होली में चाची का ब्लाउज फटा, बाद में चूत चुदी
पड़ोस की चाची के साथ होली खेलते हुए मेरा हाथ उनके ब्लाउज में घुस गया और फट भी गया. मैं गर्म हो गया लेकिन कुछ नहीं कर सका. फिर मुझे मौक़ा मिला उन्ही चाची के बदन से खेलने का!
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पड़ोस की चाची के साथ होली खेलते हुए मेरा हाथ उनके ब्लाउज में घुस गया और फट भी गया. मैं गर्म हो गया लेकिन कुछ नहीं कर सका. फिर मुझे मौक़ा मिला उन्ही चाची के बदन से खेलने का!
मैं थोड़ा झिझका लेकिन फिर घुटनों के बल बैठ कर उसका लण्ड चूसने लगा, उसके लण्ड की खुशबू मेरे नथुनो में भर गई। मैं उसका और उसके लण्ड का दीवाना था।
मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करना चाहता हूँ लेकिन वो कहती है कि शादी के बाद ही हम सुहागरात पर सेक्स करेंगे. ज्यादा जोर देने पर कहती है- तुम किसी दूसरी लड़की से दोस्ती कर लो और उसके साथ सेक्स कर लो, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
वो यही कहती है कि उसे उसके पति के साथ उतना मज़ा नहीं आता जितना मेरे साथ आता है. वो बताती है कि उसके पति में कोई कमी नहीं है, वो भी अक्सर उसे पूर्णानन्द तक ले जाता है
मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश है कि तुम मुझसे एक बार बात करो, मैं कौन सा तुम्हें किसी बात के लिए दबाव डाल रहा हूँ, एक बार बात कर लो, फिर जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा.
ऐसा नहीं कि मेरी बीवी सम्भोग करना नहीं चाहती या सेक्स करते समय सहयोग नहीं कर रही, लेकिन जैसे ही मैं उसकी योनि में लिंग प्रवेश कराने लगता हूँ, वो दर्द के मारे मुझे दूर धकेल देती है
एक रात मैंने पड़ोसन आंटी को छत पर मूतते देखा. उन्हें भी पता चल गया कि मैंने देखा है। अगले दिन उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा कि क्या क्या देखा.
सबने मेरे लंड के आगे अपना अपना मुँह खोलकर लगा दिया और चाटने लगीं, समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है? मेरे लंड की यह सब इतनी प्यासी क्यों हैं?
मेरे जीवन की पहली चुदाई मेरी रिश्ते की बड़ी बहन के साथ हुई। रात में वो अपनी चूत में उंगली कर रही थी और मैंने मौके का फ़ायदा उठा कर उस कुंवारी चूत का मज़ा लिया।
मैं सौतेली दीदी को याद करके मुठ मारता था और मैंने सोच रखा था कि उनको एक दिन मैं ज़रूर चोदूँगा.. एक बार दीदी घर आई थीं। आगे का घटनाक्रम कहानी में पढ़िए..
बुआ जी के घर में पार्टी में मेरी मुलाक़ात उनकी बेटी की सहेली से हुई… वो इतनी सेक्सी दिख रही थी कि दिल में आया कि यहीं लिटा कर इसकी चूत चोद दूँ.. पार्टी के बाद हम पकड़म पकड़ाई खेलने लगे तो जब भी मैं उसे पकड़ने लगता तो वो बोलती- हम आपके हैं कौन! आखिर मैंने उसे पकड़ ही लिया और कहा- अब बताता हूँ कि मैं हूँ कौन…
फिर अजय के हटते ही अनुराग ने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया, मैं फिर मस्त हो गई, अनुराग बहुत धीरे धीरे चोद रहा था, दो चार झटके के बाद रुकता, फिर चोदता और मैं उसकी इस हरकत से खुश हो रही थी।
मैं फिर अनुराग को ढूंढने लगी कि तभी उसका लण्ड मेरे हाथों में आया और मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में भर कर लण्ड
आप सभी ने पढ़ा कि किस तरह मुझे अनुराग ने होटल के कमरे में मेरे साथ सुहागरात मनाई। आज की कहानी भी अनुराग के साथ की ही है, तो आइये मैं आप सभी को अपनी अनुराग के साथ चुदाई की कहानी बताती हूँ।
एक युवती को मैं तीन वर्ष से जानता हूँ। पहले तो मेरी उसके साथ कोई बात-चीत नहीं होती थी, हम अकसर लड़ाई ही करते रहते
दोस्तो, नमस्कार, मेरा नाम चित्रेश है, आपने मेरी कहानी चाँद की चांदनी में चाची की चूत चाटी का पहला भाग पढ़ा जिसमें मैंने आपको बताया
एक रात को मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि चाची ने मुझे अपनी बाहों से जकड़ रखा है। शायद वो मुझे नींद में चाचा समझ रही थीं।
दोस्तो, यह बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरे पिताजी महीने में एक बार 3-4 दिन के लिए अपने गाँव
उसका लौड़ा तो इतना लंबा-चौड़ा था ही बल्कि वो खुद भी कितना मजबूत और ताकतवर था। इस तरह उल्टी लटके हुए उसका लौड़ा चूसते हुए
गाँव में मेरे घर से 2-3 घर छोड़कर एक घर है जिसमें गीता नाम की लड़की रहती है, हमारी छतों के फासले भी ज्यादा नहीं थे, मुझे धीरे-2 गीता में इंटरेस्ट आने लगा और मुझे लगा कि शायद यही मेरी पहली चुदाई की इच्छा पूरी कर सकती है।
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