जिस्म की जरूरत -27
हम वैसे ही लिपटे हुए थे, वंदु की चूचियाँ मेरे सीने में दबी हुई थी, मेरा लंड सिकुड़ कर भोली सूरत बनाकर चूत के बाहर होंठों से सटा था मानो उसकी पप्पी ले रहा हो.
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हम वैसे ही लिपटे हुए थे, वंदु की चूचियाँ मेरे सीने में दबी हुई थी, मेरा लंड सिकुड़ कर भोली सूरत बनाकर चूत के बाहर होंठों से सटा था मानो उसकी पप्पी ले रहा हो.
उसने खुद को कपड़ों से आज़ाद किया फिर यह छोटी सी पेंटी क्यूँ रहने दी? मन में कई विचार कौंधे और फिर समझ आया कि नारी सुलभ लज़्ज़ा का प्रदर्शन तो स्वाभाविक था.
वो और कोई नहीं वंदना ही थी. अभी थोड़ी देर पहले मैं उसकी माँ के मोह जाल में फंसा हुआ अपने आप को समझा रहा था और अब उसकी बेटी को सामने देख कर सब कुछ भूल गया…
गैर मर्द की बाहों में प्यार ढूंढते ढूंढते अचानक उसे अहसास हुआ कि उसका पति उसे कितना चाहता है और उसने अपने प्रेमी से दूरी बना लेने का निश्चय कर लिया.
अचानक से रेणुका ने बिजली की फुर्ती से अपना गाउन लगभग खींचते हुए निकाल फेंका और शेरनी की तरह कूद कर मेरे ऊपर झपट पड़ी… अब इस बार कुचले जाने की बारी मेरी थी।
वन्दना की मम्मी रेणुका को गोद में उठाये हुए मैं धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ा और हौले से उसे बिस्तर पर लिटा दिया… उनकी चिकनी जांघों को चूमते चाटते जैसे ही चूत पर जीभ लगी…
दिल्ली से मेरा यहाँ आना… रेणुका जी के साथ मिलना और फिर उनके साथ प्रेम की ऊँचाईयों को पाना… फिर वंदना का मेरी ज़िन्दगी में यूँ दाखिल होना और हमारे बीच प्रेम का परवान चढ़ना… सारी घटनाएँ बरबस मेरे होठों पे मुस्कान ले आती थीं।
पड़ोसन भाभी, जिन्हें मैं चोद चुका था, उनकी बेटी को अभी पहली बार चोद कर उनके घर छोड़ने जा रहा था तो मेरे मन में तरह तरह के विचार उमड़ रहे थे…
मैं उसके कान के पास अपना मुँह लेजा कर धीरे से बोला- थोड़ा सा सब्र रखना ‘वंदु’ यकीन करो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं होने दूँगा, बस अपने बदन को बिल्कुल ढीला रखना!
मैंने अब उसकी आखिरी झिझक को दूर करना ही उचित समझा और उसका एक हाथ पकड़ कर उसे सीधे अपने ‘नवाब साब’ पर रख दिया।
एक तो पहले ही उसकी चूचियाँ चिकनी थीं, ऊपर से मेरे मुँह से निकले रस से सराबोर होकर और भी चिकनी हो गई थीं… मेरी
अपनी असफलता से दुखी होकर मैंने वंदना की आँखों में देखा और उसने मेरी मुश्किल को भांप लिया… अब हम दोनों ने एक दूसरे के
मैं मुस्कुराने लगा और धीरे से सड़क के किनारे एक बड़े से पेड़ के नीचे कार रोक दी। कार रुकते ही वंदन ने मेरी तरफ
थोड़ी देर हम सब यूँ ही एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते रहे और इस पूरे समय के दरम्यान वंदना मुझसे चिपक कर रही
मैं समझ गया था कि जिस रेणुका में मैं अपना प्यार तलाश रहा था वो रेणुका सिर्फ मुझसे अपने जिस्म की जरूरत पूरी कर रही
जलती हुई मोमबत्ती लेकर मैं वापस कमरे में आया और बिस्तर के बगल में रखे मेज पर उसे ठीक से लगा दिया। मोमबत्ती की हल्की
चाय मेरे शॉर्ट्स पे गिरी थी… लेकिन शॉर्ट्स भी छोटी थी इसलिए मेरी जाँघों का कुछ भाग भी थोड़ा सा जल गया था। मैं सोफे
कैसे हैं मित्रो… देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ, वैसे कसूर मेरा नहीं है, इस देरी की वजह है रेणुका जी और वंदना… उन दोनों
मैं मज़े से उनकी चूत चाट रहा था लेकिन मुझे चूत को अच्छी तरह से चाटने में परेशानी हो रही थी। उनकी चूत अब भी
‘उफ्फ… बड़े वो हैं आप!’ रेणुका ने लजाते हुए कहा और फिर वापस मुझसे लिपट गई। ‘हाय… वो मतलब… जरा हमें भी तो बताइए कि
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