मेरी चालू बीवी-84
उसकी पीठ मेरी ओर थी… उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़… कयामत चूतड़… क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे… पूरे नंगे ही दिख रहे थे… क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी।
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उसकी पीठ मेरी ओर थी… उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़… कयामत चूतड़… क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे… पूरे नंगे ही दिख रहे थे… क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी।
मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा… ओह गॉड… उसने अपना टॉप निकल दिया था… वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी…
उसके कुंवारे चूचे शान से कमीज के अंदर से सर उठाए खड़े थे। उसके कठोर निप्पल कपड़े के नीचे से भी महसूस किये जा सकते थे और उसकी कातिल जवानी के कंटीली कमर की अदाएँ उसके बैठने पर भी साफ नुमाया थीं
मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं, फिर एक अंगड़ाई ली और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई, उनके पैर दादाजी की ओर ही थे…
मैं गौर से उनकी हर हरकत को देख रहा था… अंकल का हाथ भाभी की कमर पकड़ने के लिए आगे बढ़ा और काँपता हुआ हाथ उनके नंगे चूतड़ों पर चला गया।
यह कहानी मुझे मुम्बई से रसिका बेगम ने भेजी है जिसे मैं रसिका के शब्दों में ही आपके सामने पेश कर रहा हूँ। मैं रसिका
भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं.. वो तो रोज ही घर ही रहती थीं, उनको पूरा आईडिया होगा कि दोपहर को इस समय सुनसान ही होता है क्योंकि ज्यादा चहल पहल सुबह-शाम ही रहती है।
मैंने देखा सलोनी पूरी नंगी कुछ बना रही थी… और वो लड़का अमित भी पूरा नंगा था… उसके पीछे खड़ा सिगरेट पी रहा था… दोनों जरूर चुदाई करने के बाद अब कुछ खाने रसोई में आये थे।
मेरे बेडरूम में मेरे बिस्तर पर नलिनी भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी, नलिनी भाभी पूरी नंगी, उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था… वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी…
मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था… उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था… अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था…
मेरा नाम नूर है, घर में प्यार से मुझे सब नूरो कहकर बुलाते थे। मेरे वालिद रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते थे। अम्मी अनपढ़,
सलोनी- फिर मुझे नंगी ही पार्किंग से यहाँ तक लाये… वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा… कितना डर गई थी मैं… पागल… अह्हाआआ पुचच च च पुचच च च…
मैं उसकी हर मस्ती में साथ था पर मेरी इच्छा उसको चुदाई करवाते देखने की थी और इतना सब होने के बाद भी मुझे दुःख इसी बात का था कि सलोनी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया !
पिछले दो घंटे से अमित तो सलोनी के साथ ही है और आज तो उसने उसको पूरी नंगी भी देख लिया है। ना जाने वो क्या कर रहे होंगे? और अमित कह भी रहा था कि वो उसकी सेवा कर रही है।
दोनों पागलों की तरह हँसते हुए सलोनी को रगड़ रहे थे.. इंस्पेक्टर ने सलोनी की गर्दन पकड़ उसको झुका दिया और पीछे से उसके चूतड़ों पर चपत लगा लगा कर देखने लगा।
मैंने सलोनी की ओर देखा… वो आँखे फाड़े केवल उस कॉन्स्टेबल को देख रही थी, उसकी शर्ट पूरी अस्त-व्यस्त थी, चूची भी आधी बाहर थी और टांगें भी ऊपर तक नंगी ही दिख रही थी।
अंकल लगातार ऊपर देखते हुए पैंट को सलोनी के चिकने पैरों पर चढ़ाते हुए कमर तक ले गए.. सलोनी ने एक बार उनसे पैंट लेने की कोशिश की- ..लाइए अंकल, मैं पहन लेती हूँ !
अंकल खुद ही पैंट लेकर सलोनी को पहनाने लगे और सलोनी भी अपने पैर उठा पैंट को पहनने लगी ! ना जाने इन बूढ़ों को सुन्दर लड़की को कपड़े पहनाने में क्या मजा आता था…
एक मजेदार लम्बा और मजबूत लण्ड उसकी चूत से चिपका था… वो आदमी अपने हाथों से निचोड़ निचोड़ कर उसकी चूची चूस रहा था … सलोनी लगातार अपनी कमर हिला रही थी जिससे उसकी चूत उसके लण्ड का हाल बेहाल किये थी..
उसने अभी भी अपना कोई कपड़ा नहीं पहना था, उसकी स्कर्ट और टॉप दोनों उसके हाथ में ही दिख रहे थे, मगर वो बिस्तर पर जाकर कुछ ढूंढने लगी।
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