स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -6
(Snehal Ke Kunvare Badan Ki Sair-6)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -5
-
keyboard_arrow_right स्नेहल के कुँवारे बदन की सैर -7
-
View all stories in series
अब तक आपने देखा कि मैंने किस तरह से स्नेहल के बर्थ डे को एक बहुत ही यादगार दिन बनाया।
उस दिन के बाद तो हम दोनों के बीच की सारी दीवारें खत्म हो गई थी और हम आपस में बिल्कुल खुल चुके थे।
चूँकि मैं अपार्टमेन्ट में रहता था तो उसे आने जाने के लिए भी कोई तकलीफ नहीं थी। कॉलेज में हम दोनों साथ रहते और कॉलेज के बाद भी दोनों का साथ टूटता ही नहीं था।
दिन भर एक दूसरे से हसी-मजाक में दिन कैसे खत्म हो रहे थे पता ही नहीं चलता था, ऐसे ही दिन कटते रहे और परीक्षा एक हफ्ते पर आ गई और सभी को परीक्षा की टेंशन होने लगी, हर कोई नोट्स जुटाने में लगा हुआ था।
तभी मेरे दिमाग में एक सुंदर सा ख्याल आया कि क्यों न मैं स्नेहल को अपने साथ पढ़ाई करने के लिए मेरे रूम पर बुला लूँ और फिर मैंने यहीं बात स्नेहल से कही तो वो भी मान गई लेकिन मुझसे कहने लगी- पढ़ाई करते वक्त तुम बदमाशी नहीं करोगे।
यह सुनते ही मैं जैसे सातवें आसमान पर उड़ रहा था क्यूंकि स्नेहल अब परीक्षा होने तक यानि 20-25 दिन मेरे साथ ही रहने वाली थी। तो कॉलेज के बाद हम स्नेहल के रूम से उसके नोट्स और (कुछ कहने की जगह ढेर सारे ही ठीक रहेगा) कपड़े लेकर मेरे अपार्टमेन्ट में आ गये।
फिर फ्रेश होकर हम बाहर खाना खाने चल दिए, एक अच्छे से रेस्टोरेंट में जाकर हमने खाना खाया।
खाना खाते समय अचानक स्नेहल ने अपने पैर से मेरे पैरों को बहुत ही मस्त तरीके से सहलाया और तब उसकी आँखें तो मुझे नशे में डूबा रही थी। खाना खत्म होने के बाद हम एक-दूसरों का हाथ पकड़ कर यूँही टहलते हुए और एक-दूसरे की बातें करते हुए मेरे अपार्टमेन्ट की तरफ बढ़ने लगे।
चलते हुए बीच बीच में कभी मैं उसके हाथ को तो कभी वो मेरे हाथ को चूम लेती थी, इस तरह से हम दोनों प्रेमसागर में गोते लगा रहे थे।
हम ज्यों ही अपार्टमेन्ट में पहुँचे, मैंने जल्दी से दरवाजे को अंदर से बंद करके स्नेहल को पीछे से अपने बाँहों में कैद कर लिया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा तो वो मुझे रोकते हुए पढ़ाई करने के लिए कहने लगी।
तो मैंने उसे कहा- अभी तो पूरी रात बाकी है मेरी जान!
इस पर वह इठलाते हुए कहने लगी- पहले आज की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं, बाद में यह सब कुछ, क्यों ठीक है ना?
मैंने उसे नाराज न करते हुए कहा- तुम्हारे इस आशिक ने कभी तुम्हारी कोई टाली है जो अब टालेगा।
इस पर उसने मुस्कान के साथ साथ बाहों में भर कर गाल पर एक चुम्बन दे दिया।
फिर मैंने उससे कहा- तुम क्या इसी ड्रेस में सोने वाली हो या चेंज भी करने वाली हो? तुम्हारा सामान भी सेट करना होगा, चलो दोनों मिल कर कर लेंगे तो जल्दी हो जायेगा।
हमने बेडरूम में जाकर उसके कपड़ों को ठीक तरह रख दिया और किताबें तथा नोट्स हॉल में रख दिए। अब वो कपड़े चेंज करने के लिए बेडरूम में जा रही थी तो मैं भी उसके पीछे हो लिया और बेडरूम में जाते ही उसने दरवाजा लगाना चाहा लेकिन मैंने उसे लगाने नहीं दिया तो मुझे वो हॉल में इंतजार करने के लिए कहने लगी।
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने भी कह दिया- अब हमसे क्यों शरमा रही हो डार्लिंग? हमारा इतना हक तो बनता ही है ना?
तो उसने कहा- जितना हक जताना है, जता लेना लेकिन अभी नहीं पढ़ाई के बाद!
