जिस्म की जरूरत-7
उफ्फ… वो मखमली एहसास उन चूचियों का… मानो रेशम की दो गेंदों पर हाथ रख दिया हो। मैंने धीरे से उनकी दोनों चूचियों को सहलाने
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उफ्फ… वो मखमली एहसास उन चूचियों का… मानो रेशम की दो गेंदों पर हाथ रख दिया हो। मैंने धीरे से उनकी दोनों चूचियों को सहलाने
‘ठीक है समीर जी, अब तो रोज़ ही मिलना मिलाना लगा रहेगा…’ रेणुका ने मेरे पीछे से एक मादक आवाज़ में कहा, जिसे सुनकर मैंने
‘जी नहीं… यह हमारी मम्मी का हुक्म है और उनकी बात कोई नहीं टाल सकता… तो जल्दी से दूध का बर्तन अन्दर रख दीजिये और
रेणुका तेज़ क़दमों के साथ दरवाज़े से बाहर चली गईं… मैं उनके पीछे पीछे दरवाज़े तक आया और उन्हें अपने खुद के घर में घुसने
रैक के ऊपर के सारे बर्तन गंदे पड़े थे इसलिए वो झुक गईं और नीचे की तरफ ढूंढने लगीं। ‘उफ्फ्फ्फ़…’ बस इसी की कमी थी।
उनके मुड़ते ही मेरी आँखें अब सीधे वहाँ चली गईं जहाँ लड़कों की निगाहें अपने आप चली जाती हैं… जी हाँ, मेरी आँखें अचानक ही
दोस्तो, मैं समीर चौधरी.. सत्ताईस साल का एक सामान्य युवा लड़का जो आप सबकी तरह ऊपर वाले की बनाई इस दुनिया में मौजूद हर खूबसूरत
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