उसने कहा- और बर्दाश्त नहीं होता अब. बाकी चीजें हम बाद में करेंगे. उसके लिए हमारे पास बहुत वक़्त है. लेकिन सबसे पहले मैं तुम्हें अन्दर महसूस करना चाहती हूँ.
शबनम ने आधे खुले होंठों के साथ अंकित की आँखों में गहराई से देखा. उसकी आँखें इच्छाओं की आग से जल रही थीं. अंकित को पाने की इच्छा. इस बार और हर बार पूरी होने की इच्छा.
जब से उसने अपने बेटे के दोस्त का लंड देखा था, वो उसे भुला नहीं पा रही थी. शायद वो उसको पाना चाहती थी. लेकिन बेटे का दोस्त तो बेटा ही होता है न! तो क्या करे वो?
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