और मुझे बाहर धकेलकर उसने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।
मैं हॉल में बैठा उसका इन्तजार कर रहा था और उसके आने की आहट सुनते ही मैं उत्सुकतावश बेडरूम की तरफ आँखें गड़ा कर देखने लगा।
उसने जैसे ही दरवाजा खोला, वैसे ही मेरी नजरें उस पर जम गई। उसने लाल रंग की एक पारदर्शी नाइटी पहनी थी और बाल खुले छोड़ दिए थे।
मेरी हालत तो ऐसी हो रही थी कि कोई काटे तो खून भी ना निकले।
वो अपनी कमर को मटकाते हुए मेरे पास आई और मेरे कान में बहुत ही धीरे और प्यार से कहा- पहले कभी किसी लडकी को नहीं देखा क्या जो मुझे इस कदर घूरे जा रहे हो?
तब मैं होश में आया और कहा- लड़कियाँ तो बहुत देखी हैं लेकिन तेरे जैसी लड़की को इस रूप में पहली बार देख रहा हूँ।
और मैंने झट से उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया जिससे वो आकर सीधा मेरे उपर गिर गई।
मैं उसके होंठों को चूमने वाला ही था कि उसने अपने हाथ को मेरे होठों पर रखा और किताबों की तरफ इशारा करके कहा- पहले यह वाला प्रोग्राम निपटा लेते हैं, बाद में अपना प्रोग्राम शुरू करेंगे। और वैसे भी अभी तो रात ठीक तरह से शुरू भी नहीं हुई और तुम हो कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे।
फिर जल्द ही हम दोनों नोट्स पलटने लगे। तभी उसे एक सवाल समझ नहीं आ रहा था तो उसने वो सवाल मुझसे पूछा। हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठे थे और हमारे बीच में एक टेबल था। तो जब वो सवाल पूछने के लिए थोडा आगे झूकी तो उसकी आधी चूचियाँ नाइटी से बाहर झाँकने लगी।
मेरी नजर को भाँपकर और मेरी हालत देखकर वो हंस रही थी।
फिर जैसे तैसे हमने और कुछ सवाल किये और जब मुझे और सहना मुश्किल लगा तो मैं उठकर उसकी कुर्सी के पीछे से जाकर उसके गले में बाहों का हार पहनाकर उसके गले पर चूमने लगा।
तो उसने कहा- अब बस भी करो जानू, अगर तुम ऐसे ही करते रहोगे तो हम पढ़ेंगे कब?
मैंने उसे कहा- चलो आज के लिए इतना ही काफी है, बाकी का कल कर लेंगे।
थोड़ी ना नकुर के बाद वो मान गई।
उसके हाँ कहते ही मैंने उसे अपनी गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले आकर बड़े ही आराम से उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
उसने भी कोई कसर ना छोड़ते हुए मेरे गालों पर चुम्मों की बरसात ही शुरू कर दी थी।
उसे लिटाकर मैंने उससे कहा- आज मुझे वो सब हदें पार करनी है जो मैं पिछली बार न कर सका।
उसने कहा- तो करो ना सारी हदें पार, तुम्हें रोका किसने है?
मैंने भी अपने होंठों से उसके होंठों को कैद कर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा और हाथों से उसके बदन को मसलना चालू किया। जैसे ही मैंने उसकी नाइटी उतारनी चाही उसने खुद ही उसे उतार दिया और मेरे कपड़े उतारने लगी।
वो सिर्फ गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी में थी और मैं सिर्फ अंडरवियर में।
मैंने उसे अपने ऊपर लिया और मैं खुद उसके नीचे आ गया। उसके 28″ के चूचे गुलाबी रंग की ब्रा में क्या मस्त लग रहे थे।
जैसे ही मैंने उसे ऊपर किया, उसने अपना काम चालू किया और मेरी अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लौड़े को सहलाने लगी।
इधर अब तक मैं उसकी चूचियों को ब्रा की कैद से आजाद कर चुका था और अब बारी बारी से उसके बूब्स को चूस रहा था और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ाकर उसकी योनि तक पहुँचा दिया।
उसकी चूत गीली थी, शायद बहुत देर से उसे सहलाने से प्रिकम निकला था। अब वो मेरे लौड़े के साथ साथ अंडकोषों को भी सहला रही थी और मैं उसके संतरों का रस चूस चूस कर पी रहा था, नीचे उसकी चूत के दाने को भी सहला रहा था, उसी के साथ हम दोनों में से कपड़ों के पर्दे पूरी तरह से हट गये थे और हम दोनों नग्न रूप में एक-दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
तभी मैंने उसकी चूत से निकले रस से अपनी ऊँगली को ठीक तरह से गीला करके स्नेहल की गांड के छेद में घुसा दिया जिससे वो आहें भर के अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगी।
फिर मैंने अपनी ऊँगली को ठीक तरह से अंदर घुमाकर थोड़ी और जगह बनाने के बाद दूसरी ऊँगली भी घुसेड़ दी, तब उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई जो मेरे मुंह में दब गई।
