सेक्स से वंचित शादीशुदा भाभी से दूसरी मुलाकात
कुछ समय पूर्व मैंने एक भाभी को सेक्स का सुख दिया था. एक दिन उसका फोन आ गया. वो मुझसे दोबारा मिलना चाहती थी.
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कुछ समय पूर्व मैंने एक भाभी को सेक्स का सुख दिया था. एक दिन उसका फोन आ गया. वो मुझसे दोबारा मिलना चाहती थी.
मैं एक उंगली उसकी चूत के पानी से गीली करके उसकी गुदा पर फेरने लगा, चूत का पानी बह कर उसकी गुदा के छेद पर आ चुका था तो मैंने उंगली को उसकी गांड में सरका दिया
ऐसे पाठकों के दिमाग़ी दीवालिएपन पर तरस आता है क़ि अगर वो जगह जगह मुँह मारने वाली होती तो उसने पति के विदेश जाने के बाद 6 साल तक खुद पर काबू नहीं रखा होता।
वो मेरे निप्पल सहलाने लगी। मैंने उसकी जांघों के जोड़ों को चाटना शुरू कर दिया, कभी हल्के दाँतों से काटता और कभी उसकी रेशम जैसी जांघों को चूसने लगता।
लेटे लेटे आँख लग गई और शायद 10-12 मिनट बाद वो थोड़ी सी हिली जिससे मेरी खुमारी भी टूट गई। यह एक ऐसी खुमारी होती है जो दुनिया के किसी भी नशे में नहीं मिलती।
सेक्स के लिए मैं तैयार हूँ, यह बात मैने उसे फ़ोन करके बता दी और हमने मिलने का समय तय कर लिया। वो मुझे अपने घर ले गई और अब उसकी नारी सुलभ लज्जा आड़े आ रही थी।
मुझे काफ़ी टाइम हो चुका था किसी के साथ करे हुए पत्नी तो 7- 8 साल से ना के बराबर ही रूचि लेती थी, इसलिए मुझे भी सेक्स की भूख तो थी ही और बिना मेहनत के कोई खुद ही राज़ी हो जाए तो फिर तो क्या ही कहना।
मेरे पति को गये हुए करीब 6 साल हो गये हैं, वो पैसा तो बराबर घर पर भेजते हैं पर एक अकेली औरत का काम सिर्फ़ पैसे से ही नहीं चलता, कुछ और ज़रूरतें भी होती हैं।
उस रात दीपो ने सिर्फ मेरी औलाद के लिए मेरे साथ सेक्स किया. उसके जुड़वां बेटे हुए… लेकिन उसके बाद उसके और मेरे जीवन में वो वो हुआ जो भगवान करे किसी के साथ ना हो!
रात को मैं भाभी के घर गया और खाना खाकर एक कमरे में लेट गया। अभी झपकी लगी ही थी कि मुझे महसूस हुआ कि एक जनाना बदन मेरे पास है, मुझे सहला रहा है।
‘दीपो?’
वो बोली- मैं अगले महीने यहाँ रहने आ रही हूँ, और वो भी पूरे 2 महीने के लिए, और तुम्हारी वो तमन्ना मैं उस वक्त पूरी करूँगी और जिस दिन मैं तुम्हें बुलाऊंगी, तुम्हें आना पड़ेगा
यह कहानी है सच्चे प्रेम की ! मुझे एक लड़की से प्यार हो गया, अपने घर वालों के हाथ रिश्ते की बात चलाई लेकिन जाती आड़े आ गई… उसकी शादी तय हो गई फिर भी हम मिले
यह कहानी है सच्चे प्रेम की ! जो कहानी पढ़ने का शौक रखते हैं उनको यह कहानी अच्छी लगेगी पर जो सिर्फ़ सेक्स ही पढ़ने वालों को शायद उनको यह कहानीअच्छी ना लगे।
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अब माला के जिस्म पर तो एक धागा तक नहीं था और मेरे जिस्म पर पजामा था और मैं चाहता था किसी तरह से माला
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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा बिट्टू यानि कि दलबीर का नमस्कार, और साथ ही अन्तर्वासना डॉट कॉम के इस पटल का भी धन्यवाद जिसने
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