विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-46
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-46)
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दीपक के लौड़े ने गर्म वीर्य दीपाली की चूत में भर दिया और दीपाली भी प्रिया का पानी गटक गई।
दीपाली को न जाने क्या समझ आया कि प्रिया को जल्दी से हटा कर दीपक को ज़ोर से धक्का दिया वो भी एक तरफ़ हो गया और एक सेकंड के सौंवें हिस्से में दीपाली दीपक के मुँह पर बैठ गई यानि अपनी चूत उसके मुँह पर टिका दी।
दीपाली- आह चाट बहनचोद आहह.. अपना पानी तू खुद चाट रंडी बोलता है ना… आहह.. उह.. ले मेरा रंडी वाला रूप देख.. आहह.. तू तो झड़ गया आहह.. मैं अभी अधूरी हूँ.. मेरी चूत को चाट कर ठंडा कर आहह.. उह.. जल्दी कर भड़वे आह…
दीपाली की चूत से दीपक का वीर्य बह कर बाहर आ रहा था। उसके साथ दीपाली का भी चूत-रस मिक्स होकर आ रहा था।
दीपक ना चाहते हुए भी वो चाट रहा था.. वो शायद दुनिया का पहला लड़का होगा जो अपना ही वीर्य गटक गया। दीपाली की चूत भी चरम पे थी.. कुछ ही देर में उसने झड़ना शुरू कर दिया.. दीपक ने वो भी चाटना शुरू कर दिया।
दीपाली- आआआ एयाया अई चाट आहह.. गई मैं.. आह मज़ा आ गया अई..कककक..उईईइ…
प्रिया तो एक तरफ़ लेटी लंबी साँसें ले रही थी.. उसकी आँखें बन्द थीं और अभी के चरम-सुख का आनन्द वो बन्द आँखों से ले रही थी।
कुछ देर बाद तीनों बिस्तर पे लेटे हुए एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
दीपक- मान गया साली तेरे को.. कसम से तू वाकयी में लाजबाव है.. किस के पास चुदी.. कितनी बार चुदी.. ये मैं नहीं जानता मगर तेरी चूत मैंने पहली बार मारी.. उसमें इतना मज़ा आया.. काश तेरी सील तोड़ना मेरे नसीब में होता तो मज़ा आ जाता।
प्रिया- भाई आपको मेरी सील तोड़ने में मज़ा नहीं आया क्या?
दीपक- अरे बहना बहुत मज़ा आया.. तुझे बता नहीं सकता मैं मगर दीपाली पर कब से नज़र थी मेरी.. इसकी सील तोड़ने का सपना था मेरा.. इसलिए ऐसा बोल रहा हूँ।
दीपाली- दीपक एक बात कहूँ तुमसे.. तुम सब लड़के एक जैसे होते हो.. सब का एक सपना होता है बस.. एक बार सील-पैक चूत मिल जाए.. मगर तुमने ये सोचा है कभी कि जब सील टूटती है तो लड़की को कितनी तकलीफ़ होती है।
दीपक- अरे तकलीफ़ के बाद ही तो मज़ा है यार…
दीपाली- हाँ माना मज़ा है.. मगर मान लो प्रिया को तुमने एक बार चोद कर इसकी सील तोड़ दी तो क्या अब इसकी चूत कुँवारी नहीं है या खुल गई है… भगवान ने भी हम लड़कियों के साथ नाइंसाफी की है.. सील दी मगर ऐसी कि बस एक बार में टूट जाए.. मैं तो कहती हूँ ऐसी सील देते कि उसे तोड़ने के लिए लड़कों को ज़ोर लगाना पड़ता.. उनके लौड़े की टोपी छिल जाती.. कोई 20-30 बार चुदवाती तब जाकर उसकी सील टूटती.. तब लड़कों को तकलीफ़ होती और हमें मज़ा आता।
प्रिया- हाँ यार सही कहा.. फिर कोई लड़का पहले चोदने को नहीं बोलता.. दूसरे से कहता तू चोदले पहले.. मैं बाद में चोदूँगा और लौड़े की तकलीफ़ से डर जाता।
दीपाली- हाँ यार तब ये देह शोषण जैसी घटनाएं नहीं होतीं.. कोई लड़का किसी कुँवारी लड़की को चोदने की हिम्मत नहीं करता।
दीपक- वाह.. रे दीपा रानी.. क्या ख्याली पुलाव पका रही है.. वैसे सोचा जाए तो सही है कोई भी 3 कुँवारी लड़कियाँ जिनकी सील टूटी हुई ना हो.. मिलकर कभी एक लड़के का ब्लात्कार नहीं कर सकतीं.. क्योंकि अगर वो करेंगीं तो दर्द उनको ही होगा.. ऐसे ही दर्द के डर से लड़के भी नहीं करते.. अच्छा सोचा तूने गुड यार….
