सम्भोग से आत्मदर्शन-12
वाकयी यह बहुत ही कामुक दृश्य था पर मेरी आँखें इसलिए भी बंद हो गई क्योंकि मैंने अपनी चूत में दो उंगलियाँ पूरी अंदर तक घुसा रखी थी और अब कामुकता की वजह से तीसरी उंगली भी घुसाने का प्रयास कर रही थी।
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वाकयी यह बहुत ही कामुक दृश्य था पर मेरी आँखें इसलिए भी बंद हो गई क्योंकि मैंने अपनी चूत में दो उंगलियाँ पूरी अंदर तक घुसा रखी थी और अब कामुकता की वजह से तीसरी उंगली भी घुसाने का प्रयास कर रही थी।
राणा वहीं लेट गया और कुंती को अपने ऊपर आकर चुदाई करने को कहा, मैं दम साधे देखने लगी कि ‘हे भगवान… मेरी सहेली की चूत कहीं फट तो नहीं जायेगी।’
पर ध्यान आया कि ये पहली बार तो है नहीं जो चूत फट जायेगी।
मेरी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। पहले कम उम्र में ही शादी कर दी जाती थी, इसी वजह से मैंने अपनी शादी के शुरुआती दिनों में बहुत तकलीफें उठाई, शादी के पहले मैं जवानी के खेल से बिल्कुल अनजान थी, पर धीरे धीरे उम्र की खुमारी बढ़ती गई और पति के साथ भरपूर सेक्स खुशियाँ पाने के बावजूद मेरा मन जवान अच्छे या तगड़े पुरुषों के लिए भटक ही जाता था.
सेक्स तन की मूल आवश्यकताओं में से एक है, उसके पूरा होते ही एक अलग ही सुख और शांति का अनुभव होता है. सही तरीके के सहवास के लिए आपको शरीर और आत्म ज्ञान का होना मतलब सामने वाले की सोच को पढ़ने की क्षमता और खुद की इच्छा और भावना को जान कर प्रकट करने का तरीका हो यहीं से आत्म दर्शन होता है।
आंटी ने कहा- तुम मेरे सपने देखना छोड़ दो, जैसे तैसे मैं उमर काट लूंगी इस उम्र में राह भटकने का मेरा कोई इरादा नहीं। अब चलो, मालिश करने में छोटी को लाने पकड़ने में मेरी मदद करो।
आंटी की हालत मेरे लिंग को देखकर खराब होना स्वाभाविक था, आंटी की आँखों में एक चमक थी, वे अपने एक पैर के ऊपर दूसरे पैर को रख कर खुद की वासना संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
अब तक आपने इस कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने तनु के साथ पहली बार सेक्स कर लिया था. अब उसकी मम्मी से बात कर
मैंने हल्का झटका दिया, इससे लिंग लगभग आधे से ज्यादा योनि में समा गया और अब तनु ने खुद अपनी कमर को आगे धकेल दिया और हाथ आगे बढ़ाकर मेरी कमर अपनी ओर खींच ली. सिस्स्स… की एक कामुक ध्वनि के साथ ही तनु की आँखें बंद हो गई और बंद आँखों के किनारे से गालों पर खुशी के मोती आँसू बन कर ढलक आये।
मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और तनु ने अपनी ब्रा उतार दी। ब्रा और पेटीकोट उतरते ही मेरा खुद पर काबू कर पाना मुश्किल होने लगा, मैंने सीधे अब तक कामरस से भीग चुकी उसकी पेंटी के ऊपर, उसकी योनि की जगह पर अपना मुंह इस तरह लगा दिया जैसे मैं कुछ सूँघने का प्रयास कर रहा हूँ। क्योंकि जितना प्यारा कामरस होता है उतनी ही मधुर उसकी महक होती है।
मैंने तनु को कहा- क्यों ना तुम और मैं छोटी और तुम्हारी माँ के सामने वासना का ये खेल खेलें! इससे छोटी का इलाज भी हो जायेगा और आँटी हमसे खुल जायेगी तो अपनी प्यास भी बुझा लेगी।
तनु भाभी ने कभी अपनी माँ की खूबसूरती का जिक्र क्यों नहीं किया। यही सोच रहा था कि मुझे हँसी आ गई और मैंने अपने ही सर पे एक चपत लगाते हुए खुद से कहा ‘पगले, कोई अपनी माँ के बारे में यह थोड़े ना कहता है कि वो कामुक है और तुम्हारे भोगने लायक है।’
यह मेरी पिछली कहानी गलतफहमी का ही आगे का भाग है, जिन पाठकों में वो कहानी नहीं पढ़ी, कृपया एक बार पढ़ लेवें, तभी आप लोगों को इस कहानी का पूरा आनंद मिल पायेगा।
मैंने भाभी को गले लगाया और माथे पर चूम कर कहा- भाभी, मैं आपको चोदूंगा जरूर और खूब चोदूंगा, पर मैं इतना कमीना नहीं हूँ कि किसी बेबस की चूत का भूखा रहूँ।
मैं कुछ कह भी तो नहीं सकती थी क्योंकि मेरे मुंह में तो लंड था, अगर कह सकती तो कहती कि तुम लोगों के अंदर जितना दम है आज पूरा दम लगा कर चोदो!
मैं अपने बॉयफ्रेंड से अपनी हिंदी चुत चुदाने उसके रूम में आई सजधज कर… लेकिन वहाँ वो नहीं उसके तीन रूम मेट मिले. कामुकता के आवेश में तीनों से मैंने चुदाई करवा ली.
हम दो सहेलियाँ अपने टीचर से चुदाई कर रही है, मेरी सहेली को तो टीचर पहले बहुत बार चोद चुके थे लेकिन मेरी चूत की चुदाई पहली बार होने वाली थी.
आज दोनों सहेलियाँ अपने टीचर से एक साथ चुदाई को बेचैन थी. टीचर भी अपनी नई स्टूडेंट की चुत चुदाई के लिए आतुर हो रहा था.
मैंने बिस्तर के कोने पर अपने चूतड़ रखे और गुलाबजल की बोतल को चूत में एक सीत्कार के साथ डाल लिया, और आंखें बंद करके आगे पीछे करने लगी.
वो मेरे पास आई और मेरे मम्मों को छूते हुए कहा- देखा, मैंने कहा था ना कि सेक्स के बाद तू हम लोगों से ज्यादा निखर जायेगी! बता तूने किससे सेक्स किया?
इंडियन कॉलेज गर्ल अपनी चुदाई के लिए आतुर है और मौक़ा ढूँढ रही है, आखिर उसे सहेली के घर में अपने यार से चूत चुदाई का मौक़ा मिल गया. पढ़ कर मजा लें!
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