अतृप्त वासना का भंवर-4
मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
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मैंने कुछ पल सोचा कि कम से कम ये चाट कर ही मुझे झड़ने में मदद करे, तो कुछ राहत मिले. तो मैंने उसकी बात मान ली और अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पैंटी निकाल दी.
मेरी कामवासना भी इतनी बढ़ती जा रही थी कि मैं सुखबीर के आगे झुकती जा रही थी. बातों के बढ़ते ही उसने फिर से मुझे अपने प्रति रिझाने के प्रयास शुरू कर दिया.
मेरी दोस्ती अपनी एक पड़ोसन से हो गयी जो अपने पति से यौन सम्बन्धों से खुश नहीं थी, वो चुदाई का पूर्ण आनन्द नहीं ले पाती थी. मैंने उसे कुछ टिप्स दी जिससे वो सेक्स का मजा ले सके.
मेरे पति शुरू से ही यौनक्रिया में थोड़े फिसड्डी रहे हैं, मैं अक्सर अतृप्त ही रही. इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरे शारीरिक सम्बन्ध गैर मर्दों से बनने लगे थे. इसी सिलसिले में अगली घटना आपके लिए लाई हूँ.
एक वयस्क और तजुर्बेदार मर्द की यही तो पहचान होती है कि वो अपने साथी को हमेशा जताता है कि उसका ख्याल रखेगा. माइक भी वैसे ही मेरे साथ कर रहा था.
उसने मेरे पल्लू को स्तनों पर से हटाया, फिर ब्लाउज से बाहर नंगे स्तन को चूमती हुई बोली- तुम कितनी कामुक महिला हो. तुम्हारा बदन ऐसा है कि कोई भी मर्द तुम्हें पाने को पागल हो जाए.
मेरी एक सहेली मुझे मेरे घर से बुला कर ले गयी. लेकर तो चुदाई के लिए ही गयी थी. वहां देखा तो एक और लड़की एक पुरुष की गांड मार रही थी. यह कैसे?
संभोग का असली मजा भी तो तब ही आता है, जब साथ मिलकर चरम सुख की अनुभूति हो, शिखर पे साथ चढ़ने का मजा ही अलग है.
ये वो दर्द था, जिसे हर महिला अनुभव करना चाहती है. ये वो मीठा दर्द है, जिसके लिए पसीने में लथपथ होकर एक महिला अपने तन बदन को पुरुष को सौंप देती है.
यह कहानी एक ऐसे दंपति की है जिनसे मैं एक वयस्क मित्रता साईट पर मिली. उनकी प्रोफइल में कुछ नग्न तस्वीरें, वीडियोज अपलोड थे. एक रात उन्होंने मुझे अपना कैम दिखाया.
दोनों ही बड़ी गर्मजोशी से एक-दूसरे में खोने लगे थे, दोनों धक्कों के साथ एक-दूसरे को कभी चूमते तो कभी काटते जा रहे थे, कभी रमा अपने होंठों का रस चुसातीं..
मित्र ने उसे चूमते हुए उसके चूतड़ों को दबोचते हुए इशारा किया और बबिता वहीं नीचे झुक गई। वो घुटनों के बल खड़ी होकर मेरे मित्र का लिंग अपने मुँह में भर कर चूसने लगी..
मैं एक तरफ तो सम्भोग का आनन्द लेना चाह रही थी.. वहीं मेरे मन और मस्तिष्क में दूसरों को सम्भोगरत देखने की भी लालसा भी थी। मेरे जिस्म के साथ पहली बार दो मर्द एक साथ खेल रहे थे।
मैं जब बाहर से अन्दर आ रही थी तो कराहने, सिसकने और हाँफने की आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… बढ़ती जा रही थीं और जब अन्दर आई तो ऐसा माहौल था कि पूरा कमरा उन दोनों औरतों की कराहों से गूंज रहा था।
दोस्त से चुद कर मुझे मज़ा आया था और उसे भी.. लेकिन वो अब फिर मिलने की जिद कर रहा था और मेरा घर से निकलना मुश्किल था. तो मेरे दोस्त ने मुझे चोदने की क्या योजना बनाई?
मैं उनके लिंग के ऊपर बैठने उठने लगी जिससे लिंग योनि में अन्दर बाहर होने लगा। मेरी पकड़ कुछ पलों के धक्कों में फिर से मजबूत हो गई और मेरी योनि भी कसने लगी।
मेरी हालत अब और बुरी होने लगी थी, मैं वासना के सागर में गोते लगाने लगी थी, मेरा मन पल दर पल बदल रहा था। कभी उनके झटके मेरी चीख निकाल देते और सोचने लगती ‘भगवान् ये जल्दी से झड़ जाएँ’
थोड़ी देर उंगली से खेलने के बाद मेरी योनि को उन्होंने और फैला दिया.. तो मैं कराह उठी और अपनी जुबान मेरी योनि से चिपका दी। वो मेरी योनि को चूसने लगे और जुबान को मेरी चूत के छेद पर धकेलने लगे।
मैं उनके ऊपर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गई। मैंने एक हाथ से योनि को फ़ैलाने की कोशिश की.. और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़ सीधा कर योनि के छेद पर रास्ता दिखाते हुए कमर नीचे दबाने लगी।
उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी योनि के दोनों होंठों को दोनों हाथों की उंगलियों से फैला कर छेद को चूम लिया.. ऐसा लगा जैसे एक बिजली का झटका मेरी योनि से होता हुआ मेरे दिमाग में चला गया।
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