हमारे घर के बाजू में एक फ़ैमिली किराये पर रहने आई थी, अंकल के शॉप पर जाने के बाद, आंटी कभी – कभी बाहर दरवाजे के पास बैठती थी, मैं हमेशा कुछ ना कुछ बहाना करके उनको देखने जाता, उनके बूब्स और गांड को देखता और कभी–कभी सामने अपने लंड को हाथ लगा देता था और सेट करता था। आंटी भी कभी – कभी तिरछी नजरों से देख लेती थी…
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