बर्थडे पर दीदी की कुंवारी गांड मिली- 2

(Tight Ass Fuck Story)

टाइट ऐस फक स्टोरी में पढ़ें कि मेरे जन्मदिन पर मेरी दीदी ने मुझे अपनी अनचुदी गांड उपहार में दी. दीदी की चूत तो चोद चोद कर पहले ही भोंसड़ा बना चुका था.

दोस्तो, मैं विशाल जैसवाल आपको अपनी सगी बड़ी बहन की कुंवारी गांड की चुदाई की कहानी सुनाने के लिए हाजिर हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
जन्मदिन पर दीदी ने उपहार दिया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे बर्थडे पर दीदी ने सब कुछ मस्त अरेंज किया था. वो मेरे साथ चुदने के लिए रेडी थी. तभी मैंने उनकी गांड में एक बट प्लग लगा देखा और मुझे समझते देर न लगी कि आज मेरी प्यारी दीदी मुझसे अपनी सीलपैक गांड फड़वाने के लिए राजी हैं.

अब आगे टाइट ऐस फक स्टोरी:

मैंने खुशी से दीदी को गले लगा लिया और उनके होंठ चूमते हुए बोला- थैंक्यू दीदी.
“तुझे पसंद आया?” दीदी मेरी आंखों में देखती हुई बोलीं.
उनकी आंखों में सन्तोष था.

“कसम से दीदी इतना नायाब तोहफा तो कुछ और हो ही नहीं सकता … थैंक्यू सो मच.” मैं उनके होंठों को चूमते हुए बोला.

“हां हां ठीक है, पर जरा आराम से … अभी नाजुक है.”
“उसकी टेंशन आप मत लो.”
ये कहकर मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिए और बेवाक होकर उन्हें चूमने लगा.

दीदी घुटने के बल बेड पर खड़ी थीं.
वो आंखें बंद किए अपनी अन्तर्वासना को आवाज दे रही थीं.
मेरे एक हाथ को उन्होंने पकड़ रखा था, दूसरा उनकी चूत का मुआयना करने पहुंच चुका था.

दीदी ने न तो पैंटी पहनी थी … न ही ब्रा.
यह बात मुझे बड़ी दिलचस्प लगी.

मैं उनकी ड्रेस निकलने लगा.
दीदी ने निर्विरोध हाथ खड़े कर दिए.
वो गर्म हो रही थीं.

महीनों बाद उनके गोरे जिस्म का दीदार हुआ.
दीदी का बदन गोरा चिकना एकदम मखमली है. कमरे की सफेद रोशनी में ऐसे चमक रहा था मानो संगमरमर.

मैंने एक बार को हाथ फिराया, दीदी ने प्रतिक्रिया में अपनी आंखें मूंद कर ठंडी आह भरी.
एक मिनट तक मैंने अपनी नग्न बहन को निहारा.
उनका सेक्सी बदन मानो कोई कामवासना की देवी हो, जिसकी मैं पूजा करूं.

मैंने दीदी की गर्दन से शुरुआत की. मैं उनके नग्न मखमली शरीर को चूमने लगा.
दीदी ने मुझे रोका और अपनी इयरिंग्स निकालने लगीं.
मैंने मदद की.
उनके कहने पर इयरिंग्स को दराज में रख दिया.

अब मैंने दोबारा उन्हें चूमना शुरू किया.
कान की लौ को चूमते हुए मैंने उनके कान में धीरे से कहा- आप सच में बड़ी सेक्सी हो.
दीदी मेरी बात पर मुस्कुराईं पर आंखें मूंदे रखीं.

मैं बेतहाशा उन्हें चूमने लगा. कान से गाल पर और गाल से कनपटी पर आ गया. मैं दीदी के कंधे को चूमते हुए दोबारा से नीचे आया.
मैंने मम्मों को हौले से दबाया.

अब मैं थोड़ा सहज हो गया था. पता नहीं … शायद यह दीदी की आंखों में दिखे उस प्यार का प्रतिफल था.

