बहकते ज़ज्बात दहकता जिस्म-3
Bahakte Zajbaat Dahakta Jism-3 फिर अलमारी खोलकर उसमें से पेंटी ब्रा और मेक्सी निकाल ली और फिर आईने में अपने को निहारते हुए अपने बदन
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Bahakte Zajbaat Dahakta Jism-3 फिर अलमारी खोलकर उसमें से पेंटी ब्रा और मेक्सी निकाल ली और फिर आईने में अपने को निहारते हुए अपने बदन
Bahakte Zajbaat Dahakta Jism-2 रोनी को तो जैसे तन की भाषा समझने की फुर्सत ही नहीं थी ! वो मुझे जलता छोड़कर अपनी साईट पर
रोनी सलूजा अपनी ऑफिस की सहायिका लीना की कहानी आपके समक्ष लेकर उपस्थित है। मेरी कहानियाँ पढ़ने वाले सभी लीना को जानते हैं, नये पाठकों
रोनी सलूजा का आप सभी अन्तर्वासना परिवार को नमस्कार। आपके समक्ष हाल ही की ताजा सच्ची घटना कहानी के रूप में पेश कर रहा हूँ
रोनी सलूजा मैंने अपने ऊपर संयम रखते हुए उसे फिर कुर्सी पर बिठा दिया और बात को बदल कर माहौल को खुशनुमा बनाने में लग
रोनी सलूजा रोनी सलूजा का आप सभी पाठकों को प्यार भरा नमस्कार ! आप सभी के मेल प्राप्त होते रहते हैं, क्षमा चाहूँगा कि सभी
रोनी सलूजामेरी कहानी ‘कामदेव के तीर’ को पाठको की जो सराहनाप्राप्त हुई उसके लिए तमाम पाठक पाठिकाओं को तहे दिल सेधन्यवाद !मध्यप्रदेश एवं कई जगहों
मैं पलंग से उठा ही था तभी रजिया मेरे लिए चाय लेकर आ गई और मेज पर रख दी। मैंने पीछे से रजिया को दबोच
घर में किसी के आने का कोई अंदेशा नहीं था, बड़ी निश्चिन्तता से सारा काम चल रहा था। मुझे नींद ने आ घेरा, कब सो
मैंने कहा- डार्लिंग, अब तो कल तक के लिए यही हूँ, थोड़ी थकावट मिट जाये, फ़िर रात में जरूर उस तरीके से तुम्हें चोदूँगा। फिर
रजिया के जाने के बाद हमने नाश्ता किया, फिर ऊपर वाली मंजिल पर चले गए जहाँ फरहा का बेडरूम था। यहाँ पर स्वर्ग जैसी सारी
मैं अपने ऑफिस में बैठा मेल चैक कर रहा था, इस बार ज्यादातर मेल मध्यप्रदेश के जबलपुर, ग्वालियर, इन्दौर, सागर, भोपाल और अन्य शहरों से
एक रोज रवि ने कहा- चल यार, तेरी शादी पक्की हो गई, एक पार्टी हो जाये ! तो उसने खाने और पीने का सामान लेकर
रवि ने मेरे बताये संवादों से चोपड़ा आंटी को चुदने के लिए तैयार कर लिया और उसकी चुदाई कर डाली। फिर मेरे से कहा- तुम
दोस्तो, मेरी यह कहानी थोड़ा अलग किस्म की है, इसे जरूर पढ़िए, यह मेरे जीवन की सत्य घटना है, रिश्ते पल भर में कैसे बदल
पांच सात मिनट की धकापेल में हम दोनों सब कुछ भूलकर सम्भोग का अभूतपूर्व आनन्द उठाते रहे, दोनों पसीने से सराबोर हो गए ! रेखा
मैं ऑफिस में बिल्कुल निठल्ला बैठा था, सामने मेरी असिस्टेंड लीना अपने रिकार्ड दुरुस्त कर रही थी, मैं उसके यौवन के अग्र उभारों का नजारा
तमाम पाठकों व पाठिकाओं को प्यार भरा नमस्कार ! मेरी कहानियों को आप सभी ने बहुत सराहा, इसके लिए सभी का तहे दिल से शुक्रिया
मंजू- रोनी, मैं तो तुम्हें बहुत ही भला इन्सान समझती थी, पर तुम तो बहुत चालू निकले। बहुत चाहते हुए भी मैंने भी तुमसे अपने
एक दिन मैं ऑफिस में बैठा था शाम को हरिया के नंबर से फोन आया। मैंने उठाया तो किरण बोली- बाबू हरिया गांव गए कछु
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