सहेली की तड़फती जवानी-1
नमस्कार दोस्तो, मैं सारिका कँवल आप सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद करना चाहती हूँ जिन्होंने मेरी कहानियों को तहेदिल से सराहा। मुझे आपके ढेर सारे
Hindi Sex Stories » Archives for सारिका कंवल » Page 4
नमस्कार दोस्तो, मैं सारिका कँवल आप सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद करना चाहती हूँ जिन्होंने मेरी कहानियों को तहेदिल से सराहा। मुझे आपके ढेर सारे
आपकी सारिका कंवल मैंने उसे अपनी बाँहों में कस लिया और टांगों से उसे अपनी और खींचते हुए कराह कर बोली- और तेज़ और तेज़
आपकी सारिका कंवल हम दोनों ही एक-दूसरे से साँपों की तरह लिपटे एक-दूसरे को प्यार करने और अंगों को सहलाने लगे। मुझे अब सहन नहीं
आपकी सारिका कंवल उसने मेरे कूल्हों को दबाया और फिर अपनी जीभ मेरे चूतड़ों पर फिराने लगा और उन्हें चूमते हुए मेरे चूतड़ों के बीच
आपकी सारिका कंवल मैंने कहा- मैं तो फिलहाल अकेली रहती हूँ बच्चों के साथ.. मगर रात में ही मिल सकती हूँ! उसने तुरंत कहा- आज
आपकी सारिका कंवल उसने अपने लंड को हाथ से हिलाया और कहा- अपनी टाँगें फैलाइए और मोड़ लीजिए। मैंने अपनी टाँगें फैला लीं और घुटनों
आपकी सारिका कंवल उसने पजामे के ऊपर से ही मेरी योनि को सहलाते हुए पैंटी को खींच कर किनारे कर दिया। वो अपने लिंग को
आपकी सारिका कंवल बारिश इतनी तेज़ हो चुकी थी कि 4 लोगों का एक छाता के नीचे बच पाना मुश्किल था, पर आस-पास कोई जगह
आपकी सारिका कंवल मैंने कहा- फिर भी आपको तो सोचना चाहिए था कि अपने बच्चों का एक पढ़ी-लिखी औरत जैसा ख्याल रख सकती है वैसा
आपकी सारिका कंवल नमस्ते, आप सबके प्यार और अनुरोध ने मुझे फिर से एक नई कहानी लिखने पर विवश कर दिया। मैं नहीं चाहती थी
उन्होंने कहा- प्लीज ये कॉन्डोम निकाल देता हूँ बिल्कुल मजा नहीं आ रहा है। मैंने मना किया, पर कुछ देर के सम्भोग में लगने लगा
सारिका कंवल इसी तरह 4 दिन बीत गए थे हम दोपहर को रोज मिलते और रोज सम्भोग करते। शाम को 5 से 7 मेरा बेटा
सारिका कंवल मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “फिलहाल तो मुझे पता नहीं, क्योंकि मैं अभी पुराने वाली ब्रा और पैंटी पहन रही हूँ और वो
सारिका कंवल नमस्कार, आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों ने मेरी कहानी को बहुत सराहा इसके लिए मैं आपकी बहुत आभारी हूँ। कुछ लोगों ने मुझे
सारिका कंवल हम तीनों काफी थक चुके थे, फिर हमने खुद को पानी से साफ़ करके कपड़े पहने और वापस घर को आ गए। रास्ते
सारिका कंवल मैं गर्म होने लगी थी, उधर मेरे सहलाने की वजह से विजय का लिंग भी सख्त हो चुका था। विजय ने तब मेरी
सारिका कंवल मैं अगले दिन उठी और अपने भाई और भाभी से कहा- आज दोपहर में मैं सुधा और विजय के साथ उनको गाँव दिखाने
सारिका कंवल उसने चोदने का मन बना लिया, उसने मुझे खड़े होने को कहा और खुद भी खड़ा हो गया, सुधा ने मेरी योनि पर
सारिका कंवल उसने कहा- आज रात मैं तुम्हें खुले में चोदना चाहता हूँ ! मैंने तुरंत कहा- यह नहीं हो सकता, यह गाँव है किसी
सारिका कंवल तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे। वो हमें देख कर हँसने लगी
हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, सहमति बॉक्स को टिक करें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !
* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।