही रहने वाली हमारी चाची ने परेशान देख मेरी समस्या हल की। कैसे? इस कहानी में…
पति की बिमारी एवं उनके निधन के कारण पिछले पांच वर्ष में मुझे किसी भी पुरुष के लिंग को देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए रोहन के तने हुए लिंग को देखते ही मन में एक लालसा जाग उठी।
बाल्यावस्था में मैं अपने भतीजे को अपने वक्ष से दूध पिलाया करती थी, उससे खूब बातें करती थी। तभी के दिये एक वचन के पालन में मैंने खुद को उसके अर्पण कर दिया।
अपने जीवन की जिस घटना का मैं उल्लेख कर रही हूँ वह मेरे साथ लगभग दो वर्ष पहले ही घटी थी लेकिन उसका आधार मेरी नासमझी के कारण लगभग बीस वर्ष पहले रखा गया था।
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