देहाती मामा के साथ मेरे अरमान-2
मामा के लंड की तलब ने मुझे पागल सा कर दिया था और कई साल के इंतज़ार के बाद मैं उनसे अपने दिल की बात कह पाया था. अब मामा भी अपने लंड की मस्त चुसाई करवाना चाहते थे.
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मामा के लंड की तलब ने मुझे पागल सा कर दिया था और कई साल के इंतज़ार के बाद मैं उनसे अपने दिल की बात कह पाया था. अब मामा भी अपने लंड की मस्त चुसाई करवाना चाहते थे.
मैं गाँव में रहने वाले अपने एक मामा को बहुत पसंद करता था, उन्हें, उनके लंड को छूना, पकड़ना चाहता था. मैंने बहुत कोशिश की और एक दिन मैंने मामा को बोल दिया.
काजल की हालत ऐसी हो चुकी थी, बाल कहीं जा रहे थे, आंखों का काजल भी फैल गया, होंटों से पानी बाहर आ चुका और आंखें बन्द। इसके अलावा चूत की जड़ तक जाते झटकों से अब काजल का सर भी पीछे दीवार से टकराने लगा था।
काजल पूरे मूड में थी और अपने चूतड़ और चूत को चुदवा चुदवा कर मानो फड़वान चाहती थी रत्नेश भैया से, क्योंकि रत्नेश भैया ने सुबह ही अपनी मस्त जवानी और ताकतवर चुदाई का ट्रेलर दिखा दिया था।
भैया गांव में कुश्ती लड़ते थे, उनका गोरा गठीला जिस्म देख सारी लड़कियां चूत में उंगली किये बिना नहीं मानती थी, यही दुआ करती थी कि किसी तरह भैया के कसरती जिस्म और मूसल से लन्ड से मिलन हो जाए।
लन्ड की नसें बहुत ज़्यादा कड़क हो चुकी थी, वैसे भी लन्ड काफी मोटा था और लम्बा भी अच्छा था. हालांकि अभी तक मैंने पूरे लन्ड के दर्शन नहीं किये थे और 1 घण्टा बीत चुका था, ऊपर से उनकी हालत…
वो बोले- क्या कर रहा है तू… मां चोद दी यार भेजे की तूने… मत हाथ लगा भाई लन्ड को… ये मादरचोद को अभी चूत चाहने लगेगा… बहुत टाइम हो गया वैसे भी चूत चोदे हुए… एक तो बीवी ने खड़ा कर दिया और बचा हुआ तूने…
मैं लालची अब सर्वेश के बड़े भाई रत्नेश राजपूत के कसरती जिस्म और मज़बूत लन्ड का प्यासा हो गया था और इसी उधेड़बुन में लगा था कि कैसे मेरी प्यास बुझ सके।
सेक्सी राजकुमार सर्वेश के राजपुताना लन्ड का कामरस मैं पी चुका था और उसके भाई रत्नेश राजपूत का नाम सुनते ही मेरे मन में किसी महाराजा की छवि आयी और किसी प्राचीन महाराजा के लन्ड का स्वाद चखने की तीव्र इच्छा मेरे मन में जाग गयी.
मैं सरकारी अस्पताल में किसी देसी लंड की तलाश में था, एक लंड मुझे पसंद भी आया था लेकिन उसने मुझे पहले तो दुत्कार दिया था लेकिन फिर वो मेरे पास आया.
एक दिन किसी काम से सरकारी अस्पताल के पास की एक दुकान पर किसी काम से गया तो वहाँ पर खड़े 3 नये नवेले लड़कों को देखकर दिल में मानो कामुकता की आग सी लग गयी, मुझे किसी कड़क लंड की जरूरत थी.
दशहरा मेला में ढेरों जवान मर्द देख मेरा दिल मचल गया, अपने लिए मैं एक लंड की तलाश करने लगा, मुझे एक लड़का पसंद आया. मेरी गे सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने उसे पटा कर उसका लंड चूसा.
दोस्तों के साथ मैं दशहरा मेला देखने गया तो वहां भीड़ में ढेरों जवान मर्द थे, मेरी कामुकता परवान चढ़ने लगी, मैं किसी दमदार लंड को खोजने लगा, दोस्तों से अलग हो गया. मेरी हिंदी सेक्सी स्टोरी पढ़ कर देखें कि मुझे कुछ मिला?
मैं कुछ दिन के लिए अपने फुफेरे भाई के घर गया. नए शहर में मुझे किसी दमदार लंड की तलाश थी जो मेरे जिस्म की प्यास को बुझा सके. मेरी तलाश सुबह सुबह ही पूरी होती दिखी जब मैंने दूध देने आए लड़के को देखा. मेरी गांडू सेक्स स्टोरी का मजा लें!
आपने मेरी इंडियन गे सेक्स स्टोरीज में पढ़ा कि मैं लंड चूसने का शौकीन हूँ लेकिन मुझे जो जवान मिला वो सिर्फ मेरी गांड मारना चाह रहा है. अब आगे:
मैं अस्पताल में लंड के लिए काफी कोशिश कर चुका था. अंत में हट्टा कट्टा गांव का लड़का मिला उसके लंड को पाने की मैं जुगाड़ करने लगा. हिंदी गे सेक्स स्टोरीज पढ़ें!
जब भी मैं सार्वजनिक स्थानों पर जाता हूँ मेरी लंड की भूख अपने आप ही जाग जाती है, एक रात मुझे अस्पताल में रुकना था तो मैं वहाँ लंड खोजने लगा.
लंड काफी स्वस्थ लग रहा था.. बिल्कुल सीधा और सख्त था.. मैंने फूले हुए सुपाड़े की चमड़ी पीछे की ओर खींचकर उसके मस्त गुलाबी सुपारे के दर्शन किए.. जिसमें से मदमस्त महक आ रही थी।
उसने साइड से लगभग मुझे बांहों में ही भर लिया था और उसका मुँह और होंठ भी मेरे मुँह के काफी करीब थे। उसके मुँह की गर्म भाप मेरे होंठों को छू रही थी.. क्योंकि दिसंबर की ठंड थी..
जब मैं पढ़ता था और मुझे सेक्स, प्यार, लंड, चूत और गांड के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था और ना ही मुझे कुछ समझ आता था।
तब से मुझे मेरी कक्षा का एक लड़का अच्छा लगता था।
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