पाठिका संग मिलन-6
लचकते स्तनों पर उसके चूचुक हिल रहे थे। अभी तक मैंने उनका स्वाद चखा नहीं था। मैं उन पर झुक गया। तब तक इसकी योनि को लिंग पर फैलने का अवकाश मिल जाएगा।
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लचकते स्तनों पर उसके चूचुक हिल रहे थे। अभी तक मैंने उनका स्वाद चखा नहीं था। मैं उन पर झुक गया। तब तक इसकी योनि को लिंग पर फैलने का अवकाश मिल जाएगा।
मैंने उसके कंधे खींचकर लिटा दिया। कमर में उंगली घुसाकर साये की गाँठ की डोर निकाली और खींच दी। साया ढीला पड़ गया। कमर में डोर धँसने का दाग पड़ गया था, उसे मैंने सहलाया।
चेहरे, गले, कंधे पसीने की हल्की परत। इसे (रति के क्षणों में) चाटूंगा। यह पसीना अंदर स्तनों पर भी होगा? गोल गले की चोली। उभारों की शुरुआत के जरा सा नीचे काटती हुई।
उसने नमस्ते में हाथ जोड़े। मैंने अपने बढ़ रहे हाथों को रोका और नमस्ते में जोड़ लिया। मेरी कोशिश उसने देख ली और मुस्कुराकर हाथ बढ़ा दिया। उसे हाथ में लेते ही नीचे पैंट की चेन के पास धक धक हुई … गर्म, कोमल हाथ।
पुरुष को भी सबसे अधिक आनन्द अपनी पत्नी को आनन्द लेते देखने में ही आता है। वह स्वयं सेक्स कर रहा हो तब भी पत्नी के रिस्पॉन्स से ही उसे संतोष होता है।
एक पाठिका ने बीवी की अदला बदली वाली मेरी कहानी पढ़कर मुझे मेल किया. उसने मुझसे क्या क्या बातें की, अपनी मनोकामना को छिपाते हुए भी उसने अपनी इच्छा कैसे जाहिर की.
“किक मी हार्ड बास्टर्ड…!” मैं कलाकार पर चिल्लाई। उसकी इतनी शराफत असह्य थी, मैं कठोर व्यवहार चाहती थी, मैं अपने प्रति गुस्से से भरी थी। कलाकार ने जोर से धक्का दिया और मेरे कौमार्य पटल को फाड़ता जड़ तक घुस गया।
कहाँ तो एकदम परम्परागत लड़की थी – शादी से पहले नो किसिंग, न हगिंग, फकिंग तो बहुत दूर की ही बात थी। लेकिन आज एकबारगी न सिर्फ टैटू वाले के सामने टांगें खोलकर चूत पर चित्र बनावाया बल्कि…
मैं बिस्तर पर पीठ के बल गिर गई, घाघरा सरककर मेरे पेट पर आ गया। यह सब एक क्षण में हो गया। मेरे दोनों टखने उसकी हथेलियों में थे और वह उन्हें फैलाए कमरे की जगमगाती रोशनी में उनके बीच में देख रहा था।
बड़ा प्यारा है वो! जब वह ‘मांगता’ है तो खुद को रोकना सचमुच मुश्किल हो जाता है। ऐसे प्यार से, ऐसा मासूम बनकर मांगता है कि दिल उमड़ आता है उस पर। लालची या फरेबी तो बिल्कुल नहीं लगता। मन करता है लुटा दूँ खुद को उस पर।
कहानी का पहला भाग: खेत खलिहान-1 कहानी की तीसरा भाग: खेत खलिहान-3 रेणु ने रोका,”ऐ, क्या करते हो।” सुरेश उसके स्तनों पर झुक गया। उनकी
संजना एकदम से संकुचित हो गई; देख कर सुरेश का दिल और रीझ गया। यह सही समझदार और शीलवान लड़की है। ‘शील’ शब्द से उसका ध्यान कुँआरेपन की सील की ओर चला गया। लगता नहीं कि अभी इसकी ‘सील’ टूटी है। ‘सील तोड़ने’ के खयाल से वह रोमांचित हो उठा।
गुदगुदी तो संजना के दिल की गहराई में भी हो रही थी, वो भी इस सारे क्रिया कलाप से रोमांचित थी लेकिन नारी सुलभा लज्जा और पहली बार का डर… उसके इस रोमांच को दबा दे रहे थे. वो सोच रही थी कि ‘क्या करेगा यह?’ संजाना को पता सब कुछ था लेकिन फिर भी खुद के मन को समझाने के लिए खुद से अनजान बन रही थी.
वो अब गाँव के स्कूल से निकल कर शहर कॉलेज में जाने से प्रफुल्लित थी. वो अपनी एक सहेली के साथ शहर से गाँव लौट रही थी साइकिल पर… रास्ते में गरमी के कारण एक खेत में बनी फूंस की एक झोंपड़ी पर सुस्ताने के लिए रूक गयी. देसी जवानी की कहानी का मजा लें!
जिस तरह से वह रोक रही थी उससे लग रहा था वह मौखिक रति के सुख से अपरिचित थी। शायद कुणाल उसे उसे यह मजा नहीं देते थे। मैं जल्दी जल्दी चाटने लगा। वह उछलने लगी और हाथों से मेरा सिर ठेलने लगी, “छी छी जीजा जी, ये क्या कर रहे हैं… ओफ… ओफ… ये क्या कर रहे हैं जीजाजी… ओफ जीजाजी…”
मेरी बीवी की बहन… मेरी साली… वह मुझे अपना सबसे प्रिय व्यक्ति कहती है। ‘मेरे सबसे प्यारे जीजाजी’ आप बहो.ऽ.त बहो.ऽ.त अच्छे हैं, (‘हो’ को खींचकर बोलती है) ‘ये मेरा लक है कि आप जैसे जीजा मिले’। मैं पूछता हूँ आपका लक या दीदी का? ”दीदी का”… और मंद छलकती हँसी।
मेरे दोस्त की बीवी की ब्रा में ढकी छातियों और अंडरवियर पहनी चिकनी गोरी टाँगों का दृश्य दिमाग़ से हट नहीं पा रहा था। दोनों स्त्रियों की आज जोरदार कुटाई होने वाली थी।
जर, जोरू और जमीन- झगड़े की यही सबसे बड़ी वजहें होते हैं लेकिन हमारे मामले में कुछ उल्टा ही हुआ था। ‘जोरुओं’ की वजह से हम दो दोस्तों की टूट चुकी दोस्ती फिर से जुड़ गई।
कल्पना के जबड़े दुख रहे थे, योनि दुख रही थी, अंग-अंग टूट रहा था। उसने मन में झाँककर देखा, कोई अपराध-बोध तो नहीं? नहीं, ऐसा कुछ नहीं। उसने जो किया है सोच-समझकर किया है।
मोटे होठों की खड़ी फाँक, बीच में गहरा भूरापन लिये- जैसे किसी ने पाव रोटी को बीच से काटकर अंदर चॉकलेट दबा दी हो। जेम्स होठों पर जीभ फेरने लगा।
कल्पना आधी आँखें मूँदे पलकों की झिरी से देख रही थी।
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