मैं उनके दोनों मम्मों को सहलाते हुए एक दूध के निप्पल पर जीभ फिराने लगा.
दीदी ने ठंडी सांस लेते हुए अपनी छाती को ऊंची उठा कर मेरे मुँह में ठेल दी.

मैंने काम जारी रखा और हौले हौले से दीदी के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसता रहा.
अच्छी तरह से मम्मे चूसकर मैंने खुद को तृप्त किया और दीदी की वासना को भी भड़काया.

फिर पेट चूमते हुए मैंने उनकी नाभि को अच्छी तरह चाटा.
इसके बाद मैंने दीदी को बेड पर पेट के बल लिटा दिया.

मैं उनके ऊपर आ गया और उनके हाथों को किस करते हुए, कंधे और गर्दन को चूमा.
दीदी अपनी मादक सुगंध में ही महक रही थीं.

परफ्यूम और उनके बदन की मिश्रित खुशबू का मैं दीवाना हूँ.
मैंने उनको पुन: सीधा किया और उनके निप्पल को चाटते हुए पेट पर पहुंच गया.

नाभि को किस करते हुए मैं बेड के नीचे उतर कर बैठ गया और दीदी को अपने पास खींच उनकी चूत की मादक खुशबू ली.
आह क्या लजीज चूत और उसकी कामुक महक … सच में मुझे दीवाना कर रही थी.

दीदी पहले से गीली हुई पड़ी थीं.
मैंने जांघ को चूमते हुए अपनी जीभ को दीदी की चूत पर फिरा दिया.

दीदी बिन पानी मछली की तरह छटपटा उठीं.
मैंने अगले ही पल अपनी जीभ चूत के अन्दर घुसेड़ दी और चूत की रसीली फांकों को चाटने चूसने लगा.

दीदी की चूत की गर्माहट को मैं अपने चेहरे पर महसूस कर सकता था.
मैं चूत चाट रहा था और दीदी छटपटा रही थीं.

मैंने उन्हें सीधा रखने में लिए कमर पकड़ कर ग्रिप बनाई हुई थी जिससे वो पीछे को नहीं हो पा रही थीं.

मैं उनकी कमर को काबू में किए हुए उनकी लजीज चूत को मस्ती से चाटने में लगा था.
अपनी जीभ को उनकी चूत में अन्दर तक घुसेड़ कर कुछ यूं चाट रहा था कि दीदी की कामुकता से भरी हुई तेज सिसकारियां निकल कर कमरे के माहौल को भड़का रही थीं.

मैं पूरे मन से अपनी बहन की चूत चाट रहा था.
मैंने काफी देर तक ऐसा क़िया, जब तक दीदी वासना से छटपटाने न लगीं “अहह ओह्ह अब बस कर छोटे … झड़ गयी तो नहीं करवा पाऊंगी.”

मित्रो, ऐसे तो मैं एक अरसे से प्यासा था, बिना उनकी चूत का रस पिए मुझे चैन नहीं मिल रहा था.
मैं उन्हें छोड़ता नहीं पर बात बहन की गांड मिलने की थी तो मैं झट से मान गया.

उनकी बात भी सही थी.
पहली बार की गांड चुदाई थोड़ी पीड़ादायक तो होती ही है और जब दीदी की तरह अनछुई गांड हो, तो उसके क्या ही कहने.

मैं खड़ा हो गया.
मैंने दीदी की गांड के छेद को उंगलियों से छेड़ते हुए पूछा- क्या नहीं करवा पाओगी दीदी?

“अहह … ओह्ह … दीदी वासना से छटपटा रही थीं.
“बोलो न दीदी!”
“ओह्ह गांड की चुदाई नहीं करवा पाऊंगी.”
वो वासना में बुदबुदाईं.

मैंने दो उंगलियां उनकी गांड के अन्दर डाल दीं.
दीदी ने पहले से ही अपनी गांड में बहुत अधिक मात्रा में स्नेहक डाल रखा था.
“आह!” दीदी ने कसमसाते हुए आराम से मेरी उंगलियों को अन्दर ले लिया.

