चूचियाँ कलमी आम-3
अब मुझे भी अहसास हो गया था कि अब यह चुदने को पूरी तरह तैयार है जो उसके मेरे सीढ़ी चढ़ने पर कहे शब्दों से
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अब मुझे भी अहसास हो गया था कि अब यह चुदने को पूरी तरह तैयार है जो उसके मेरे सीढ़ी चढ़ने पर कहे शब्दों से
मैं- सब्ज़ी का तो काकी कुछ बोली नहीं…हाँ, कलमी आम चूसे बहुत दिन हो गए? गौरी- लेकिन मेरे पास तो सब्जियाँ हैं, पहले कहते तो
आपके ढेरों ईमेल इस बात के परिचायक हैं कि आपको मेरा साझा अनुभव बहुत पसंद आया, इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। कई लोगों ने
प्रेषक : होलकर उन्होंने सर पर कपड़ा कब लपेट लिया था, ध्यान ही नहीं रहा। ‘हाय मेरी सिल्क स्मिता !’ मैंने दिल में सोचा, मैंने
प्रेषक : होलकर नज़ारा भूले नहीं भूलता, चिकनी, चमकदार चमड़ी का स्पर्श और चिकना पेट आँखों में घूमता रहा, माँ का भोंसड़ा प्लेबाय मैगजीन का
शेक्सपीयर जो अपने आपको बड़ा चाचा चौधरी समझता था, उसने कहा था कि बेशक गुलाब को अगर गुलाब की जगह किसी और नाम से पुकारा
शेक्सपीयर जो अपने आपको बड़ा चाचा चौधरी समझता था, उसने कहा कि बेशक गुलाब को अगर गुलाब की जगह किसी और नाम से पुकारा जाता
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