बिना सोचे समझे बहन के पति से चुद गई- 3
(Xxx Jija Sali Sex Story)
Xxx जीजा साली सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि दो बार मेरी चूत चोदने के बाद मेरा जीजा मेरी गांड मारना चाहता था. मगर मुझे उसके मोटे लंड से डर लग रहा था.
यह कहानी सुनें.
हैलो फ्रेंड्स, मैं सुधा आपके सामने अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
छोटी बहन के पति का लंड चूसा
में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बहन के पति मनीष ने मुझे फिर से चोदने के लिए गर्म कर दिया था और वो अपना लंड मेरी गांड पर फेरने लगा था, जिससे मैं घबरा गई थी.
अब आगे Xxx जीजा साली सेक्स स्टोरी:
मैं घबरा गई इसलिए जल्दी से घूम कर उसे गालियां देने लगी- साले फ्री का माल समझा है क्या … पहले अपनी बीवी की और अपनी बहन की गांड मार, फिर मेरे पास आना!
मनीष हाथ जोड़ कर कहने लगा- जीजी आपकी गांड बहुत मस्त है, प्लीज एक बार मार लेने दो!
पर मैंने साफ मना कर दिया- नहीं अगर चूत मारनी है, तो आओ … नहीं तो घर जाओ.
मनीष मेरे तेवर देख कर डर गया और चूत मारने के लिए राजी हो गया.
क्योंकि जो राजी से मिल रहा है, उसे ले ले … नहीं तो वो भी हाथ से चला जाएगा.
यह सोचकर उसने मुझे वापस से स्लैब पर झुका दिया और मेरे पीछे आकर अपना सुपारा मेरी चूत के छेद पर भिड़ा दिया.
फिर मेरे दूध पकड़ कर उसने एक ही झटके में पूरा लंड घुसेड़ दिया.
मेरे मुँह से ‘अह्ह … ह्ह … ह्ह्ह … धीरे … मर गई …’ की चीख निकल गयी.
उसका लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ मेरी बच्चेदानी पर जाकर अड़ गया.
वो यहीं नहीं रुका, उसने तो एकदम राजधानी एक्सप्रेस चला दी.
मैं तो उसके धक्कों की कायल हो गयी.
वो पूरा लंड बाहर निकालता और एक ही झटके में पूरा घुसेड़ देता.
थोड़ी ही देर में मेरी हालत पतली हो गयी.
मैं उसे बेडरूम में चलने को बोलने लगी … क्योंकि मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था.
फिर मनीष ने ऐसे ही मुझे गोदी में उठा लिया.
उसका लंड पीछे से मेरी चूत में था और वो मुझे मेरे ही घर में ऐसे घूम रहा था जैसे मैं उसकी बीवी हूँ.
फिर वो मुझे बेडरूम में ले आया और मुझे बेड पर पटक दिया.
वो वापस से मेरी चूत पर झुक गया, उसने वापस से मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया.
मैं तो बुरी तरह से झनझना रही थी, मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी.
मनीष का मुँह, मैं पैर से … तो कभी हाथ से चूत पर दबाने लगी थी.
इसके थोड़ी देर बाद ही वो उठा और अपना खड़ा लंड मेरे होंठों से भिड़ा दिया तो मैंने उसे मुँह में ले लिया.
थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद वो उठा और मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरी टांगों के बीच आ गया.
अब उसने मेरी टांगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चूत की फांकों में रगड़ने में लगा.
मैं- मनीष अब मत तड़पाओ … जल्दी से अन्दर आ जाओ.
वो शायद मेरे बोलने का ही इंतजार कर रहा था, उसने मेरी जांघें पकड़ीं और एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.
चूत के गीली होने से एक बार में ही लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जाकर टकरा गया.
मेरे मुँह से वापस चीख निकल गई.
आज मैं इतना चीख रही थी, जितना मैं अपनी पिछली दस साल की शादीशुदा जिंदगी में नहीं चीखी थी.
इसका कारण उसका लंड था, जो जरूरत से ज्यादा मोटा और टेड़ा था और मेरी चूत को फाड़ने पर तुला हुआ था.