बट प्लग ने उनके छेद को काफी हद तक चौड़ा कर दिया था.
मैं उंगलियां टाइट ऐस के छेद के अन्दर पेले हुए ही गोलाई में घुमाने लगा.

दीदी कसमसाती रहीं … दर्द से नहीं, डर से … उनका डर जायज भी था.
उनका पहली बार जो था.

मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ा और दीदी की गांड के छेद पर घिसने लगा.

“अहह … कॉन्डोम तो लगा ले छोटे … ओह वो ड्रावर में है.” दीदी छटपटाती हुई बोलीं.
“कंडोम में मजा नहीं आएगा दीदी!”
दीदी बुदबुदाईं- ठीक है … जो करना है कर, अब कहां भागूगी मैं!

“आपने कुछ कहा दीदी?”
“नहीं.”
“आपने कुछ तो कहा, जरा तेज बोलो ना मेरी प्यारी दीदी.” मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा.

“जो करना है कर ले, गांड खोल कर तो बैठी हूँ … अब भाग भी तो नहीं सकती मैं!” दीदी झल्लाती हुई चिल्लाईं.

दरअसल मैंने चूत चाट कर दीदी को गर्म कर दिया था और वो जल्दी से चुदाई की आशा कर रही थीं.
पर उन्हें छेड़ने का यह सही समय होता है, जब वो गर्म होती हैं.
मुझे उन्हें चुदाई के लिए तड़पता देख बड़ा अच्छा लगता है.

ऐसे समय पर मैं अक्सर उनसे गन्दे शब्द बुलवाता हूँ.
जैसे गांड, लंड, चुत, छिनाल, रंडी, गांडू, बहनचोद. दीदी भी कहीं न कहीं ये सब एन्जॉय करती थीं.
दीदी को ऐसे सताने में बड़ा मजा आता था.

वो भी क्या दिन थे.
हालांकि दीदी अब तो ट्रेंड हो चुकी हैं, वो मुझसे सेक्स के बारे में काफी खुल कर बात करने लगी हैं.

“ओह दीदी … आप तो गुस्सा कर रही हो. मैं नहीं करता जाओ!”
“नहीं, मैं गुस्सा नहीं कर रही … अहह!”
“आप कर रही हो.”
“नहीं मेरे भाई, दे तो दी है गांड … जो करना है जैसे करना है, कर ले ना!”
“नहीं, थोड़ा प्यार से बोलो ना!”

दीदी झल्ला रही थीं.
मैं समझ सकता था, पर मुझे मजा आ रहा था.

“मेरी गांड मार दे मेरे भाई!”
“थोड़ा और प्यार से.”

ओहो दीदी का गुस्सा अब तो आसमान पर था.
पर उन्होंने संयम बरतना जरूरी समझा- प्लीज भाई प्लीज … जल्दी से मेरी गांड चोद दे मेरे बहनचोद भाई!
“जैसा आप कहो मेरी रंडी बहना … ओह ले मेरा लौड़ा ले अपनी गांड में.”

मैंने बेड के किनारे पर दीदी को घोड़ी बनाया और उनके पेट के नीचे दो तीन तकिया लगा दिए ताकि उनकी गांड उठ जाए.
फिर उनके हाथों को बेड पर फैलाया.
उनके सर से लेकर मम्मे, बेड में धंसे हुए थे.

मैंने उनकी पीठ और झुकवाई.

आपके और सहयोगी की पीठ के बीच 45 डिग्री का एंगल बनाना चाहिए.
यह गांड चुदाई के लिए सबसे अच्छा आसन होता है, इसमें गांड का छेद काफी हद तक खुल जाता है और लंड लेने में कम परेशानी होती है.

दीदी ने बेडशीट को मुट्ठियों में भींच लिया, सर बेड में दबाए हुए वो धक्के का इन्तजार कर रही थीं.
जैसा कि आपको मैं बताया था कि दीदी ने पहले से ही गांड में बहुत ज्यादा मात्रा में लुब्रिकेंट लगाया हुआ था.

