जरा ठीक से बैठो-3
प्रेषक : हरेश जोगनी बड़ा अजीब नज़ारा था, दो गेंद जो मुश्किल से उस कपड़े से बंधे थे, वो उछल कर राजेश के हाथ में
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प्रेषक : हरेश जोगनी बड़ा अजीब नज़ारा था, दो गेंद जो मुश्किल से उस कपड़े से बंधे थे, वो उछल कर राजेश के हाथ में
प्रेषक : हरेश जोगनी हम दोनों थक चुके थे उस स्थिति में कोई भी सेक्सी औरत आती तो भी लौड़ा उठ नहीं पाता। हम दो
प्रिय पाठको, हरेश जी का एक बार फ़िर नमस्कार ! आपने मेरी लिखी एक लम्बी कहानी मुझे रण्डी बनना है पढ़ी ही होगी। और एक
कोठे वाली मौसी ने जो कहा था वो सोलह आने सच था- बिना मेहनत जांघें फैलाकर लौड़े लेकर पैसे कमाने की आदत हो गई तो फिर छूटना मुश्किल।
डोना रण्डीपन पर उतर आई और बोली- मौसी, मुझे भी ऐसा मस्त लौड़ा चाहिये ! बहुत दिन हो गए मैंने लौड़ा नहीं लिया ! गोवा में चार महीने पहले एक 50 साल के आदमी से चुदवाया था।
जूली ने उसे उसके और अपने कपडे उतारने कहा। उसने एक एक करके जूली के कपड़े उतारे और जूली ने शरारती होकर लड़के को एकदम नंगा कर दिया.
ग्राहकों ने सिटी मारी और बोले- साली इस कोठे की रंगीनियाँ कुछ अलग ही हैं ! साली आज सब आधे से ज्यादा तो नंगी ही हैं ! ज्यादा तकलीफ नहीं होगी कपड़े निकालने में।
मैं इनके लिए कस्टमर लाता हूँ और बदले में चाहे तो पैसे नहीं तो चोदने को मिलता है। सबको चोद चुका हूँ। सिर्फ जूली बाकी है, वो भी आज मेरे लौड़े के नीचे आ जायेगी।
मैं तो उस नकली समाज की बात करती हूँ जहाँ पराई सेक्सी औरत देखी नहीं कि पुरुषों के लौड़े बिलबिला जाते हैं और चोदने की छुपी तमन्ना लिए नजरों से उस औरत को चोद डालते हैं।
राजा ने दोनों को नंगी कर दिया और दोनों के बगल में हाथ डालकर दोनों की चूचियों से खेलने लगा। दोनों की निप्पलें उसके स्पर्श से एकदम अंगूर के दाने जैसे कड़क हो गई।
मौसी सुनीता की गाण्ड को थपथपाते हुए- हाँ मेरी रण्डी रानी, जो हुकुम ! अब तुम्हारा राज है और 3 दिन ! साली रण्डी बनी है तो मर्द के साथ क्या करेगी?
मौसी बोली- चलो बन गई तेरी बीवी रंडी ! क्योंकि पराए मर्द का लौड़ा लेना सीख लिया, अब इसे कुछ नहीं सिखाना पड़ेगा। अब तू भी भड़वाई सीख ले अब्दुल से !
वो मेरे गोद में बैठ गई और उसने मुझे चूम लिया। उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद कपड़ों में मेरी गोद में बैठ गई। उसने मेरे लौड़े पर हाथ पहुंचा दिया।
मैं जबसे जवान हुई तबसे मुझे रंडियों के बारे में जानने का शौक था। मुझे कुछ दिनों के लिये रंडी बनकर जी कर देखना था, समाज का डर था और अपने शहर में तो यह मुमकिन नहीं था।
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