मनीष जोर जोर से धक्के मार रहा था. मेरी सांसें बड़ी तेज चल रही थीं और मेरे मुँह से तो ‘आह्ह … ह्ह्ह … हुन्न्न … न्न्न … आउच्च … चच्छक …’ की आवाजें निकल रही थीं.
वो लगातार मुझे चोदता जा रहा था.
करीब दस मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं मनीष से कहने लगी- आआ ह्ह्ह जान … जरराआआ जोअर से आउच्च … च्च्च्च … च्च्छ्ह्हह तेज करो … मजा आआ … रहा आआ आ है.
फिर एक जोरदार चीख के साथ मैं उससे लिपट गई और झड़ गई.
पर वो अभी तक नहीं झड़ा था, उसका लंड ऐसे ही लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था.
पता नहीं कितना स्टेमिना था उसक अन्दर!
वो तो झटके मारे जा रहा था, कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थीं.
मेरी कराहें पूरे रूम में गूंज रही थीं.
आज तो मैं खूब जोर जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि आज मुझे सही मायनों में मर्द का लंड मिला था.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे पलट दिया और मेरी चूत के नीचे दो तकिया लगा दिए जिससे मेरे चूतड़ पीछे की तरफ उठ गए.
मैंने सोचा कि वो पीछे से चोदेगा क्योंकि सुबह भी उसने मुझे ऐसे चोदा था.
पर उसकी नियत में कुछ और ही था जिसे मैं बाद में समझ पाई.
फिर पीछे से उसने मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया.
इसके बाद जो उसने धक्के मारने चालू किए कि क्या बताऊं.
मैं तो बुरी तरह से आगे पीछे हो रही थी, मेरे दूध तो ऐसे हिल रहे थे कि लग रहा था कि ये तो नीचे लटक कर अलग हो जाएंगे.
मेरे मुँह से बस ‘अह्ह … ह्ह … ह्ह्ह … धीरे … मर गई … ही निकल रहा था.
वो साला मेरी चूत की रगड़ाई, मसलाई और पिसाई में लगा था.
थोड़ी देर बाद मनीष ने मेरी चूत से लंड निकाल लिया और मेरी गांड के छेद पर अपना लंड को टिका कर धक्का मार दिया.
लंड मेरी चूत के पानी से गीला था जिससे उसका सुपारा मेरी गांड के अन्दर चला गया और मेरी तो जान ही गले में आ गई.
मेरे मुँह से ‘अहह मम्मी ओह्ह मार दिया जालिम ने आइ … इइइ …. इस्स्सीईई … बाहरर निकालो … उई मर गई …’ बस इतना ही निकल पाया.
मैं उस पर चिल्लाने लगी- साले, फ्री का माल समझ रखा है क्या … निकालो बाहर ओह्ह मम्मी मर गयी निकाल कमीने … मेरी गांड फट गई. जा अपनी बीवी की गांड फाड़ … अपनी बहन की गांड फाड़!
पर उस पर कोई असर नहीं हो रहा था, वो तो बस मेरी ही गांड फाड़ने पर तुला हुआ था.
फिर उसने लंड थोड़ा पीछे किया, तो मेरी जैसे जान में जान आई.
पर वो वहीं पर लंड को आगे पीछे करने लगा.
वो बोलने लगा- बस जीजी जीजी, बस हो गया.
मैं उसे अभी भी गाली दे रही थी.
पर अब तक इतनी देर में दर्द थोड़ा कम हुआ ही था कि इस बार उसने पूरा जोर लगा कर करारा धक्का मार दिया.
इस अचानक हमले से मैं तो घबरा ही गई और मुँह तकिए में दबा कर चीखने और रोने लगी.
ऐसा लग रहा था कि मेरी गांड फट गई और उसमें से खून आने लगा हो.
मेरे मुँह से बस ‘आह … आईईइ उई … नहीं … आह्ह बहुत दर्द हो रहा है … उईई उइ … रूको … आह्ह … निकाल लो.’ निकल रहा था.