दीपाली- मेरे सोचने से क्या होता है.. भगवान को सोचना चाहिए…
प्रिया- अब बस भी कर यार जाने दे.. ये बता कल का क्या सोचा तुमने? मैडी की पार्टी में जाएगी या नहीं?
दीपाली- पहले मन नहीं था.. मगर अब जाऊँगी उन दोनों के लौड़े का मज़ा भी चख लूँ यार.. बाद में इम्तिहान शुरू हो जाएँगे तो फिर कहाँ लौड़े नसीब में होंगे…
दीपक- अरे मेरी जान मैं हूँ ना.. इम्तिहान के बाद रोज चुदवा लेना किसने मना किया है।
दीपाली- बस बस.. बोलना आसान है.. इम्तिहान की टेन्शन में किसको चुदाई याद आएगी.. आज और कल तुझे जितना मज़ा लेना है.. लेले.. उसके बाद इम्तिहान ख़त्म होने तक सोचना भी मत…
दीपक- ठीक है मेरी रानी.. कल उन दोनों के साथ मिलकर तेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लूँगा और उस साले मैडी से हजार का नोट भी लेना है कड़क-कड़क….
दीपाली- साले कुत्ते दिखा दी ना अपनी औकात.. किस बात के पैसे बे.. क्या चल रहा है तेरे दिमाग़ में..?
दीपक- अरे अरे.. मेरी जान तू गलत समझ रही है मैं तेरी चूत की दलाली नहीं करूँगा.. मैंने शर्त लगाई थी उसके पैसे लेने हैं।
दीपाली- कैसी शर्त?
दीपक ने उसे सारी बात विस्तार से बताई तब दीपाली को सब समझ आया।
दीपाली- ओह.. ये बात है.. बड़ा हरामी है तू तो.. साले पहले ही पता लगा लिया कि मेरी सील टूट गई है.. अब सुन तू.. उनसे आज मिल और जो मैं बताती हूँ वैसा कर.. ताकि उनको पता ना चले कि मैं किसी से चुदवा चुकी हूँ.. अगर मेरे बारे में उनको कुछ पता लगा ना.. तो देख लेना तेरा और प्रिया का राज़ भी राज़ नहीं रहेगा…
प्रिया- ये तुम क्या बोल रही हो दीपाली.. दीपक मेरा भाई है किसी को पता लग गया तो मैं मर जाऊँगी।
दीपक- साली राण्ड.. धमकी देती है बहन की लौड़ी…
दीपाली- अरे कूल.. मेरे आशिक, मैं धमकी नहीं दे रही अपने आप को सेफ करने के लिए बोल रही हूँ.. बदनामी का डर मुझे भी है.. बस तुम मेरा राज़ छुपाओ.. मैं तुम्हारा.. ठीक है ना…
दीपक- ओके जान ठीक है.. अब बता उनको क्या बोलना है.. वो दोनों तुझे चोदना चाहते हैं और मैं भी चाहता हूँ कि तू उनसे चुदे.. आखिर वो मेरे खास दोस्त हैं।
दीपाली- ठीक है चुद जाऊँगी उनसे.. मगर ऐसे कि उनको मेरे पे ज़रा भी शक ना हो। अब सुन.. जैसा मैं बताती हूँ वैसा कर.. शाम को उनसे मिलना और…
दीपाली बोलती रही, दीपक बड़े गौर से सब सुनता रहा।
काफ़ी देर बाद प्रिया और दीपक के चेहरे पर मुसकान आ गई और खुश होकर उसने दीपाली के होंठों को चूम लिया।
दीपक- वाह क्या आइडिया दिया मेरी जान.. मज़ा आ गया। अब चलो दोनों शुरू हो जाओ मेरे लौड़े को चूसो.. अब अभी मुझे तेरी गाण्ड भी मारनी है।
प्रिया तो जैसे दीपक के बोलने का ही इंतजार कर रही थी.. झट से उसने लौड़े को सहलाना शुरू कर दिया।
दीपाली- अच्छा मेरे आशिक.. मेरी गाण्ड भी मारनी है.. तो लाओ अभी लौड़े को चूस कर तैयार कर देती हूँ।
प्रिया लौड़े को सहला रही थी मगर दीपाली तो लंड की प्यासी थी। सीधे होंठ रख दिए लौड़े पर और टोपी पर जीभ घुमाने लगी। उसको देख कर प्रिया भी लेट गई और गोटियाँ चूसने लगी।
दीपक- आहह.. मेरी रानियों.. चूसो आहह.. मेरे लौड़े को मज़ा आ रहा है आज अभी दीपाली की बस गाण्ड ही मारूँगा और रात को प्रिया की.. साली ना मत कहना.. ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा…
प्रिया- मार लेना भाई.. जब चूत आपको देदी तो गाण्ड में क्या है.. मार लेना जी भर कर मारना बस….
