विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-47
कुछ देर तक लौड़ा गाण्ड में रखने के बाद दीपक ने बाहर निकाला। दीपक- आह ले मेरी रंडी बहना चूत-रस तो तू पी गई.. अब
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कुछ देर तक लौड़ा गाण्ड में रखने के बाद दीपक ने बाहर निकाला। दीपक- आह ले मेरी रंडी बहना चूत-रस तो तू पी गई.. अब
दीपक के लौड़े ने गर्म वीर्य दीपाली की चूत में भर दिया और दीपाली भी प्रिया का पानी गटक गई। दीपाली को न जाने क्या
दीपक रफ़्तार से दीपाली के मुँह को चोद रहा था और प्रिया की जीभ उसकी गोटियों को चाट रही थी.. कब तक वो इन दो
दीपाली- अरे मेरे आशिक.. तेरी किस्मत में आज भी मेरी चूत नहीं लिखी.. जा मैडी से मिल.. उसका कल का प्लान पता कर.. नया बदलाव
विकास ने चोदने की रफ़्तार और तेज कर दी थी.. वो भी थक गया था और उसकी उत्तेजना भी चरम सीमा पर थी.. बस लौड़े
विकास- आह मज़ा आ गया साली.. तेरी गाण्ड आज भी टाइट की टाइट है। चूत तो थोड़ी ढीली हो गई आह्ह… प्रिया तेज़ी से ऊँगली
तभी दीपाली ने घन्टी बजा दी। प्रिया- मेरी पूरी बात भी नहीं सुनी.. दीपाली को बोल देती सवाल पूछने आई थी.. सर भी ना पागल
जब अनुजा घर से निकली थी.. तब विकास अलमारी के ऊपर से कोई सामान निकाल रहा था.. तभी उसकी आँख में कंकर चला गया और
दीपक- अब बातें बन्द कर आह्ह.. चूस.. ओफ्फ मज़ा आ गया आह्ह.. ऐसे ही हाँ आह्ह.. ऐइ ज़ोर-ज़ोर से चूस आह्ह.. ओफ्फ सस्स हूओ उई..
दीपाली देर तक सोती रही क्योंकि आज स्कूल तो था नहीं और कल की चुदाई से उसका बदन दुख रहा था। करीब 9 बजे उसकी
भिखारी- मेरी जान.. अब संभाल लेना.. मेरा हरफनमौला अब तेरी नन्ही सी चूत में जाने वाला है। दीपाली- आह डाल दो.. अब तो चूत का
दीपाली- नाम का क्या अचार डालना है.. आप कुछ भी बोल दो मेरी उम्र भी नहीं बताऊँगी बस इतना जान लो.. बालिग हो गई हूँ
दीपाली- आप नहा लो.. मैं बाहर रख कर लॉक खोल दूँगी.. आप बाद में उठा लेना.. ठीक है.. अब मैं दरवाजा बन्द करके जाती हूँ
प्रिया कुतिया बन जाती है.. पैरों को ज़्यादा चौड़ा कर लेती है जिससे उसकी चूत का मुँह खुल जाता है। दीपक लौड़े पर थूक लगा
दीपक- अरे मेरी जानेमन तेरे लिए तो मैंने ये सब खेल खेला है.. अपनी बहन तक को चोद दिया.. तू क्यों तड़फ रही है.. आ
प्रिया- भाई अब मेरी भी प्यास बुझा दो ना.. आपके लौड़े के लिए तो मैं कब से तड़फ रही हूँ.. लाओ मुझे चूसने दो.. इसे
दीपक ने ज़ोर से धक्का मारा और गुस्सा हो गया। दीपक- क्या बकवास कर रही हो.. प्रिया मेरी बहन है। दीपाली- बकवास नहीं.. सच कह
दीपक एकदम चौंक गया क्योंकि बात करने दीपाली ने उसे बुलाया था.. अब उसको क्या पूछ रही है? दीपक- त..तुम ये क्या कह रही हो
दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन
सुधीर ने पास पड़े एक कपड़े से दीपाली की गाण्ड साफ की और ललचाई निगाहों से उसको देखने लगा। दीपाली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख
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