मैं दर्द के मारे आगे को सरकना चाहती थी, मगर मनीष ने मजबूती से मेरी कमर को पकड़ रखा था.
मनीष- आह्ह … मज़ा आ गया … जीजी … क्या मस्त गांड है आपकी … आह्ह … बहुत टाइट है … ले आह्ह … संभाल आह्ह.
उसने धक्के मारने चालू कर दिए. उस जालिम को बिल्कुल तरस नहीं आ रहा था.
थोड़ी देर में दर्द कुछ कम होने लगा और कुछ राहत महसूस होने लगी थी.
लेकिन तभी उसने गांड से लंड निकल कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया.
अब वो बारी बारी मेरी चूत और गांड मार रहा था.
करीब आधे घंटे तक मेरी धकापेल चुदाई करने के बाद उसने मुझे पीठ के बल लेटा दिया और मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर मेरी चूत में लंड पेल दिया.
इस आसन में लंड सीधा अन्दर तक चोट करता है.
शायद वो झड़ने बाला था.
मैंने उसका इरादा समझ कर उसे चूत में निकलने को मना किया.
मनीष बोलने लगा- जीजी चूत में पानी निकालने में अलग ही मजा आता है … प्लीज आप टेबलेट खा लेना.
मैं- कमीने तू बहुत हरामी है. टेबलेट खा लेना … जैसे मैं कोई रंडी हूँ.
लेकिन वो कह तो सही रहा था.
औरतों को अगर गर्भ ठहरने का खतरा न हो तो वो हमेशा चूत में ही स्खलन चाहती हैं क्योंकि जब चूत में गर्म गर्म वीर्य की बौछार होती है तो उसका मजा अलग ही होता है.
मर्दो को तो मजा आएगा ही क्योंकि लंड को जो अहसास चूत के अन्दर मिलता है, वो कहीं और कहां मिलेगा.
फिर उसने मेरे दूध मसलते हुए जो रेल चलाई कि मेरी तो चूत चरमरा गई.
उसके हर धक्के पर मेरे मुँह से ‘आह मम्मी मर गयी ईई …’ निकल रहा था.
मनीष के मुँह से भी अब मादक आवाजें निकलने लगी थीं- उहह उहह … मेरी जान आह्ह … आह्ह … बस आ गया … आह्ह … ले उहह … उहह.
उसने अपने लंड को आखिरी झटका मार कर लंड को मेरी बच्चेदानी के मुँह में फंसा दिया.
उसका सुपारा पहले की भांति ओर ज्यादा फूल गया.
मेरी जान हलक में फंस गयी. मेरी बच्चेदानी में फंसे उसके सुपारे से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी. वीर्य के गर्म अहसास से मेरी भी चूत बहने लगी.
हम दोनों ही मस्ती में झड़ने लगे थे.
पता नहीं कितनी देर तक वो ऐसे ही झड़ता रहा और उसका वीर्य मेरी चूत से होते हुए मेरी बच्चेदानी को भरता रहा.
मैं भी बेसुध सी उसके नीचे पड़ी रही.
मेरे दूध उसके भरे हुए सीने से दबे कराह रहे थे.
उसका लंड मेरी चूत में फंसा पड़ा था.
सही मायनों में आज में जन्नत में थी.
लेकिन इस बार जब उसका लंड नहीं सिकुड़ा तो मैं उससे पूछने लगी.
मनीष डरते डरते बोला- वो जीजी जब मैं आपके लिए टेबलेट लेने गया था. तो मैंने भी सेक्स की एक गोली लेकर खा ली थी.
अब जाकर मेरी समझ में आया कि ये क्यों इतनी देर से मेरी चूत फाड़ रहा था … और अभी भी मेरी चूत में फंसा पड़ा था.
मैं उसे गाली देने लगी- कमीने, गोली खाकर मेरी हालत खराब कर दी. मैं सोच रही थी कि इतनी देर से निकल क्यों नहीं रहा. अब निकाल जल्दी से … मेरी चूत जल रही है.
मनीष डर गया और उसने एक झटके में अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया.
