एक लेखक का पत्र अपने पाठकों के नाम
अन्तर्वासना के सभी चाहने वालों को सोनू का प्यार भरा नमस्कार. सबसे पहले मैं उन तमाम लोगों से तहे दिल से माफ़ी मांगना चाहता हूँ
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अन्तर्वासना के सभी चाहने वालों को सोनू का प्यार भरा नमस्कार. सबसे पहले मैं उन तमाम लोगों से तहे दिल से माफ़ी मांगना चाहता हूँ
ईश्वर ने चुदाई की तड़प हम मर्दों से कहीं ज्यादा औरतों में दी है लेकिन साथ ही साथ उन्हें शर्म और हया भी सौगात में
तभी मुझे याद आया कि अभी अभी आंटी ने कहा था कि मामा जी के साथ बाज़ार जाना है। जैसे ही मुझे ये याद आया
मैंने जल्दी से रिंकी को खुद से अलग किया और फिर उसे बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छिपा कर दरवाज़ा खोला…बाहर कोई नहीं था। मैंने
“उम्म… हम्म्म्म…” फिर से वही मादक सिसकारी लेकिन इस बार सुकून भरी.. आंटी के ये शब्द मुझे और भी उत्तेजित कर गए और मेरे लंड
“प्लीज मुझे जाने दो और तुम भी जल्दी से तैयार होकर ऊपर आ जाओ, सब तुमसे मिलना चाह रहे हैं।” इतना कहकर प्रिया ने मुझे
मैं जानता हूँ कि आप सब बड़ी बेसबरी से ‘तेरी याद साथ है’ के आगे की कहानी पढ़ने के लिए अन्तर्वासना पर अपनी नज़रें गड़ाए
प्रेषक : सोनू चौधरी मैंने बिना वक़्त गवाए अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से एक धक्का मार कर अन्दर ठेल दिया। फच्च …एक
प्रेषक : सोनू चौधरी निक्कर निकलते ही मेरा मुन्ना बिल्कुल अकड़ कर फुफकारने लगा। प्रिया की आँखें फ़ैल गईं और फिर उनमें वही चमक दिखने
प्रेषक : सोनू चौधरी “प्लीज जान…अपने हाथ ऊपर करो और मैं जो करने जा रहा हूँ उसका मज़ा लो…” मैंने उसे समझाते हुए कहा। “हाय
प्रेषक : सोनू चौधरी मैंने प्रिया को आँख मारी और उसे लेकर धीरे से बिस्तर पे लेट गया। लेट कर मैंने उसे अपने से बिल्कुल
प्रेषक : सोनू चौधरी रिंकी की अक्षतयोनि का शील भंग करने के बाद: दिल तो मेरा भी नहीं कर रहा है जान, लेकिन अब बहुत
प्रेषक : सोनू चौधरी रिंकी ने एक नज़र आईने पे डाली और उस दृश्य को देखकर एक बार के लिए शरमा सी गई। मैंने अपने
प्रेषक : सोनू चौधरी उह्ह्ह…जान, थोड़ा धीरे करना…तुम्हारा लंड सच में बहुत ज़ालिम है, मेरी हालत ख़राब कर देगा।” रिंकी ने डरते हुए अपना सर
प्रेषक : सोनू चौधरी “रिंकी ने देरी नहीं की और उठ कर मेरे दोनों पैरों के बीच आकर मुझ पर लेट गई। उसका नंगा बदन
प्रेषक : सोनू चौधरी “जैसे ही उसने अपनी जीभ का स्पर्श मेरे सुपारे से किया मेरे लंड ने एक जोर का ठुनका मारा और एक
प्रेषक : सोनू चौधरी “दोनों बहनें बिल्कुल समझदार हैं…समय गँवाने का चांस ही नहीं रखतीं।” मैंने मन ही मन सोचा और अपने हाथों को उसकी
प्रेषक : सोनू चौधरी मैंने उस वक़्त एक छोटी सी निकर पहनी हुई थी जो कि मेरे जांघों के बहुत ऊपर तक उठा हुआ था।
प्रिया ने भी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमते हुए कहा,”ठीक है मेरे स्वामी, अब मैं जाती हूँ। लेकिन कल हम अपना
प्रेषक : सोनू चौधरी मैंने उसका हाथ पकड़ा और वापस अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और उसकी चूत की खुशबू लेते हुए अपना
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