मैं उससे पहले घर से निकल कर सिनेमा हॉल पहुँच गया और उसका इंतजार करने लगा। थोड़ी देर के बाद वो आई, उसके साथ उसकी दो सहेलियाँ थी। हम सब अंदर जाकर बैठ गये और थोड़ी देर में फिल्म शुरू हो गई।
क्या मस्त माल थी। अब मैंने उसकी पैन्टी उतारी, चूत बिल्कुल चिकनी थी क्योंकि मैंने उसे पहले ही बताया था कि मुझे चिकनी चूत पसंद है इसलिए उसने अपनी चूत के बाल साफ कर लिए थे।
मेरा लंड पूरी तरह उसकी गांड में चला गया और वो जोर से चिल्लाई तो वो बोलने लगी- मुझे यह नहीं करना, बस निकाल लो।
मैंने उसे बहुत समझाया कि जो दर्द होना था वो हो गया, अब तो मजा आएगा बस थोड़ा सा और।
और फिर मैं अपने लंड को धीरे धीरे अंदर-बाहर करने लगा।
जब मैं उसकी चूचियों को देखता तो वो मुस्कुरा देती, इससे मेरा हौसला और बढ़ रहा था।
मैंने फिर अपना पैर कम्बल के अंदर उसके पैर से धीरे से सटाया तो वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी।
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