मुझे ऐसा लगा कि लंड के साथ मेरी चूत की दीवारें भी बाहर आ जाएंगी.
उसका लंड अभी भी लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था. जिससे वो भी परेशान था और वो मेरी तरफ बड़ी लाचारी से देख रहा था.
मुझे भी उस पर तरस आ गया तो मैंने उसे इजाजत दे दी कि जल्दी से अपना पानी निकाल ले. मेरे बच्चों के आने का टाइम हो गया.
वो बहुत ज्यादा खुश हो गया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रखकर मेरी चूत में लंड पेल दिया.
मेरे मुँह से कराह निकल गयी.
मेरी चूत बिल्कुल सूखी हुई थी जिससे मुझे दर्द हो रहा था.
करीब 15 मिनट तक चोदने के बाद भी उसका पानी नहीं निकल रहा था.
मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी, मेरी चूत की दीवारें छिल गयी थीं.
वो जब लंड बाहर निकाल कर चूत में पेलता तो ऐसा लगता जैसे मेरी चूत फट जाएगी.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
मेरी चूत में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची थी कि अब वो और पिलाई छेल सके.
मैंने उसे लंड निकालने को बोला.
उसकी इच्छा तो नहीं थी लेकिन मेरी परेशानी समझ कर उसने लंड चूत से निकाल लिया.
मैं अब घबरा भी रही थी क्योंकि मेरे बच्चों के आने का टाइम हो गया था.
मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ लिया और उसकी खाल पीछे करके सुपारा मुँह में ले लिया.
उस समय मुझे यही सबसे अच्छा तरीका लगा.
मैंने अपने होंठों को को उसके लंड पर कस लिया और उसे धीमे धीमे धक्के मारने का इशारा किया.
मनीष भी मेरे मेरे मुँह को पकड़ कर मेरा मुँह चोदने लगा. साथ में ही वो मेरे मम्मों को मसलने लगा.
मैं भी अब जल्दी से निपटना चाहती थी तो अपने होंठों को कस लिया और उसके सुपारे को चूसने लगी.
कभी मैं उसके सुपारे के छेद को अपनी जीभ से कुरेदने लगती, तो कभी उसके अंडकोष चूसने लगती.
मनीष मेरी चुसाई ज्यादा देर सह नहीं पाया और उसका सुपारा फूलने और पिचकने लगा.
मैं समझ गयी कि उसका पानी निकलने वाला है.
मैंने जैसे ही उसका लंड मुँह से निकालना चाहा, वैसे ही कमीने ने मेरे मम्मों को मसलते हुए अपना लंड मेरे मुँह में पूरा ठूंस दिया, जिससे उसका सुपारा मेरे हलक में जाकर फंस गया.
मेरे मुँह से ‘गु उंगगु …’ की आवाज आने लगी पर उसने मुझे नहीं छोड़ा और उसके सुपारे ने पिचकारियों की बौछार मेरे हलक में छोड़ दी.
मैं क्या करती … मुझे मजबूरी में उसका सारा वीर्य पीना पड़ा.
कमीने ने एक एक बूंद निकाल कर ही अपना लंड मेरे मुँह से निकाला.
फिर वो वहीं बेड पर मेरे पास गिर पड़ा और हांफने लगा.
हम दोनों Xxx जीजा साली की ही हालात ऐसी थी कि पूछो मत.
कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया क्योंकि मेरे बच्चों के आने का टाइम हो गया था.
हम दोनों जल्दी से उठे और बाथरूम जाकर अपने आपको साफ किया.
मेरी चुत, गांड और मेरे मम्मों की हालत बहुत ही खराब हो गई थी.
फिर मनीष अपने घर चला गया और मैं बिस्तर पर लेट गयी.
मेरा पूरा शरीर टूट रहा था, पर मन में एक सुकून भी था.
पता नहीं ये कैसा दर्द था कि इसमें भी अपना अलग ही आनन्द था.
तो दोस्तो, ये थी मेरी Xxx जीजा साली सेक्स स्टोरी, अब आप लोग ही बताओ कि ये सही हुआ या गलत.
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