ये चिकना पदार्थ मेडिकेटिड था जो गांड चुदाई के लिए ही होता है.
मैं लंड का सुपारा दीदी के छेद पर मलने लगा.
दीदी मचलने लगीं.

मैंने टोपा अन्दर डाला ही था कि दीदी थोड़ी कसमसाईं.

मैंने कुछ देर सुपारा पेल कर उसे ही अन्दर बाहर किया.
जिससे उनकी गांड के पहले छल्ले ने आत्मसात कर लिया और वो आसानी से निगलने उगलने लगा.

फिर धीरे धीरे मैं लंड उनकी गांड में पेलने लगा.
अभी मेरा दो इंच लौड़ा अन्दर गया होगा कि दूसरे छल्ले ने दीदी को अपनी समस्या बताई और वो कसमसाने लगीं “आह…!”

मैं रुका, फिर मैंने उसी गहराई पर 4-5 बार लंड अन्दर बाहर किया.
दूसरे छल्ले ने भी लंड से हार मान ली.

अब मैंने उनकी गांड में और मेरे लंड के जोड़ पर थोड़ा और स्नेहक टपकाया.
इस चक्कर में लंड बाहर आ गया.

मैंने दोबारा से लंड उनकी गांड में पेला.
इस बार मैंने गहराई बढ़ाई और लंड को 4 इंच गहराई तक पहुंचा दिया.

“आहहह … इस्स छोटे …” दीदी सिहर उठीं.

मुझे मेरे लंड पर अत्यंत दबाव महसूस हो रहा था.
दीदी की गांड काफी कसी हुई थी और बिना जोर लगाए लंड अन्दर बाहर करना मुश्किल लगने लगा था.
मैंने लंड को हाथ से पकड़ के बाहर निकाला और थोड़ा लुब्रिकेंट (स्नेहक) और लगाया.

फिर से लंड उनकी खुली सी गांड में पेला.
लुब्रिकेशन के कारण लंड सरकता हुआ कुछ ज्यादा ही गहरई तक चला गया.

एकाएक झटके के चलते दीदी बिलख पड़ीं.
“आआहह … ईईस्स मर गई …” दीदी रोने की सी आवाज में कराहीं.
मगर उनकी चीख बेड के गद्दे में कहीं दब कर रह गयी.

मैं रुक गया- दीदी आप ठीक तो हो न?
दीदी ने अपने दर्द को पीते हुए सर हिलाया.
हालांकि वो बिलख रही थीं.

दोस्तो, वैसे तो जिंदगी में मैंने कई चूतें देखीं. पर ऐसा सेक्स समर्पण मैंने किसी में नहीं देखा था.

दीदी मेरा कभी भी विरोध नहीं करतीं.
ऐसा शुरू से ही है … पहली चुदाई से ही.
मुझे जो जी में आए, करने देतीं … चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न हो.

मैं अक्सर जोश में उनके साथ क्रूर भी हो जाता था पर उन्होंने मुझे आज तक रुकने को नहीं कहा.

हां बाद में मुझे उसके लिए ताने जरूर मारेंगी, पर उन्हें मुझे मनमानी करने देना अच्छा लगता था.
शायद इसी सेक्स समर्पण ने आगे चल कर उन्हें मेरी गुलाम बनने पर मजबूर किया.

मैं झुका और उनके कंधों और गर्दन पर चूमा लेते हुए चाटा.
दीदी की दर्द भरी सिसकारियों को मैं महसूस कर पा रहा था पर कुछ कर नहीं सकता था.

मैंने रिकवरी का मौका देते हुए मैंने पूरा लंड बाहर निकाला और धीरे से सरकाते हुए दोबारा पेला.
जिसे दीदी ने थोड़ी दिक्कत के साथ ले लिया.

