मेरे प्यार की कीमत-2
अगले झटके में मेरे कौमार्य को तोड़ते हुए आनन्द का लंड को पूरा अंदर घुस गया। अगर चूत में कोई तेल लगाया होता तो इतना दर्द नहीं होता.
अगले झटके में मेरे कौमार्य को तोड़ते हुए आनन्द का लंड को पूरा अंदर घुस गया। अगर चूत में कोई तेल लगाया होता तो इतना दर्द नहीं होता.
हेलो, मैं हूँ गोपी ! जी हाँ, मैं ही हूँ आपकी जानी पहचानी नाजुक सी, सदा खिलखिलाती सी गोलू मोलू सी गोपी भाभी ! मैं
उम्र यही कोई 20-22 साल, बाल गन्दे, उलझे, लेकिन चेहरा सुन्दर है, ख़ास कर उसकी आँखें, फटे हुए वस्त्रों में से उसका बदन बाहर झांकता
वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ ! मैंने उसके
प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया “अरे बाप रे, रेशू आण्टी, मुझे तो देर हो गई।” कॉलेज में देर हो जाने से मैं घबरा गया था।
प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई के लिये गांव से अपनी आण्टी रेशू के यहाँ शहर में आ गया था। अब
शमीम बानो कुरेशी मैंने उसका लण्ड पकड़ा और जोरदार मुठ्ठ मारी… फिर मुँह में भर कर उसे खूब चूसा…। उसके लण्ड से भी जवानी के
शमीम बानो कुरेशी मैं सुहाना से मिलकर बाहर निकली ही थी कि एक सुन्दर से जवान लड़के से टकरा गई। मैं एकदम से घबरा गई-
प्रेषिका : दिव्या डिकोस्टा मम्मी तो राजू से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गई और और अपनी चूत में
कुलजीत पंजाब का एक बड़े जमींदार का गबरू जवान बेटा था जो बम्बई शहर में रह रहा था। आजादी से कुछेक साल पहले के सावन
फ़ुलवा हरजीत सिंह ज्यों ही कमरे में दाखिल हुआ, सन्तो पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तर्रार आँखों से उसकी तरफ घूरकर देखा और दरवाजे की
लेखिका : कामिनी सक्सेना वो मेरे साथ ही बिस्तर पर लेट गई और मेरी चूत को सहलाने लगी- कम्मो, वो दीपक का लण्ड कैसा रहेगा?
फ़ुलवा “और बता क्या हाल है?” “अपना तो कमरा है, हाल कहाँ है?” “ये मसखरी की आदत नहीं छोड़ सकती क्या?” “क्या करूँ? आदत है,
दिल तो मेरा भी है प्रेषक : ठाकुर मुलाकातों का दौर बढ़ता चला गया। अब इतनी मुलाकातों में वरुण भी अक्षरा को ठीक से समझ
दिल तो मेरा भी है प्रेषक : ठाकुर नोट उड़ाए जा रहे हैं, रंगीली नाच रही है, छम-छम कर घुंघरू पैरों में बज रहे हैं,
प्रेषक : गुल्लू जोशी बस में कोई खास भीड़ तो नहीं थी, पर शाम की बस थी जो रात के दस साढ़े दस बजे। तक
मैं रहने के लिए किराये का कमरा ढूंढ रहा था. मुझे एक चाबीली सी भाभी ने कमरा किराये पर दे दिया. कमरे के साथ मुझे और क्या मिला. इस सेक्सी कहानी में पढ़ें!
लेखिका : कमला भट्टी मैंने धीरे धीरे उसकी योनि के ऊपर के उत्थित प्रदेश को सहलाया तो उसकी टाँगे खुदबखुद चौड़ी होती चली गई !
लेखिका : कमला भट्टी मैंने चुपचाप उसकी सख्त गोलाइयों को पकड़ा और शर्ट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया, मेरे होटों ने उसके
लेखिका : कमला भट्टी आज मैं एक नई कहानी बता रही हूँ आशा है आपको पसंद आएगी ! यह घटना मुझे मेरे जीजाजी ने सुनाई
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