दीपक का लौड़ा चूसा से फनफना गया था अपने वो असली रूप में आ गया।
दीपक- बस साली रण्डियों.. अब चूसना बन्द करो.. आहह.. लौड़ा मस्त खड़ा हो गया। अब बन जा साली घोड़ी.. तेरी गाण्ड मारने का समय आ गया है।
दीपाली भी अब देर नहीं करना चाहती थी उसकी बात मान गई और घोड़ी बन गई।
दीपाली- आजा प्रिया आगे बैठ जा तेरी चूत चाट देती हूँ।
प्रिया- नहीं दीपाली आज के लिए बस मेरा हो गया.. तुम मज़ा करो.. मैं बस देखती हूँ भाई गाण्ड कैसे मारते हैं।
दीपक ने दीपाली की गाण्ड को बड़े प्यार से सहलाया.. उसके छेद में ऊँगली डाली तो दीपाली थोड़ी सी आगे हुई.. जिससे दीपक को लगा गाण्ड ज़्यादा खुली हुई नहीं है.. तभी दीपाली आगे खिसकी…
दीपक- वाह साली तेरी गाण्ड तो बड़ी मुलायम है.. चोदने में बड़ा मज़ा आएगा.. तेरी गाण्ड को देख कर लौड़ा भी देख कैसे झटके मारने लगा है.. आहह.. क्या मस्त गाण्ड चोदने को मिली है.. तेरी गाण्ड मक्खन जैसी है।
दीपाली- हाँ मेरे आशिक पेल दे लौड़ा गाण्ड में.. उसके बाद देख तेरे को कितना मज़ा मिलता है….
दीपक ने लौड़े के सुपारे को गाण्ड पर फिराया और टोपी गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. आधा लौड़ा ‘फच’ की आवाज़ से अन्दर चला गया।
दीपाली- आहह.. अई आराम से बहनचोद.. फाड़ेगा क्या गाण्ड को….
दीपाली ने जानबूझ कर ये सब कहा ताकि दीपक को लगे कि उसने गाण्ड ज़्यादा नहीं मरवाई।
दीपक- आह.. मज़ा आ गया साली लौड़ा अन्दर जाते ही खुश हो गया तेरे उस हरामी यार ने तेरी गाण्ड कम मारी है.. साला कुत्ता बस चूत ही चोदता है क्या…?
दीपाली- आहह.. डाल दे पूरा.. साले कुत्ते आहह.. क्यों तड़पा रहा है आहह.. हरामी होगा तू.. वो तो मेरा आहह.. राजा है आह…
दीपक ने लौड़े को पूरा बाहर निकाला और ज़ोर से झटका मारा.. लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया।
दीपाली- आहह.. मार डाला रे जालिम.. आहह.. तेरा लौड़ा बहुत मोटा है आहह.. अब मार झटके आहह.. मेरी गाण्ड को तेरे रस से मालामाल करदे आहह.. भर दे पूरा लण्ड-रस मेरी गाण्ड में.. मार आहह.. ज़ोर से चोद आहह.. चोद आहह…
दीपक ने रफ़्तार पकड़ ली.. प्रिया बस उनकी चुदाई देख रही थी।
दीपाली- आ साली कुतिया ऐसे फ्री बैठी है आह चल मेरे नीचे आ आहह.. मेरी चूत चाट आहह.. गाण्ड के साथ-साथ चूत को भी मज़ा मिल जाएगा आहह.. आजा जल्दी से…
प्रिया- हाँ छिनाल.. आ रही हूँ.. तू तो बहुत बड़ी चुदक्कड़ है.. तुझे तो चूत में खुजली होगी ही.. ले अभी चाट देती हूँ…
प्रिया नीचे से चूत चाटने लगी और दीपक गाण्ड की ठुकाई में लगा रहा।
करीब 25 मिनट तक ये खेल चला। दीपाली की चूत ने तो पानी फेंक दिया जिसे प्रिया ने चाट लिया मगर दीपक का लौड़ा अभी भी जंग लड़ रहा था।
दीपक- उहह उहह आहह.. साली आहह.. क्या मस्त गाण्ड है तेरी.. आहह.. मज़ा आ गया आहह.. उहह उहह…
दीपाली- अई आह अबे भड़वे आहह.. कब से मेरी गाण्ड का भुर्ता बना रहा है.. आहह.. अब तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. आहह.. तेरा लौड़ा कब उल्टी करेगा आहह…
दीपक- चुप साली रंडी.. बस मेरा भी होने वाला है आहह.. उफ़फ्फ़ आ अई आह…
दीपक के लौड़े ने भी लंबी दौड़ के बाद हार मान ली और वीर्य दीपाली की गाण्ड में भर दिया।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं!
मुझे आप अपने विचार मेल करें।
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