काम-देवियों की चूत चुदाई-7
दूसरे दिन साईट पर गया तो वहाँ का काम जिस द्रुतगति से चल रहा था। उसी गति से मेरा दिल गांव की गोरी किरण के
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दूसरे दिन साईट पर गया तो वहाँ का काम जिस द्रुतगति से चल रहा था। उसी गति से मेरा दिल गांव की गोरी किरण के
आप सभी को मेरी इस कहानी जिसमें कई कहानियाँ एक साथ हैं, पढ़ कर मजा आ रहा होगा। कहानी में सभी नाम और स्थान असली
अब तक मैंने उसका साड़ी का पल्लू गिराकर उसके स्तनों पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्हें पीछे से पकड़कर मसलने में अनुपम सुख मिलने लगा।
दूसरे दिन ऑफिस की छुट्टी के कारण लीना को तो आना नहीं था, मैं सीधा साईट पर चला गया। फिर फुर्सत के समय में आकर
उसने काँपते हाथों से उन पैकेट को खोला तो उन ब्रा पैन्टी को देखकर बोली- सर ये तो बहुत ही सुन्दर और बिल्कुल नए फैशन की बहुत अच्छी हैं। ये तो मंहगी भी बहुत होंगी।
दूसरे दिन मैंने ऑफिस खोला ही था कि लीना आ पहुँची। वो सलवार सूट पहनकर आई थे, हरे रंग का सूट, उस पर लाल पीले
मैं उससे एक एक सामान उठाने को कह रहा था जब वो झुककर उठाती तो उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल छातियों को गहराई तक देख देख कर मेरी छाती पर सांप लोट रहे थे।
उसने अपनी गांड को कुछ इस तरह से फैलाया कि पीछे से ही गुलाबी रसभरी बुर दिखाई देने लगी जिसे देख लिंग को जैसे जान आ गई। फिर से सख्त होकर खड़ा हो गया।
मैं अपने होंठ नाभि से कमर फिर पेंटी पर फिराने लगा ठीक चूत के पास पहुँचकर जीभ से पेंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा, होंठों से दबाना उसे अच्छा लगने लगा, अपने आप को ढीला छोड़ दिया उसने।
बाथरूम में रेखा दरवाजे की तरफ मुँह करके पटरी पर जन्मजात नंगी बैठी हुई थी, उसका गोरा बदन आँखों के सामने बेपर्दा था।
बाल सर पर बंधे थे, दोनों पैर खुले थे, चूत बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी
मैं घर चला आया, मेरा दूसरा कदम भी कामयाब रहा। घर जाकर बेड पर लेट गया पर नींद नहीं आ रही बार बार रेखा का
मैं नाश्ता करके घर चला गया, जाकर नहाया फिर सोने के लिए पलंग पर लेट गया और प्यारी सलहज के बारे में न चाहते हुए
तमाम पाठकों को रोनी सलूजा का प्यार भरा नमस्कार ! मेरी पहले की कहानियों की तरह पिछली कहानी ‘रिया की तड़प‘ को काफी सराहा है
शाम को मैं फिर घर पहुँची। राकेश आये तो उन्होंने रात को सोते समय फिर मुझे दबोच लिया, अपना खड़ा लंड मेरे हाथों में थमा
मैं रोनी सलूजा, अन्तर्वासना कहानियों के भण्डार में आप सभी पाठक पाठिकाओं का स्वागत करता हूँ, मुझे ख़ुशी है कि आप सभी मेरे द्वारा लिखी
मैं उनके बालों को सहलाते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के गर्व से फूली नहीं समा रही थी। फिर मैंने माफ़ी मांगते हुए उन्हें
मैंने सर को पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया, वो भी मेरे ऊपर आकर मेरे से लिपट गए, मेरे चेहरे को थामकर मेरे होंठों का रसपान
मैंने कई बार डॉक्टर को लुभाने किसी न किसी बहाने से अपने स्तन भी दिखा दिए, जिन्हें वो चोरी छुपे देख भी रहे थे। एक
सभी पाठकों को रोनी का प्यार भरा नमस्कार ! आज की कहानी विनीता की है जो उसने मुझे सुनाई थी, उसी को मैंने उसी के
लेखक : रोनी सलूजा हम दोनों लॉज में एक डबलबेडरूम लेकर उसमें गए। शकुन स्कूल से दो दिन की छुट्टी लेकर और घर में सहेली
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