अधूरी ख्वाहिशें-1
फेसबुक पर बना मेरा एक दोस्त सऊदी में रहता है, उसे मेरी मदद की जरूरत पड़ी, कचहरी का काम था, मैंने उसकी खूबसूरत बीवी की मदद की, उसे पहली बार देख मेरा मन बहक सा गया था.
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फेसबुक पर बना मेरा एक दोस्त सऊदी में रहता है, उसे मेरी मदद की जरूरत पड़ी, कचहरी का काम था, मैंने उसकी खूबसूरत बीवी की मदद की, उसे पहली बार देख मेरा मन बहक सा गया था.
हमें अपनी अन्तर्वासना को तृप्त करने का कोई जायज़ स्रोत नहीं मिलने वाला तो हमारी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये इसके सिवा और कौन सा मार्ग हो सकता है?
‘तेरे करम ही ऐसे हैं। कौन नहीं नफरत करता मोहल्ले में तुझसे? मैं करती थी तो कौन सा गलत था। यह तो मेरी मज़बूरी है… क्या करूँ और? कोई रास्ता है हमारे पास जो हम यह सुख हासिल कर सकें?’
उस रात भी शीला और सोनू के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था और दोनों एक आसन में संभोगरत थे जब किसी ने दरवाज़ा पीटा था। इस वक़्त कौन हो सकता है…
दोनों बहनें साथ ही चाचा के कमरे में पहुंची थीं जहां चाचा अपना स्थूलकाय लिंग पाजामे से बाहर निकाले दरवाज़े की तरफ देख रहा था। ‘आज करें क्या चाचा के साथ?’
दिमाग में भरे हुए इस कचरे को निकाल फेंको कि हम कोई सामाजिक मर्यादा या वर्जना तोड़ रहे हैं। हम वे विकल्पहीन औरतें हैं जिनके पास चुनने के लिये कुछ है ही नहीं।
जब एक बार गाड़ी ठीक रफ़्तार में दौड़ पड़ी तो उसे उस सुख की अनुभूति हुई जिसके लिये वह तड़प रही थी, जिसके लिये उसने वर्जनाओं को ठोकर मारी थी।
वह भी खुद को उसी मनःस्थिति में पा रही थी कि जल्दी से सब हो जाये, सोनू एकदम योनि में अपना लिंग घुसा दे और इतने धक्के लगाये कि उसकी बरसों की चाह पूरी हो जाये।
उसने नकारात्मक अंदाज़ में सर हिलाते कहा- जो हैं, उनमें मुझे भोगने की लालसा रखने वाले तो कई हैं लेकिन ऐसा एक भी नहीं जिस पे मैं भरोसा कर सकूँ।
मैं महसूस कर सकती थी कि उसने अपने लिंग को, फिर मेरी योनि को फैला कर बीच छेद पर उसे टिकाया हुआ है और मेरे घुटनों पर फिर पहले जैसी पकड़ बना ली है।
शीला की छोटी बहन अपने जीवन की पहली चुदाई की कहानी बता रही है कि कैसे पड़ोसी लड़के ने बस में उसके कुंवारे बदन को छुआ, फिर घर आकर क्या हुआ!
तुमने शारीरिक ज़रूरतों के आगे देर में हार स्वीकार की लेकिन मैंने बहुत पहले कर ली… शायद तुम पुराने ज़माने की थी, कुछ अच्छा होने के इंतज़ार में बैठी रही लेकिन मैं नई सोच की हूं…
क्या सिर्फ इसलिए उसे अपने शरीर का सुख प्राप्त करने से रोका जा सकता था कि वह लोगों द्वारा अपेक्षित एक योग्य वधू के मानदंडों पर पूरी नहीं उतरती?
गली के गुण्डे ने शीला के चूतड़ों की दरार में उंगली घुसा कर उसे छेड़ा, उधर उसके चाचा का हाथ जल जाने के कारण चाचा हस्तमैथुन नहीं कर पा रहा था, पढ़ें इस भाग में!
जिसकी शादी नहीं होती, उसमें क्या उमंगें नहीं होतीं, जवानी के तूफ़ान उन्हें बिना छुए गुज़र जाते हैं, उनके शरीर में वह ऊर्जा नहीं पैदा होती जो सम्भोग की मांग करती है?
अब दो रातें बची, पहली रात हमने बाथरूम सेक्स का मजा लिया, पहली बार उसने मेरा वीर्य मुँह में लिया। दूसरी रात हमने सुहागरात की तरह मनाई। कहानी पढ़ कर मज़ा लें।
मेरी पड़ोसन की लड़की प्रतिबन्धों के दायरों में रह कर उन सभी कामों का आनन्द मेरी मदद से उठा रही थी। अक्षतयोनि रखने की चाहत में उसने गांड में लिंग का स्वाद चखा।
गौसिया मेरा लंड अपने बदन के अन्दर चाहती थी। मैंने उसे गांड मराने का सुझाव दिया तो वो फ़ौरन तैयार हो गई। कहानी में पढ़िए कि कैसे मैंने उसकी गुदा को तैयार किया।
गौसिया हर वो काम करके देख लेना चाहती थी जिससे उसे रोका जाता था और उसके साथ की लड़कियाँ किया करती थी। आज पांचवे भाग में देखिये कि क्या क्या किया उसने!
चरमोत्कर्ष के बाद गौसिया फ़िर उत्तेजित होने लगी और इस बार तो वो मेरा लंड अपने अन्दर ले लेना चहती थी। तो क्या मैंने उसकी अक्षत योनि में लिंग प्रवेश कराया?
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