बेबी डॉल मैं सोने दी..
बड़े शहरों की लड़कियाँ जंक फ़ूड खाते-खाते मोटी होती जा रही हैं। मोटी लड़कियां कितना भी मेकअप करें.. कितना भी अंग्रेजी बोलें.. चुदाई में मज़ा नहीं देतीं.. जितना कि सावी जैसी देसी माल मजा देती हैं।
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बड़े शहरों की लड़कियाँ जंक फ़ूड खाते-खाते मोटी होती जा रही हैं। मोटी लड़कियां कितना भी मेकअप करें.. कितना भी अंग्रेजी बोलें.. चुदाई में मज़ा नहीं देतीं.. जितना कि सावी जैसी देसी माल मजा देती हैं।
प्रेषक : देवव्रत मैं देवव्रत, लखनऊ के अलीगंज में रहता हूँ। यह मेरी आपबीती है जो श्रेया आहूजा के ज़रिये मैं आप को बताना चाहूँगा।
उसके साँवले गोल-गोल चूतड़ एकदम दमक रहे थे। जब मैंने उसकी गांड को दो उँगलियों से फैलाई, तब मैंने एक काला सा मल-द्वार देखा और फिर अंदर गुलाबी छिद्र था।
रमित बड़े प्यार से मम्मे चूस रहा था, फिर उसने पैंटी खोली, जाहन्वी की चूत हमेशा की तरह गीली थी, रमित चूत फैला फैला कर देख रहा था, अब जाहन्वी की चूत चाटने लगा।
श्रेया आहूजा का सलाम, नमस्ते! बहुत दिन हुए कुछ अपनी आपबीती सुनाये तो सोचा आप सबसे शेयर करूँ यह आपबीती! भारी पब्लिक डिमांड पर मैं
हमेशा की तरह कामुक आपबीती लेकर एक बार फिर हाजिर हूँ आपके सामने ! पहले तो शुक्रिया मेरी सारी कहानियाँ पढ़ने के लिए ! कई
और क्या हाल हैं जी? आपकी श्रेया आहूजा एक बार फिर आपके सामने हाज़िर है एक दोस्त की आपबीती लेकर ! यह कथा है मेरे
श्रेया आहूजा का आप सबको मनस्कार ! यह कहानी मेरे पड़ोसी की है। हम दोनों काफी आत्मीय हैं तो उसने यह आपबीती मुझे सुनाई… वही
यह आपबीती मेरे एक सीनियर की है जिनका नाम अजय जायसवाल है। जायसवाल साहब एक बड़ी कंपनी के मैनेजर है जहाँ मैं बतौर रिसेप्शनिस्ट काम
यह आपबीती मुझे मेरे दोस्त जय पाण्डेय ने भेजी है… और मैं जानती हूँ कि यह शत प्रतिशत सही है। तो पेश है आपबीती… ‘मुझे
श्रेया आहूजा का आप सभी को सलाम ! यह आपबीती है मेरे चचेरे भाई बल्लू की जो कटनी, मध्यप्रदेश में रहता है। इस आपबीती को
लेखिका : श्रेया अहूजा हाय श्रेया मैं देव… डिग्री कॉलेज वाला देव भटनागर ! सोचा बहुत दिन हो गए, बात नहीं हुई ! आखरी बार
उस दिन घर आकर मैंने दसियों बार ब्रश किया होगा… अब मेरा भाभी से और दानिश से कोई लेना देना नहीं था… महीनों बीत गए
जब मैं अट्ठारह साल की थी, मेरे कूल्हे बड़े हो रहे थे… मेरे मम्मे भी बड़े हो रहे थे… सेक्स क्या होता है मुझे अच्छे से पता था.. मेरे दोस्त हुआ करते थे दानिश, रौनक और संजय। एक शाम हम चारों लुक्का-छुप्पी खेल रहे थे…
मैं श्रेया आहूजा आपके सामने फिर पेश हूँ इस बार आपबीती लेकर ! सबसे पहले तो आप सबका शुक्रिया कि आपने मेरे कहानियों को इतना
उस भिखारी को मैंने अन्दर बुला लिया… फिर उसके सामने मैं अपनी ब्रा खोल कर खड़ी हो गई! मैंने नीचे जीन्स पहनी हुई थी! मैंने उसके सामने अपने उरोज पेश किए और एक चूचा उसके मुँह में डाल दिया!
सबसे पहले पाठकों को श्रेया का नमस्कार ! माफ़ी चाहूंगी कि मैं इतने दिनों के बाद आपके सामने अपनी नई कहानी लेकर आई। क्या करती?
लेखिका : श्रेया अहूजा शाम के समय हर रोज मैं श्रेया, पीयू और निशा बायलोजी पढ़ने कालेज कैम्पस में ही सर के घर जाते थे।
दोस्तो, मैं श्रेया आहूजा एक बार फिर आपके सामने पेश हूँ !! इतने दिन तक गायब रहने का कारण मेरे भाई की शादी थी !
हेलो दोस्तो, आपको श्रेया का नमस्कार… फिर से आपके सामने पेश है एक लण्ड कठोरी फ़ुद्दी पिपासु कहानी! यह कथा है मेरी सहेली जूली की
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