मैं थोड़ा लेट उठा था। बिस्तर से उठने का मन ही नहीं कर रहा था.. बिस्तर पर लेटे-लेटे ही अपने लण्ड को सहला रहा था।
पता नहीं कब मेरे अन्दर सुबह ही ठरकपन चढ़ गई और गाण्ड में अजीब सी हलचल होने लगी।
लेकिन मन में सोच रहा था कि बुलाऊँ तो किसको बुलाऊँ..
मुझे अगर एक हफ्ते में कोई लौड़ा नहीं मिलता तो मेरी गांड में अजीब सी खुजली होती है लेकिन मैं फिर भी लोगों से कम ही मिलता हूँ। मुझे हट्टे कट्टे, गबरू जवान मर्द बहुत अच्छे लगते हैं। एक तो आधी रात, पास में जंगल, मेन रोड और मैं ऑटो वाले का चूस रहा हूँ… गांड मरवाने की कहानी है यह …
हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, सहमति बॉक्स को टिक करें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !
* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।