बुद्धू बालम
आज मेरी भाभी कंचन वापस घर आ गई। यहां से पचास किलोमीटर दूर शहर में भैया काम करते थे। मेरे से कोई चार साल बड़े
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आज मेरी भाभी कंचन वापस घर आ गई। यहां से पचास किलोमीटर दूर शहर में भैया काम करते थे। मेरे से कोई चार साल बड़े
नई जवानी थी … कुछ ही देर में वो फिर से तरोताज़ा था। मेरी चूत को अब उसका लंबा और मोटा लौड़ा चाहिये था। उसके
झांसी एक एतिहासिक नगर है, वहां के रहने वाले लोग भी बहुत अच्छे हैं … दूसरों की सहायता तहे दिल से करते है। मेरे पति
शर्मा जी और हम पास पास ही रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी एक ही कार्यालय में कार्य
लेखिका : नेहा वर्मा हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के
प्रेषिका : नेहा वर्मा शालिनी मेहता ने झांसी से मुझे मेल के द्वारा अपनी कहानी का एक स्वरूप बना कर भेजा था, उसे कहानी के
मैंने तुरन्त गाऊन पहना, पर अन्दर कुछ नहीं पहनने के कारण सारा शरीर झन रहा था। मैंने तौलिया कमर में और लपेट लिया। ताकि नीचे मेरे चूतड़ और कूल्हे वगैरह नजर ना आये।
मेरी इच्छा तो अपनी हवस पूरी करने की थी, बस जिस्म की जरूरत को पूरा करना चाहती थी। मैं उसे हर तरह से उत्तेजित करती रहती थी कि वो मौका मिलते ही मेरी छातियाँ दबाये और मेरे दूसरे अंगों को मसल दे।
‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’ ‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।
मेरी चूत में से पानी की दो बूंदे टपक पड़ी… मैंने अपने पेटीकोट से अपनी चूत रगड़ कर साफ़ कर ली… मेरा मन पिघल उठा था… हाय रे कोई मुझे भी चोद दे… कोई भारी सा लण्ड से मेरी चूत चोद दे… मेरी प्यास बुझा दे…
उस समय मेरे मन का शैतान जाग उठता था और कम्प्यूटर पर मैं अन्तर्वासना और अन्य सेक्सी चेनल देखती रहती थी। मुझे रोहन और साहिल के कमरे में से टीवी में से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थी। मैं ऐसी आवाजें खूब पहचानती थी। ये ब्ल्यू फ़िल्म की चुदाई की आवाजें, सिसकारियाँ और इंगलिश डायलोग की आवाजें थी।
नेहा वर्मा रोहन और साहिल नये नये कॉलेज में आये थे और शहर में ही कॉलेज के पास उन्होंने एक कमरा किराये पर ले रखा
लेखिका : नेहा वर्मा मेरे ताऊ मेरे घर से दो किलोमीटर दूर ही रहते थे। जब भी कोई छुट्टी का मौका होता तो मैं वहाँ
लेखिका : नेहा वर्मा मेरा नाम सुमन है। मेरी उम्र ४० वर्ष की है। मेरे पति का तीन साल पहले एक दुर्धटना में स्वर्गवास हो
लेखिका : नेहा वर्मा यह कहानी मेरी एक सहेली की है, आपको बता रही हूँ उसी के शब्दों में : मैं अभी २८ की हूँ।
हम लोग शहर की घनी आबादी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के
मेरा नाम राजेश है। मैं इन्दौर में रहता हूँ। मेरी उमर अभी ५२ वर्ष है। मैं एक सरकारी नौकरी में हूँ। मैने कुछ ही दिनों
लेखिका : नेहा वर्मा मैं जब भी कहीं जाती हूं तो मेरी नजर खूबसूरत लड़कों पर पहले पड़ती है, ठीक वैसे ही जैसे लड़कों की
लेखिका : नेहा वर्मा मेरे घर वाले जब इन्दौर में जब सेटल हुए तो मुझे पापा ने होस्टल में डाल दिया। होस्टल में रह कर
मुन्ना दीवार के पास खड़ा होकर पेशाब करने लगा। जैसे ही उसने अपना लन्ड निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा लम्बा लन्ड… देख मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी।
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