मुझे लंड का चस्का लग चुका था, गांड मराये काफ़ी दिन हो गए थे, मैं अपनी प्यास बुझाने को लोगों को खोज रहा था पर कोई ढंग का मिला नहीं. एक दिन मेरे भाई का दोस्त हमारे घर रुका तो!
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