मजा और सजा
लेखक : जो हन्टर सहयोगी : कामिनी सक्सेना यह कहानी तीन भागों में है। मैं पुलिस स्टेशन से बाहर आया और अपनी मोटर साईकल उठा
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लेखक : जो हन्टर सहयोगी : कामिनी सक्सेना यह कहानी तीन भागों में है। मैं पुलिस स्टेशन से बाहर आया और अपनी मोटर साईकल उठा
लेखिका : कामिनी सक्सेना सहयोगी : जो हन्टर मैं उस समय कॉलेज में पढ़ती थी। मेरा एक बॉय-फ़्रेंड था सुधीर, जो मेरा क्लासमेट था। मेरे
मेरा नाम अमन गुप्ता है। मैं अब अकेला हूँ। मेरी उम्र अभी ५९ वर्ष की है। मेरे दो लड़के हैं जो कनाडा में रहते हैं
मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं और कुछ पीछे उभरे हुए भी हैं… मेरे सफ़ेद टाईट पैन्ट में चूतड़ बड़े ही सेक्सी लगते हैं। मेरे चूतड़ों की दरार में घुसी पैन्ट देख कर किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था… फिर जीजू तो मेरे साथ ही रहते थे और कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार कर अपनी भड़ास भी निकाल लेते थे। उनकी ये हरकत मेरी शरीर को कँपकँपा देती थी।
पिछले अक्टूबर की बात है … मेरी टीचर वत्सला की सगाई होने वाली थी। वत्सला दीदी पढ़ाई में मेरा पूरा ध्यान रखती थी। मैं उनसे
‘यह लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनल बोली.
मेरे हाथ सोनल की नरम नरम जांघो पर फ़िसल रहे थे… नया ताजा माल मिल रहा था… सारा बदन अनछुआ लग रहा था. मैंने अपने हाथ उसकी चूत तक पहुंचा दिये.
लेखिका : कामिनी सक्सेना सहयोगी : रीता शर्मा मेरा नाम विनोद है। जब मेरी नौकरी लगी थी तब मैं एक कसरती लड़का था। मेरा पहला
मैं एक इन्टरमीडिएट कालेज में अध्यापिका हूं। ये मात्र 12 वीं कक्षा तक का कालेज है। शाम को अक्सर मैं अपनी सहेली के साथ भोपाल
जो हन्टर, कामिनी सक्सेना ट्रेन अपनी गति पकड़ चुकी थी। मैं खिड़की के पास बैठा हुआ बाहर के सीन देख रहा था। इतने मे कम्पार्ट्मेन्ट
उसने तुरन्त उपने होन्ठ मेरी चूत से चिपका दिये। मेरे मुख से आह निकल गयी। मैंने अपनी पैन्ट नीचे से पूरी उतार दी। फिर अपना टोप भी उतार दिया। अपनी चूत को मैं अब जोर लगा कर उसके होंठो से रगड़ मार रही थी।
मैं मुसकराती हुयी बाहर चली आयी। मुझे लगा आज काम फ़िट हो गया। मुझे उसके हाथों का स्पर्श अभी भी महसूस हो रह था। दिल में एक गुदगुदी सी उठ रही थी। मेरे जिस्म में वासना जागने लगी। मेरा दिल अब उस से अकेले में मिलने को आतुर हो उठा।
कामिनी ने तुरन्त डिल्डो खींच के बाहर निकाल दिया… रीता झड़ रही थी… उसने मुझे चिपटा लिया… कामिनी को उसके बदन की और चूत की ऐंठन महसूस हो रही थी… दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गये… और प्यार में डूब गये…
मैं चुदने को उतावली हो रही थी। मैंने उसके पास आकर उसका लण्ड पकड़ लिया… उसे फिर से अच्छी तरह से देखा… सुपारे की चमड़ी धीरे से ऊपर कर दी… मेरी चूत पानी छोड़ रही थी।
लेखक : जो हन्टर सहयोगी : कामिनी सक्सेना अन्तर्वासना पर मेरी यह कहानी ये उन कहानियों से अलग है जो कोमलता के साथ चुदाई करते
लेखक : जो हन्टर सहयोगी : कामिनी सक्सेना घर पर खाना खाते खाते शाम के सात बज गये थे। मैने जो से कहा – “जल्दी
मैंने धीरे से खिड़की से झांक कर देखा। वो लड़के सुमन की चूचियाँ दबा रहे थे। सुमन ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लण्ड पकड़ रखा था। सुमन बार बार आनन्द से सिसकारियाँ भर रही थी।
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