शहर में आकर गाण्ड मराई 04-12-2007 प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया मैं गांव छोड़ कर कॉलेज की पढ़ाई करने के लिये शहर आ गया था। यहाँ शहर में मैं अपने चाचा पूरी कहानी पढ़ें »
सेवक रामजी 14-03-2007 प्रेषक : प्रेम सिह सिसोदिया मेरी नौकरी एक घर में लग गई थी। मैं यहाँ घर का सारा काम करता था, मसलन- भोजन पकाना, घर पूरी कहानी पढ़ें »
जीजू और दीदी का प्यार 22-11-2006 प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया मुझे यह कहानी मेरे एक दोस्त ने भेजी है, जिन्होंने प्रार्थना की है कि उनका नाम नहीं बताया जाये। उन्हीं पूरी कहानी पढ़ें »
देवर भाभी 31-07-2006 प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया मेरी नौकरी शहर में लगने के कारण मेरे भैया ने मुझे शहर में बुला लिया था। मैं एक प्राईवेट संस्था पूरी कहानी पढ़ें »