दोस्तो, सामान्यत: गांड के छेद की गहराई 5 से 6 इंच होती है.
हालांकि हम इससे ज्यादा और काफी ज्यादा, बड़ा भी लंड आराम से पेल सकते हैं पर इतना अन्दर लेने के लिए काफी दिनों की प्रेक्टिस लगती है.

दीदी खुद अब मेरा पूरा लंड ले लेती हैं और वो भी बड़े आराम से.

पर पहली गांड चुदाई में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए थी.
जो मैं कर रहा था.

दीदी हर बार थोड़ी नार्मल होती गईं. दीदी की गांड कसी हुई तो थी पर लचीली भी थी.
अपनी तरफ से प्रेक्टिस में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

अब मैं इसी गहराई में अपने लंड को हल्के हल्के हिलाने लगा.

हालांकि अभी भी मेरा लौड़ा 3-4 इंच बाहर ही था पर मैं लंड को हाथ में पकड़े हुए था ताकि पूरा लंड न चला जाए.

यदि पहले बार में ही मैं अपना पूरा मूसल घुसेड़ देता तो दीदी के तो प्राण ही निकल जाते.
मुझे अपनी रंडी बहन की प्यारी गांड का ख्याल भी तो रखना था.

मैं यूँ ही धीरे धीरे लंड उनकी गांड के अन्दर ही पेलता रहा.
बीच बीच में चूमता भी जाता.

अब लंड गांड में था और मैंने उंगलियों से उनकी चूत का मुआयना भी करना शुरू किया.
असहनीय दर्द के बाद भी दीदी की चूत बुरी तरह गीली हुई पड़ी थी जो अपने आप में एक अत्यंत उत्तेजक बात थी.

मैंने 3 उंगलियां उनकी चूत में घुसा दी थीं.
दीदी कसमसाती हुई आगे को हो गयी थीं पर मैंने उन्हें खींच कर फिर से उनकी गांड ऊपर की.

मेरा लौड़ा उनकी गांड में ही फूल पिचक रहा था.

मैं अच्छी तरह उनकी चूत के छेद का मुआयना करने लगा.
चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी जिसका रस मैं अपनी उंगलियों पर महसूस कर सकता था.

मैं उंगलियां बाहर निकाल कर मुँह के पास लाया और दीदी की चूत रस की खुशबू ली, फिर जीभ से चाटा.
उनकी लसलसी, लजीज चूत की खुशबू और स्वाद दोनों ही सबसे अलग हैं.
जिसे बार बार चखने का मन करे.

दीदी की चूत की मादक खुशबू ने मुझे उत्तेजित कर दिया था.

मैंने एक तेज झटका दे दिया तो दीदी सर उठा कर चीख पड़ीं- अहह … आह अहह छोटे …
दीदी दर्द से सिहर उठी थीं और उन्होंने अपनी पोजीशन खो दी. वो कोहनियों पर आ गईं.

मैंने उन्हें रिकवरी का थोड़ा मौका दिया.
मैं झुक गया और उन्हें सूंघते हुए उनके कंधे व गर्दन पर किस करने लगा.

दीदी ने प्रतिक्रिया में सर मेरी तरफ घुमा लिया.

मैंने उनकी रोई पड़ी आंखों और गाल से बह रहे आंसुओं को देखा.

दीदी सिसक रही थीं, इसके बावजूद उन्होंने लपक कर मेरे होंठों को किस किया.
गुरु हिम्मत चाहिए इस प्रकार की सेक्स कामना को पूरा करने के लिए.

मैं दीदी के लाल पड़े चेहरे की गर्माहट को अपने चेहरे पर महसूस कर सकता था. मैं भी उन्हें ऐसे किस कर रहा था मानो उनकी जुबान खा जाऊंगा.
पर कोई जल्दी बाजी न थी, सब कुछ धीरे धीरे ऐसे हो रहा था मानो समय रुक गया हो.

मैंने उनके हाथ फिर से बेड पर फैलाए और चूमते हुए उनकी गांड को फिर से पोजीशन में सैट किया.
मैं दीदी की गांड में लौड़ा धीरे धीरे पेलने लगा.

