मेरी चालू बीवी-7
लेखक : इमरान सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही
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लेखक : इमरान सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही
लेखक : इमरान पारस- वाह यार… तुम्हारा काम तो बहुत मजेदार है। लड़का- क्या साहब… बहुत मेहनत का काम है… पारस- वो तो है यार
सलोनी- ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके? पारस-
लेखक : इमरान कुछ ही देर में पारस की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग
लेखक : इमरान मैंने जाकर मुख्य दरवाजा खोला, सामने हनी खड़ी थी फिरोजी स्कर्ट और बेबी पिंक टॉप में ! कसे टॉप में उसके उभार
लेखक : इमरान दो बजे के करीब मनोज आए और अम्मी को बताने लगे- मैंने हनी से सारी बात कर ली है, वो थोड़ी देर
लेखक : इमरान आपने मेरे द्वारा लिखी कई कहानियाँ पढ़ी हैं, अब यह नई कहानी मेरे एक रिश्तेदार हैदर ने मुझे बताई थी, इसे लिखा
लेखक : इमरान रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी। उसकी कमर से लेकर चूतड़ों
वाकयी सलोनी की चूत बहुत खूबसूरत है, उसके छोटे छोटे होंट ऐसे आपस में चिपके रहते हैं जैसे किसी किशोर लड़की के… और चूत का रंग गुलाबी है जो उसकी गदराई सफ़ेद जांघों में जान डाल देता है।
जब मैं उसकी कच्छी उसके चूतड़ों से नीचे उतारने लगा तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार देख मेरे छक्के छूट गए और जैसे ही मैंने उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, देखते ही मेरे पसीने छूट गए।
इमरान यह कहानी मेरे एक दोस्त संजय अग्रवाल की है, आपके सामने संजय के ही शब्दों में ! 18 साल के अध्यापक जीवन में मुझे
रुखसाना पर तो अभी जवानी का पूरा जोर था, पर उसका शौहर उससे लगभग दोगुनी उम्र का, सारा दिन काम में थक हार कर रात को आता तो वह रुखसाना के जवानी से उबलते जिस्म की प्यास बुझा नहीं पाता था। इसलिए रुखसाना कुछ उदास सी रहती थी।
जुबैदा को देखने के बाद किसी भी आदमी की भूख-प्यास मर जायेगी, वो ऐसे ही यौवन भार सजी हुई थी ! उसकी भरी उभरी छाती,
एक दिन मेरे मामू और मामीजान हमारे घर मिलने आये क्योंकि मामू की नई नई शादी हुई थी। असल में तो वो सुहागरात मनाने के
हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से
यह कहानी मेरे एक दोस्त इम्तियाज़ की है, उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ ! मेरा नाम इम्तियाज़ है। बात उन दिनों की
प्रेषक : इमरान खान भाभीजान की चोली का हुक खोलने के लिए मैं एक अरसे से बेताब था कि एक रोज मेरी तकदीर कुछ ऐसे
शहनाज़- खुश हो तो दिखाओ अपना लंड! मैं अभी देखना चाहती हूँ इसी वक्त! और सुनो साली आधी नहीं पूरी घरवाली होती है। चोदना के
खुश हो तो दिखाओ अपना लंड! मैं अभी देखना चाहती हूँ इसी वक्त! और सुनो साली आधी नहीं पूरी घरवाली होती है। चोदना के माने है लौड़ा चूत में पेलना। अब पेलो अपना लंड मेरी चूत में, तब जाने दूँगी।
अब मैं चाची को अपने कमरे में ले जाती हूँ, देखती हूँ कि आखिर इनकी बुर कितना पानी छोड़ती है दो घंटे में। और आप और इमरान मिल कर घंटे दो घंटे भर मस्ती कर लो।
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