काली टोपी लाल रुमाल-2
धीरे धीरे मेरे होंठ अपने आप उसके गले से होते उरोजों की घाटियों तक पहुँच गए। सिमरन ने मेरा सिर अपनी छाती से लगा कर भींच लिया। आह… उस गुदाज रस भरे उरोजों का स्पर्श पा कर मैं तो अपने होश ही जैसे खो बैठा।
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धीरे धीरे मेरे होंठ अपने आप उसके गले से होते उरोजों की घाटियों तक पहुँच गए। सिमरन ने मेरा सिर अपनी छाती से लगा कर भींच लिया। आह… उस गुदाज रस भरे उरोजों का स्पर्श पा कर मैं तो अपने होश ही जैसे खो बैठा।
एक नटखट, नाज़ुक, चुलबुली और नादान कलि मेरे हाथों के खुरदरे स्पर्श और तपिश में डूब कर फूल बन गई और और अपनी खुशबूओं को फिजा में बिखेर कर किसी हसीन फरेब (छलावे) के मानिंद सदा सदा के लिए मेरी आँखों से ओझल हो गई।
प्रेम गुरु की कलम से 7. गुदा-मैथुन (गांडबाज़ी) मैंने अपने साथ पढ़ने वाले लड़कों से सुना भी था और मस्तराम की कहानियों में भी गांडबाजी
प्रेम गुरु की कलम से 6. सम्भोग (प्रेम मिलन) काम विज्ञान के अनुसार सम्भोग का अर्थ होता है समान रूप से भोग अर्थात स्त्री और
प्रेम गुरु की कलम से 5. प्रेम अंगों को चूमना और चूसना आंटी ने पहले ही बता दिया था कि प्रेम (सेक्स) में कुछ भी
प्रेम गुरु की कलम से 3. उरोजों को मसलना और चूसना शाम के कोई चार बजे होंगे। आज मैंने सफ़ेद पेंट और पूरी बाजू वाली
प्रेम गुरु की कलम से जब भी कामांगों और सेक्स (लंड, चूत और चुदाई) का नाम जबान पर आता है तो पता नहीं ये तथाकथित
मैंने उसे चित लेटा दिया। उसके गुलाबी होंठ, तनी हुई गोल चुंचियां, गहरी नाभि, पतली कमर, सपाट चिकना पेट और दो मोटी मोटी जाँघों के बीच फंसी पाव रोटी की तरह फूली छोटी सी चूत।
लेखक : प्रेम गुरु और अरमान मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिए और फिर राखी के सारे गहने उतार दिए ताकि कोई परेशानी ना
लेखक : प्रेम गुरु और अरमान मैं जानता था कि यह राखी कपूर एक नंबर की चुद्दकड़ है। ये स्वयंवर वाली बात तो महज पब्लिसिटी
प्रेम गुरु की कलम से “अच्छा चलो एक बात बताओ जिस माली ने पेड़ लगाया है क्या उसे उस पेड़ के फल खाने का हक
(एक रहस्य प्रेम कथा) ….. प्रेम गुरु की कलम से पिछले भाग में आपने पढ़ा : मिक्की मेरी जान, मेरी आत्मा, मेरी प्रेयसी, मेरी प्रियतमा
(एक रहस्य प्रेम कथा) मिक्की ! मेरी जान, मेरी आत्मा, मेरी प्रेयसी, मेरी प्रियतमा मैं तुमसे प्रेम करता था, आज भी करता हूँ और करता
मेरी ये कहानी मेरी एक ई-मित्र को समर्पित है – प्रेम गुरु गुरूजी कहते हैं “जिन के घर शीशे के होते हैं वो लाईट जला
नीचे मधु मेरा इंतजार ही कर रही थी। सुधा रसोई में खाना लेने चली गई थी। जानबूझ कर हमें अकेला छोड़ कर। मैं किसी प्यासे
लेखक : प्रेम गुरु “आपकी चूत पर उगी काली लम्बी घनी रेशमी झांटें देखी इन्हें काटियेगा नहीं चूत बे-परदा हो जायेगी !” … प्रेम गुरु
तीसरा चुम्बन : मिक्की ने हिचकिचाते हुए पहले तो उसने अपनी नाज़ुक अंगुलियों से उसे प्यार से छुआ और फिर अन्डरवीयर नीचे खिसकाते हुए मेरे
दोस्तों, आज दिन भर मैं ऑफिस में सिर्फ मिक्की के बारे में ही सोचता रहा। कल जिस तरह से खूबसूरत घटनाएँ हुई थी, मेरे रोमांच
रति-द्वार दर्शन : जब मैं रमेश और सुधा को स्टेशन छोड़ कर वापस आया तो लगभग साढ़े ग्यारह बज चुके थे। मिक्की गेस्टरूम में सो
लेखक : प्रेम गुरू दूसरा चुम्बन : बाथरूम के बाहर खड़ा मैं आज से कोई चार साल पहले घटी उस घटना के बारे में सोच
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