विक्की ने अपने हाथ से मेरे चूतड़ थोड़े से खोले और दरार को चौड़ा किया, फिर मेरे छेद पर अपना मुँह लगा दिया और जीभ से मेरी गाण्ड का छेद चाटने लगा। मेरे छेद पर विक्की की जीभ लगते ही मेरी गाण्ड में करंट सा दौड़ने लगा
भैया बोले- अब बन मत ! मुझे बंटी ने बता दिया था कि वो तेरी गाण्ड लेता है और तुझे भी खूब मजे आते हैं गाण्ड मरवा के ! और बंटी ने मुझसे रिक्वेस्ट की थी कि लैला का गाण्ड देने का बहुत मन करता है सो मैं तेरी गाण्ड ले लिया करूँ।
मेरी दीदी बैड पर घोड़ी बनी हुई थी, एक लड़के ने अपना लण्ड पीछे से दीदी के अंदर डाला हुआ था और वो हिल-हिल के अपना लण्ड दीदी के अंदर-बाहर कर रहा था और एक लड़का दीदी के सामने खड़ा था और दीदी उसका लण्ड चूस रही थी और जोर जोर से चीख रही थी।
बात तब की है जब लैला दीदी 18 साल की नवयौवना हो चुकी थी। बला की खूबसूरत तो लैला दीदी थी ही, ऊपर से कुदरत ने दीदी को यौवन के कटाव और उठान भी भरपूर दिये थे, मतलब दीदी की छाती और कूल्हे अपनी हमजोलियों के मुकाबले ज्यादा ही बड़े थे। लैला दीदी उन दिनों दो ही जगह मिलती थी, या तो शीशे के सामने या घर के मेन गेट पर।
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