तीन पत्ती गुलाब-11
गौरी ने टॉप के नीचे समीज या ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरी निगाहें तो बस उसकी गोल नारंगियों और जीन पैंट में फंसी जाँघों और नितम्बों से हट ही नहीं रही थी।
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गौरी ने टॉप के नीचे समीज या ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरी निगाहें तो बस उसकी गोल नारंगियों और जीन पैंट में फंसी जाँघों और नितम्बों से हट ही नहीं रही थी।
आज तो उसके पतले-पतले गुलाबी होंठ बहुत ही कातिल लग रहे हैं। इन होंठों से अगर वह मेरा पप्पू चूस ले तो खुदा कसम मज़ा आ जाए।
मेरी आँखें तो उसकी पुष्ट गुलाबी जाँघों से हट नहीं रही थी। मस्त हिरनी सी कुलाचें सी भरती जैसे ही वो मेरे पास से गुजरने लगी उसके अल्हड़, अनछुए, कुंवारे बदन से आती खुशबू …
वह आसमान की बुलंदियों से कटी पतंग की तरह मेरी बांहों में झूल सी गई। लगता है यह उसका पहला ओर्गस्म था। उसने अपने काम जीवन का पहला परम आनन्द भोग लिया था।
किसी भी लंड के लिए ऐसी लड़कियों की गुलाबी चूत को सूंघना, चाटना और चोदना एक दिवास्वप्न ही होता है। आप मेरी हालत का अंदाजा लगायें कि मैंने अपने लंड को कैसे काबू में किया होगा।
साली ने किस प्रकार कहावत की ही बहनचोदी कर दी थी। मेरा मन तो कर रहा था उसे असली कहावत ही सुना दूं ‘अनाड़ी का चोदना और चूत का सत्यानाश’
मेरी बीवी ने नयी कमसिन जवान कामवाली रखी और मैं उसे पटाने की कोशिश कर रहा था. इसी बीच मुझे पता लाग कि मुझे ट्रेनिंग पर जाना पडेगा. तो मैंने क्या किया?
वो मेरे से एक कदम की दूरी पर उकड़ू बैठी थी। मेरी नज़र उसकी जांघों के बीच चली गयी। पट्टेदार जांघिया उसकी पिक्की के बीच की लकीर में धंसा हुआ सा था।
चुदवाने के मामले में मेरी बीवी का कोई जवाब नहीं। वह मर्द को कैसे रिझाया जाता है, बखूबी जानती है। आज भी उसकी चूत किसी 20-22 साल की नवयुवती की तरह ही है।
मैंने चुपके से उसके पीछे जाकर एक हाथ से उसके एक उरोज को कसकर पकड़ा और दूसरे हाथ से उसकी बुर को पकड़कर दोनों अंगों को जोर से भींच लिया।
इस कथा की नायिका हमारी घरेलू नौकरानी की तीसरे नंबर की 18 वर्ष की बेटी है। मध्यम कद, घुंघराले बाल, गोरा रंग, मोटी काली आँखें, गोल चेहरा, सख्त कसे हुए दो सिंदूरी आम।
यह धारावाहिक कहानी अन्तर्वासना के मशहूर लेखक प्रेम गुरू की है. यह एक अल्हड़ घरेलू नौकरानी के साथ प्रेम और सम्भोग की कहानी है. देसी लड़की के साथ सेक्स का आनन्द लें.
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