दीवाने तो दीवाने हैं-2
प्रेषिका : शमीम बानो कुरेशी “आ तेरा लण्ड मल दूँ, फिर चूसूंगी !” रशीद तो खुशी के मारे बावला हुआ जा रहा था। मैंने उसे
प्रेषिका : शमीम बानो कुरेशी “आ तेरा लण्ड मल दूँ, फिर चूसूंगी !” रशीद तो खुशी के मारे बावला हुआ जा रहा था। मैंने उसे
प्रेषिका : शमीम बानो कुरेशी इन दिनों मैं बनारस में अपनी दुकान पर भी बैठने लगी थी। मात्र साड़ियाँ व औरतों के ही कपड़े थे।
प्रेषिका : निशा भागवत रोमा शादी होने के बावजूद भी अकेली रहती थी। उसके पति कुवैत में सुनार का काम करते थे, पैसे की उसे
प्रेषक : साहिल भार्गव क्या आपको लगता है कि मैं सुंदर हूँ? क्योंकि मेरे प्रेमी ने मेरी सबसे अच्छी सहेली (जैसा कि मैं उसके लिए
मेरा नाम विकास है, भोपाल में रहता हूँ, मेरी उम्र बाइस साल है और मेरा कद 5 फीट 11 इंच, रंग गोरा और स्लिम बॉडी
लेखिका : अनुष्का उस दिन अज्जु ने मुझे एक नये अनुभव का सुख दिया। मैं बहुत खुश हो गई और तभी मैंने अज्जु को बताया
लेखिका : शमीम बानो कुरेशी मैं बाज़ार जाने के लिये घर से निकल पड़ी। मुख्य सड़क पर आते ही मैंने सिटी बस ली और उस
मेरे पति टूर पर ज्यादा रहते हैं इसलिये मैं सेक्स के लिये परेशान रहती हूँ। मैंने अपनी एक सहेली बना रखी है, म पति के टूर पर जाने पर
उसके साथ मैं दिन-रात खूब मस्ती करती हूँ।
लेखिका : मोनिषा बसु दोस्तो, आज मैं अपने जीवन की एक और मीठी याद आप के साथ बाँट रही हूँ। मैं अपने कॉलेज के जमाने
कामिनी मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी.
मेरे हाथ धीरे से उठे और उसके बाल सहलाने लगे.. अचानक उसका हाथ मेरी पेंटी में घुसता चला गया… मेरी सिरहन सर से पैर तक दौड़ गई लेकिन अब तक मैं बेबस हो चुकी थी…
प्रेषक : जो हण्टर हम तीनों एक साल से शहर में पढ़ रहे थे। मैं और मेरी बहन मुन्नी और गांव में ही रहने वाली
कामिनी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी। ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गर्म और इतनी लम्बी थी कि मेरे पूरे मुँह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी।
मैं हर जगह अपने लिए मर्द तलाशती फ़िरती हूँ, अपना बदन दिखाती फ़िरती हूँ, अक्सर सड़क पर चलते-चलते मैं मर्दों की पैन्ट का उभार सहला देती हूँ, कहीं बैठती हूँ तो टांगें फ़ैला कर! ताकि लोग मेरी चूत के दर्शन कर सकें!
मैंने ख़ुद पाँव लम्बे किए और चौड़े कर दिए वो ऊपर चढ़ गए। धोती हटा कर लंड निकाला और भोस पर रगड़ा। मेरे नितम्ब हिलने लगे। वो बोले: साहिरा बेटी, ज़रा स्थिर रह जा, ऐसे हिला करोगी, तो मैं कैसे लंड डालूँगा?
मैं स्वाति हूँ, सेक्स की मूर्ति! और मैं आपके लिए वो सब कर सकती हूँ जो आपकी पत्नी आपके लिए कभी नहीं कर पाएगी। क्या आप मेरे बदन की सैर करना चाहेंगे?
“बहू घुस गई गाण्ड में पापा…रसीली चूत का आनन्द लो पापा…! मेरा पजामा उतार दो ना और ये टॉप… खीच दो ऊपर… मुझे नंगी करके चोद दो… हाय…” कोमल पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी. मेरा पजामा उसने नीचे खींच दिया. मेरा लौड़ा फ़ुफ़कार उठा.
मेरी पत्नी मुझे अपने पास नहीं आने देती थी. मेरे बेटे की शादी के बाद मेरी बहू ने कुछ देखा और मुझे बताया कि मेरी पत्नी का किसी गैर मर्द से ताल्लुक है. इसके बाद मेरी बहू ने कैसे मेरी मदद की, पढ़ें इस नोन वेज स्टोरी में!
मेरे कई प्रेमी बहुत चकित हो जाते हैं कि सुबह मेरी आंख खुलने से लेकर रात को सोने तक, मैं चुदाई के बारे में उससे भी अधिक सोचती हूँ जितना वे सोचते होंगे!
प्रेषक : ? एक था गाँव जिसका नाम था लादपुर, बहुत ही छोटा सा गाँव था, बस 30-35 घरों का बसेरा था। करीब 150 लोग
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