तड़पती जवानी नीलिमा की
मैंने जाकर घण्टी बजाई तो उस क़यामत ने दरवाज़ा खोला जिसका नाम नीलिमा है। उसको देखा तो मैं देखता ही रह गया। नीलिमा ने मुझे दो बार अंदर आने को कहा पर मैं तो जैसे किसी जादू में बंध गया था बस एकटक उसी को देख रहा था। उसकी जवानी
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मैंने जाकर घण्टी बजाई तो उस क़यामत ने दरवाज़ा खोला जिसका नाम नीलिमा है। उसको देखा तो मैं देखता ही रह गया। नीलिमा ने मुझे दो बार अंदर आने को कहा पर मैं तो जैसे किसी जादू में बंध गया था बस एकटक उसी को देख रहा था। उसकी जवानी
राज कार्तिक रंगीन और मस्त जिंदगी की ख्वाहिश हर इंसान करता है पर सबके नसीब में मस्ती से जीना नहीं होता। यह अलग बात है
प्रेषिका : बरखा लेखक : राज कार्तिक होली वाले दिन साबुन लगवाने के बाद अब राजू मेरे से कुछ ज्यादा खुल गया था। अब वो
प्रेषिका : बरखा लेखक : राज कार्तिक उसके बाद मेरे पति वापिस आ गए। आते ही मैंने उन्हें उलहाना दिया और अकेले छोड़ कर जाने
प्रेषिका : बरखा लेखक : राज कार्तिक मेरे सभी दोस्तों का धन्यवाद जिन्होंने मेरी सुहागरात की दास्तान पिया संग मेरा हनीमून को सराहा और मुझे
वो मस्तानी रात….-1 मैंने उससे पूछा- तुम घर पर अकेली हो? बाकी घर के लोग कहाँ गए हुए हैं? तो वो बोली- मेरे सास-ससुर एक
प्रिय मित्रो.. आप सब मेरी कहानी पढ़ते हो, सराहते हो, जो मेरे लिए किसी टॉनिक की तरह काम करता है और मैं फिर से अपनी
चाचा का उपहार-1 तभी चाचा ने दरवाज़ा खटखटाया तो चाची एकदम मुझसे अलग होकर खड़ी हो गई। चाचा आकर हमारे पास बैठ गया और बोला-
चाची ने मेरे लण्ड को हल्के से छू लिया। मैंने अपने होंठ चाची के होंठो पर रख दिए। मैं किस करते करते चाची की चूची मसल रहा था। तभी चाचा ने दरवाज़ा खटखटा दिया और…
मित्रो, कैसे हैं आप… मुझे मालूम है कि आप सब बेसब्री से मेरे प्रथम पिया मिलन की दास्तान सुनने के लिए बेताब हैं। बहुत से
प्रेषक : राज कार्तिक सोनिया अब मस्त गांड उठा उठा कर मेरा लण्ड ले रही थी अपनी चूत में। करीब दस मिनट के बाद सोनिया
प्रेषक : राज कार्तिक अँधेरा हो चुका था। मैंने अँधेरे में ही सोनिया का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा तो सोनिया एकदम से मेरी
सोनिया की मम्मी-2 से आगे की कहानी प्रेषक : राज कार्तिक दोस्तो, आपने मेरी कहानी बुआ हो तो ऐसी-1 और सोनिया की मम्मी-1 पढ़ी और
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हाय दोस्तो ! मैं राधा एक बार फिर अपनी मस्ती के एक और किस्से को लिए राज के साथ आपके सामने हूँ। आप सभी ने
लेखक : राज शर्मा प्रथम भाग से आगे : वो बोली- जब तुम्हें देख कर मेरा हाल खराब हो रहा है तो लड़कियों का क्या
मैं राज एक बार फिर अपने दोस्तों के लिए एक दिलचस्प सच्चा किस्सा ले कर आया हूँ। हर बार की तरह इस बार भी मैंने
(प्रेम गुरु द्वारा संशोधित एवं संपादित) मैं एक बार ठंडा हो चुका था पर मेरे सामने जो आग पड़ी थी उसे देखते ही बदन का
(प्रेम गुरु द्वारा संशोधित एवं संपादित) घर की मौज हर किसी को नसीब नहीं होती पर शायद मैं इस मामले में खुशनसीब था जो मुझे
लेखक : राज शर्मा पिंकी अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच कर पीछे पीछे पिंकी के कमरे में
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