भाभी की खुल गई भैंस
Bhabhi ki Khul gai Bhains अगस्त का महीना था, मैं खाना खाकर दरवाजे चारपाई पर मच्छरदानी लगाकर लेटा था क्योंकि गाँव में बिजली खराब थी
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Bhabhi ki Khul gai Bhains अगस्त का महीना था, मैं खाना खाकर दरवाजे चारपाई पर मच्छरदानी लगाकर लेटा था क्योंकि गाँव में बिजली खराब थी
चक्रेश यादव दोस्तों नमस्कार, सुनाइए कैसे हैं आप? इस बार काफी दिनों बाद आपसे रुबरू हो रहा हूँ। यह कहानी मेरे एक दोस्त की है
यह कहानी मेरे एक दोस्त की है जो मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। इस कहानी का एक भाग शराबी की जवान बीवी आप पहले ही
दोस्तो, नमस्कार ! आप सबने होली तो अच्छे से मनाई ही होगी। कई दोस्त तो अपने अनुभव मेल के जरिए बता रहे हैं, पढ़कर काफी
आपने मेरी पिछली दो कहानियाँ ‘गेहूँ की सिंचाई’ और ‘गेहूँ की सिंचाई का फल’ पढ़ी और सराहा, उसके लिए बहुत-2 धन्यवाद। आपने पिछली कहानियों में
अन्तर्वासना के सभी पाठक व पाठिकाओं को नमस्कार ! दोस्तो, पिछले दिनों आपने मेरी कहानियाँ पढ़ी और ढेर सारे तारीफ भरे मेल किए, जिसके लिए
दोस्तो, नमस्कार ! मैं चक्रेश यादव अपनी नई कहानी के साथ आपकी सेवा में हाजिर हूँ। बात उस समय की है जब मेरी इण्टर की
हैलो दोस्तो, नमस्कार और नव वर्ष की ढेर सारी शुभ कामनाएँ ! मैं कामना करता हूँ कि आप सबके जीवन में यह नया साल नई
दोस्तो, नमस्कार ! आपने मेरी कहानी ‘गेहूँ की सिंचाई’ पढ़ी और तारीफ भरे मेल किए, इस हौसला-अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया। अब आते हैं आगे की
लेखक : चक्रेश यादव दोस्तो, ठण्ड की शुरुआत हो चुकी है और गेहूँ की सिँचाई का समय भी आ गया है। अभी दो दिन पहले
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