चूत की आग के लिए मैं क्या करती-10
सुनीता ने सुनील का लिंग मुँह में ले लिया, मैंने रवि का! सुशील अकेला था तो सुनील ने उसको पास बुलाया और सुनील ने सुशील
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सुनीता ने सुनील का लिंग मुँह में ले लिया, मैंने रवि का! सुशील अकेला था तो सुनील ने उसको पास बुलाया और सुनील ने सुशील
फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा। सुनीता- अब यह सुशील कौन है? मैंने
प्रेषिका : सुरभि तिवारी सुनील आ गया। मैंने उन दोनों का परिचय करवाया। खाना बना हुआ था, हमने साथ बैठ कर खाना खाया। बात करते
जब मैंने टाइम देखने के लिए फोन उठाया तो पता चला कि मेरा फोन तो चालू ही रह गया था और शायद विनोद ने बात
घंटी बजी, दरवाजा खोला तो दूध वाला था। दूध लिया, बाहर देखा तो सुशील मेरी तरफ़ ही देख रहा था, मैंने उसको कहा- सुशील, चाय
विनोद बोला- हाँ! आज मैं कोशिश करूँगा कि तुमको चरम तक पहुँचा दूँ! और एक बार और हम सेक्स करने लगे। विनोद ने आज जादू
वो मुझे गोद में उठाकर अंदर आ गया, आते ही उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरी चूत चाटने लगा। मुझे लगा कि आज विनोद नहीं और कोई मेरे साथ सेक्स कर रहा है!
सुशील ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ! माँ को कह आता हूँ कि विनोद भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर
सुनील ने कहा- भाभी, अब तुम कभी प्यासी नहीं रहोगी, अब तुम जब भी बुलाओगी, आपका यह सेवक हाजिर रहेगा! विनोद के आने के बाद
मेरा नाम सुरभि है, वैसे तो मैं अन्तर्वासना की कहानियों को नहीं जानती थी पर एक बार मेरे किसी दोस्त ने चैटिंग करते हुए इसके
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