थोड़ी देर उसकी गांड में जगह बनाने के बाद मैंने उसे उठाकर सीधा लिटाया और अपना मुंह उसकी चूत के होंठों से सटा दिया।
मैंने पहले ही उसकी बुर की अच्छे से रगड़ाई की हुई थी सो वो इस बार जल्द ही झड़ गई।
उसे अभी उत्तेजित करने के लिए मैंने उसके चूत और चूचियों को मसलना चालू किया और थोड़ी ही देर में वो और एक बार प्रेम के इस अनोखे सागर में डूबकी लगाने के लिए तैयार हो गई।
अब मैंने उसे पेट के बल लिटाया और कहा- जान एक अनोखे और परम सुख का अनुभव लेने के लिए तैयार हो जाओ।
तो उसने बड़ी शातिरपने से अपने चूतड़ हिलाकर मेरा स्वागत किया।
मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये रखे और अपने लंड को गीला करने के लिए उसे स्नेहल के मुंह में दे दिया।
उसने उस पर ठीक तरीके से थूक लगाकर गीला कर दिया। उसके छेद को तो मैं पहले से ही गीला कर चुका था लेकिन फिर भी थोड़ा तेल लेकर मैंने उसके छेद के आसपास मल दिया।
वो मेरा लन्ड लेने के लिए बेताब हुए जा रही थी और बार बार कह रही थी- राज, अब और सहा नहीं जाता, जल्दी से कुछ करो।
मैंने भी ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और लंड को ठीक तरीके से सेट करके उसकी कमर को पकड़कर जोर मारा तो चिकनाई की वजह से पहले ही दबाव में लगभग आधा लौड़ा उसकी गांड में घुस गया और वो छटपटाने लगी।
मैंने भी समय की नजाकत को समझते हुए कुछ देर वैसे ही रहने में भलाई समझी। कमाल की बात तो यह थी कि उसने खुद ही अपने हाथों से मुंह बंद करके रखा था जिसकी वजह से उसकी चीखें दब रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसकी गांड बहुत ही टाईट थी और अभी आधा लौड़ा ही घुसा था कि मेरे लौड़े में भी जलन हो रही थी।
उसके चेहरे के भावों से साफ़ साफ़ पता चल रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन फिर भी उसने अपने दर्द को छिपाए रखने की पूरी कोशिश की।
उसका दर्द कम करने के लिए मैं उसे गर्दन पर चूमते हुए एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहला रहा था। बीच बीच में मैं उसके कान को भी हल्के से काट दिया करता था। मेरी इन सब हरकतों से वो बहुत जल्द ही अपने दर्द को भूलकर आनन्द के सागर में डुबकी लगा रही थी।
उसे साथ देता हुआ देखकर मैंने भी धीरे धीरे अपने लंड महाराज को उसकी गांड में धकेलना शुरू कर दिया। लेकिन ऐसे पूरा लंड अंदर जा नहीं रहा था तो मैंने उसके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर और एक जोरदार झटके के साथ अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया।
इस बार वो खुद को रोक न सकी और उसके मुख से चीख निकल गई।
यह तो अच्छा हुआ कि सभी दरवाजे और खिड़कियाँ बंद थी नहीं तो उसकी आवाज बाहर तक आसानी से सुनी जा सकती थी।
फिर मैंने उसके मुंह अपना मुंह सटा दिया और एक गहरा चुम्बन लेने लगा। नीचे मैं अपने हाथ से जोर जोर से उसकी चूत को रगड़ रहा था।
अब उसकी गांड पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन अब भी बहुत ही टाईट लग रही थी।
थोड़ी देर बाद वो खुद नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी तो मुझे जैसे हरा सिग्नल मिल गया और मैने भी अपना काम चालू किया।
अब मैं उसकी गांड मारने के साथ साथ एक हाथ से उसकी क्लाइटोरिस को सहला रहा था और एक हाथ से उसके संतरों को बारी बारी से दबा रहा था, मेरे होंठ उसकी गर्दन पर अपना जादू चला रहे थे।
स्नेहल भी बड़ी अदा के साथ गांड मरवा रही थी, वो कभी अपने चूतड़ों को भींच लेती तो कभी एकदम खुला छोड़ देती और साथ ही साथ वो अपने मुँह से बहुत ही मादक सिसकारियाँ निकाल रही थी।
उसकी इन सब हरकतों को देखकर तो अंधे और बुढ्ढे का लंड भी पानी छोड़ दे।
थोड़ी देर बाद स्नेहल मुझे रोकते हुए कहने लगी- अब पीछे बहुत दर्द और जलन हो रही है तो तुम आगे से कर लो प्लीज।
उसकी आँखों की नमी और मासूमियत को देखकर मुझे भी उस पर तरस आ रहा था तो मैंने अपना हथियार उसकी गांड में से निकाल कर उसी पोजीशन में पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और फिर धकापेल चुदाई शुरू हुई।
अब मेरा लौड़ा अपना माल उगलने के लिए तैयार था तो मैंने उसे कहा- तुम मेरा माल कहाँ लेना पसंद करोगी?
तो उसने कहा- मैं भी अभी झड़ने वाली हूँ, दोनों एक साथ अंदर ही निकालेंगे।
आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है, जरूर बताइयेगा..
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments