जिस्म की मांग-4 15-12-2009 प्रेषिका : लीला “बाबू, तू मेरा प्यार है, चाहे अब मैं तेरी बाहर वाली बन कर रह गई हूँ, तुझसे चुदवाते हुए मैं किसी और पूरी कहानी पढ़ें »
जिस्म की मांग-3 14-12-2009 प्रेषिका : लीला एक के बाद जब मैंने दूजे से नाता जोड़ा, मतलब बाबू से नाता जोड़ा, यह जानते हुए कि वो मेरे जैसी से पूरी कहानी पढ़ें »
जिस्म की मांग-2 13-12-2009 कहानी का पिछ्ला भाग: जिस्म की मांग-1 हम दोनों खड़े हुए, खून का धब्बा बोरे पर देखा- यह क्या हुआ? “तेरी जवानी की झिल्ली फटी पूरी कहानी पढ़ें »
जिस्म की मांग-1 12-12-2009 प्रणाम पाठको, उम्मीद है सब कुशल मंगल से होंगे, सबका काम सर रहा होगा। (समझे?) मेरा नाम लीला है, मेरा हुस्न देख हर किसी के पूरी कहानी पढ़ें »