हालांकि अभी 2-3 इंच लंड बाहर ही था पर मैंने और जबरदस्ती उचित नहीं समझी.

मैं मध्यम गति से धक्के लगाने लगा.

दीदी के छेद में लगा अच्छी तरह से स्नेहक से लंड आराम से मूव कर रहा था.
बेड में मुँह दबाए दीदी अपनी सिसकारियां दबा रही थीं; बस “गूँऊ ऊऊऊऊ …” की आवाजें निकाल रही थीं.

मैं जानता था कि उन्हें एडजस्ट होने में अभी कुछ देर और लगेगी.

मैंने अपना ध्यान काम पर लगाए रखा.
मेरा लंड तकरीबन 7 इंच की गहराई में खुदाई, सॉरी चुदाई कर रहा था.

मध्यम धक्कों के साथ मैंने उन्हें तकरीबन 15 मिनट चोदा.
बीच बीच में मैं आगे की तरफ झुक कर दीदी को किस कर लेता, उनके बालों और बदन की खुशबू को महसूस करता.
उनके बदन की गर्मी को भी मैं महसूस कर रहा था.

सब कुछ कितना उत्तेजक था न!

दीदी का मेरे बर्थडे पर ऐसे अपनी गांड परोसना … उनका खुद से गांड चुदवाने कर लिए आग्रह करना … असहनीय पीढ़ा के बाद भी उनका गर्म रहना.
उनकी बदन की महक उनके बदन की गर्मी.
ये सब सोच कर मेरे अन्दर वासना की लहर उमड़ जाती.

मैंने धक्कों की गति बढ़ाई, पर गहराई नियत रखी.
दीदी अब आराम से लंड ले रही थीं.

जब मैंने खुद को झड़ने के करीब पाया तो मैंने दीदी की चूत में 3 उंगलियां पेल दीं और चुदाई करने लगा.
कुछ ही धक्कों के साथ मैं स्खलित हुआ और दीदी के ऊपर पसर गया.

मेरी उंगलियां अभी भी दीदी की चूत में और लंड गांड में था.

मुझे मेरी उंगलियों पर दीदी के चूत रस की गर्माहट महसूस हुई जो किसी कामयाबी से कम नहीं थी.
अन्दर मुझे अपने लंड से निकलता मेरा वीर्य दीदी की गांड में भरता महसूस हो रहा था.

मैं कुछ देर तक झड़ता रहा. मैं झड़ते हुए दीदी से चिपका हुआ था. उन्हें सूंघ, चूम, चाट रहा था.
दीदी हांफ रही थीं.

उनके बदन की गर्माहट मुझे मेरे बदन पर जलती सी महसूस हो रही थी.

मैंने दीदी के होंठों को एक प्यारा सा चुम्बन दिया. उनके होंठों की कोमलता, उनकी सांसों की गर्मी … आंह मुझे चर्मोत्कर्ष के साथ मिल कर स्वर्ग का सुख दे रही थी.

मैं कुछ देर बाद उनसे अलग हुआ.
मैंने अपने हाथ पर लगा रस चाट कर साफ क़िया.

अहह … इतना स्वादिस्ट.

टाइट ऐस फक के बाद मैंने लौड़ा दीदी की गांड से बाहर निकाला.
उनकी गांड का छेद सुर्ख लाल हो गया था. उनकी गांड से बहता मेरा रस कामुक दृश्य दे रहा था.
मैं दीदी को काफी देर तक चूमता रहा.

फिर वो बाथरूम जाने को उठ गईं.
दीदी ने चलने की कोशिश की मगर वो लंगड़ा रही थीं.

मैंने सहारा देकर उन्हें बाथरूम तक पहुंचाया.
दोस्तो, आपको मेरी दीदी की कुंवारी गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल से बताएं.
टाइट ऐस फक स्टोरी के अगले भाग में मैं आपको आगे का मजा लिखूंगा.
[email protected]

टाइट ऐस फक कहानी का अगला भाग:

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